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Haryana: यहां बनेगा देश का अनूठा शहीद स्मारक, तकनीक और इतिहास का होगा संगम

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ambala-cantonment-martyrs-memorial चंडीगढ़ : हरियाणा के अंबाला छावनी में बन रहा शहीद स्मारक देश में अपनी तरह का अनूठा स्मारक होगा, जिसमें स्वतंत्रता आंदोलन में हरियाणा के योगदान को आकर्षक ढंग से प्रदर्शित किया जाएगा, ताकि वीरों के जीवन और शौर्य से प्रेरणा ले सकें। इस स्मारक में तकनीक और इतिहास का अनूठा संगम देखने को मिलेगा। शहीद स्मारक का निर्माण अंतिम चरण में है और इतिहास की जानकारी को रोचक ढंग से प्रदर्शित करने के लिए शहीद स्मारक निर्माण समिति के सदस्यों, इतिहासकारों के साथ सोमवार को हरियाणा भवन, दिल्ली में एक बैठक आयोजित की गई, जिसे दिल्ली के हरियाणा भवन में आयोजित किया गया। इसकी अध्यक्षता जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग के महानिदेशक डॉ. अमित अग्रवाल ने की। बैठक में बताया गया कि अगले 15 दिनों में स्मारक की विस्तृत योजना समिति के सभी सदस्यों से साझा की जाए कि किस दीवार पर किस दीवार पर और किस आकार में इतिहास से संबंधित सामग्री प्रदर्शित की जानी है। इस शहीद स्मारक में। पूछा जाएगा। सभी के सुझाव मिलने के बाद इस संबंध में अंतिम निर्णय लिया जाएगा। डॉ. अमित अग्रवाल ने कहा कि इस स्मारक में फोटो पैनल लगाने के अलावा लाइट एंड साउंड के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आज के आधुनिक हरियाणा तक की गौरवशाली यात्रा को दर्शाने का प्रयास किया जाएगा. इसमें 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के INA के योगदान और तत्कालीन ब्रिटिश सरकार की यातनाओं को हरियाणा के लोगों ने कैसे सहा, सभी के संक्षिप्त विवरण के साथ एक चित्रमय प्रदर्शन होगा। ये भी पढ़ें..पूर्व न्यायाधीश मोहम्मद शहाबुद्दीन बने बांग्लादेश के नए राष्ट्रपति, स्पीकर ने दिलाई शपथ अग्रवाल ने कहा कि स्मारक में आने वाले दर्शकों को हरियाणा के समृद्ध इतिहास का पता चलेगा और यह एक तरह से डेस्टिनेशन विजिट का केंद्र बनेगा। उन्होंने कहा कि इस स्मारक का काफी निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और अगले डेढ़ महीने में स्मारक में प्रदर्शित की जाने वाली सामग्री पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा और संबंधित एजेंसी को काम आवंटित किया जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि अक्टूबर तक यह स्मारक पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा और इसका उद्घाटन कर आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा। समिति के सदस्य एवं भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के प्रो. राघवेंद्र तंवर ने इस दौरान कहा कि यह स्मारक अपने विशाल आकार और इतिहास से जुड़े तथ्यों के समावेश के कारण पूरे देश में अपनी तरह का अनूठा होगा। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि सभी सदस्य लाल किले में बने 1857 के प्रथम युद्ध पर आधारित संग्रहालय तथा अभिलेख विभाग द्वारा तैयार संग्रहालय का अवलोकन करें ताकि यदि उनमें कोई कमी हो तो उसे बदला जा सके। समिति के सदस्य कर्नल योगेंद्र (सेवानिवृत्त) ने प्रस्तुति दी। प्रख्यात इतिहासकार प्रो. कपिल कुमार, भारतीय राष्ट्रीय संग्रहालय के पुरालेखपाल, डॉ. देवेन्द्र कुमार शर्मा, राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान के निदेशक एवं कुलपति प्रो. अनूपा पाण्डेय, सनातन धर्म महाविद्यालय के इतिहास विभाग के पूर्व इतिहास प्रमुख डॉ. उदयवीर, इतिहासकार ताजेन्द्र वालिया, सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ. कुलदीप सैनी, हरियाणा लोक निर्माण कार्यपालक अभियंता राजकुमार ने भी अपने सुझाव दिए। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)