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प्रोफेसर पॉल ने कहा- INDIA ने डिजिटल तकनीक से सुधारा लोगों का जीवन, अमेरिका ने मौका गंवाया

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नई दिल्ली: नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर पॉल माइकल रोमर ने सोमवार को कहा कि अमेरिका में सिलिकॉन वैली तेजी से उभर रही है, लेकिन वह अपने नागरिकों के जीवन स्तर को सुधारने में विफल रही है। वहीं, INDIA ने दिखाया है कि डिजिटल तकनीक के जरिए 140 करोड़ लोगों के जीवन को कैसे बदला जा सकता है।

अमेरिका को मिले कई मौके

आधार, यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) जैसे डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) का उदाहरण देते हुए रोमर ने कहा कि अमेरिका को भी कई अवसर मिले, लेकिन वे बर्बाद हो गए। एनडीटीवी वर्ल्ड समिट-2024′ को संबोधित करते हुए प्रमुख अर्थशास्त्री ने कहा कि सवाल यह है कि अगर हमें अवसर दिए जाते हैं, तो हम उनका क्या करते हैं? अमेरिका को दिए गए डिजिटल अवसर बर्बाद हो गए।

सरकार की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण

इस साल की पहली छमाही (जनवरी-जून) में यूपीआई आधारित लेन-देन की मात्रा 52 फीसदी बढ़कर 78.97 बिलियन हो गई, जो पिछले साल इसी अवधि में 51.9 बिलियन थी। इसके अलावा लेन-देन के मूल्य में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह इस वर्ष के पहले छह महीनों में 83.16 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 116.63 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

आधार की प्रशंसा करते हुए नोबेल पुरस्कार विजेता ने कहा कि इसमें डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग नागरिकों की सरकारी योजनाओं तक पहुंच बढ़ाने के लिए किया गया है। शीर्ष अर्थशास्त्री ने आगे कहा कि जनहित के लिए प्रौद्योगिकी का प्रभावी उपयोग करने में नियामक के रूप में कार्य करने में सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण है।

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जलवायु परिवर्तन के मुद्दे भी हल करने जरूरी

विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री रोमर ने कहा, “भारत में सरकार यूपीआई जैसे ऐप बनाकर खुश है। अमेरिका में ऐसा नहीं हुआ। भारत में लोग देख सकते हैं कि सरकार के तकनीकी और डिजिटल हस्तक्षेप के कारण उनके जीवन में कैसे सुधार हुआ है।” उन्होंने आगे कहा कि आर्थिक विकास से समझौता किए बिना प्रौद्योगिकी नवाचार का सहारा लेकर जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों को भी हल किया जा सकता है।

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