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ऑक्सीजन लेवल नियंत्रित रखने में बेदह कारगर है प्रोन पोजिशन

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नई दिल्लीः कोरोना के मरीजों में सांस लेने में दिक्कत आना प्रारंभिक लक्षण है। इससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है, जो बेहद खतरनाक लक्षण माना जाता है। उन मरीजों के लिए जो कोरोना से पीड़ित हैं और सांस लेने में दिक्कत महसूस कर रहे हैं, उनके लिए उल्टा लेटना एक कारगर उपाय है। आज जब कोरोना ने देश में कहर मचा रखा है, उस वक्त पीड़ित मरीजों के लिए ऑक्सीजन और वेंटिलेटर मिलना बहुत ही मुश्किल हो गया है। इतना ही नहीं ऑक्सीजन के सिलेंडर के ब्लैक में बिकने की खबरें भी आम हो चली हैं। मरीजों को अस्पताल में बेड तक नहीं मिल पा रहा है।

ऐसे में वह मरीज जो घर पर रहकर इलाज करा रहे हों, उनके लिए डाॅक्टरों की सलाह है कि प्रोन पोजिशन यानी करीब 40 मिनट तक उल्टे लेटने से उनको सांस लेने में आ रही दिक्कतों में आराम मिलेगा। पेट के बल लेटने से वेंटिलेशन परफ्यूजन इंडेक्स में सुधार आता है। उल्टे लेटने की विधि एक्यूट रैस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम में इस्तेमाल की जाती है। एक्यूट रैस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम होने की वजह से फेफड़ों के निचले हिस्से में पानी आ जाता है। सामान्य तरीके से लेटने पर फेफड़ों के निचले हिस्से में एल्विपोलाई में खून तो आ जाता है, लेकिन ऑक्सीजन और कार्बन डाईआक्साइड के निकलने के विधि में दिक्कत होती है। ऐसी ही स्थिति में ठीक तरीके से ऑक्सिजिनेशन न होने की दशा में उल्टे लेटने की सलाह दी जाती है। इसमें मरीज को उल्टे पेट के बल लिटा दिया जाता है। गर्दन के नीचे एक तकिया, पेट व घुटनों के नीचे दो तकिया लगाया जाता है। इसके अलावा पंजों के नीचे एक तकिया लगाया जाता है।

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विशेषज्ञों की मानें तो हर आठ घंटे पर 45 मिनट तक उल्टा लेटने से मरीज को बहुत फायदा मिलता है। पेट के बल लेटकर कमर के बराबर में हाथ रखने से फेफडों में खून का संचार बढता है। फ्लूड इधर-उधर हो जाते हैं। जिससे फेफड़ों में ऑक्सीजन आसानी से पहुंचने लगती है। इससे ऑक्सीजन का लेवल भी नहीं गिरता है। उल्टे लेटना सुरक्षित है और ऑक्सीजन लेवल भी नही बिगड़ता। इस एक विधि से कोरोना से होने वाली मौतों पर थोड़ा काबू पाया जा सकता है।