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महिला पुलिसकर्मियों की समस्याओं का जल्द होगा निदान: लक्ष्मी सिंह

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लखनऊः जब भी पुलिस महकमे में जाबांज महिला आईपीएस अधिकारियों की गिनती होती है, उनमें आईपीएस लक्ष्मी सिंह का नाम सबसे पहले लिया जाता है। जीरो टॉलरेंस अगेंस्ट क्राइम की नीति पर काम करने वाली लक्ष्मी सिंह महिला सुरक्षा को लेकर काफी गंभीर हैं और नित नए प्रयोग करती रहती हैं। राजधानी लखनऊ में महिला पुलिसकर्मियों की विभिन्न परेशानियों को लेकर इंडिया पब्लिक खबर के संवाददाता पवन सिंह चौहान ने आईपीएस लक्ष्मी सिंह, आईजी, लखनऊ रेंज से विशेष बातचीत की। पेश है बातचीत के मुख्य अंश-

महिला और पुरूष पुलिसकर्मियों की शारीरिक दक्षता के पैमाने में आप क्या अंतर पाती हैं?
महिला और पुरूषों की ट्रेनिंग लगभग एक जैसी ही होती है। महिलाएं सारी पीटी परेड करती है। रस्सा कूद, रस्सा चढ़ना, जो फायरिंग हमारे पुरूष आरक्षी करते हैं, वहीं फायरिंग महिला आरक्षी भी करतीं हैं। महिलाओं को पुलिस का सिपाही बनने के लिए विधिवत ट्रेनिंग दी जाती है, जिस पर वह खरी भी उतर रही हैं।

खुद की फिटनेस बनाए रखने के लिए आप क्या सुझाव देंगी ?
जिसने भी पुलिस की ट्रेनिंग की है, उसका फिटनेस लेवल अपने आप ही ऊपर आ जाता है। वह फिटनेस लेवल बनाए रखा जाए, यह जिम्मेदारी महिला आरक्षी की ही है। मैं हर सम्मेलन में यह बात कहतीं हूं कि महिला या पुरूष आरक्षी सबको अपना फिटनेस लेवल बनाए रखने के लिए कम से कम एक घंटे का समय खुद को देना पड़ेगा।

जिन महिला पुलिसकर्मियों की ड्यूटी कार्यालय में न लगकर पिकेट पर लगती है, उनके सामने सबसे बड़ी समस्या शौचालय की समुचित व्यवस्था न होना है ?
जी हां, महिला पुलिसकर्मियों के लिए यह एक वास्तविक समस्या है। इसका औपचारिक उपचार थानों में किया गया है। आने वाले समय में बहुत जल्दी ही करीब 1200 थानों में महिला प्रसाधन की सुविधा उपलब्ध होगी। इसके प्रयास किए जाएंगे।

जिन महिलाओं को शहर के बाहर ड्यूटी पर भेजा जाता है, उनके सामने तो शौचालय के साथ-साथ निजता की समस्या भी खड़ी हो जाती है ?
इसीलिए जैसा मैंने आपसे कहा न कि महिला प्रसाधन की बात तो चल रही है। जिन थानों में महिला डेस्क बने हैं, वहां पर महिला प्रसाधन कक्ष भी बनवाए गए हैं। प्रदेश के 1200 से ज्यादा थानों में यह कक्ष स्थापित किए जाएंगे। जब यह पूरा हो जाएगा तो उसके बाद महिला प्रसाधन कक्ष चौकियों में बनाने की योजना बनेगी। जेंडर बजटिंग पुलिस विभाग में लगातार चल रही है। इसी वित्तीय वर्ष में बहुत ज्यादा काम देखने को मिलेगा।

सुरक्षा के लिए जो महिलाकर्मियों को साजो-सामान दिए जाते हैं, वह भी पुरूषों के होते हैं। उनकी शारीरिक बनावट के अनुसार नहीं होने से बहुत दिक्कतें होती हैं ?
जी हां। यह सच है, लेकिन महिलाओं और पुरूषों दोनों के ट्रेनिंग का पैरामीटर एक जैसा ही है। यह सच है कि महिलाओं के हाथ छोटे होते हैं, जिससे ग्रिप कमजोर होती है। ट्रेनिंग के दौरान हमने बहुत से उपकरणों को महिलाओं की ग्रिप के लायक करवाया था और उसकी एक रिपोर्ट भी हेडक्वाटर भेजी थी।

महिलाओं को दी जाने वाली सुरक्षा सामग्री को कितना जरूरी समझती है कि यह महिलाओं के हिसाब से हो ?
जी हां। इसकी बहुत जरूरत है, खासकर लखनऊ रेंज में बहुत जल्द यह साजो-सामान उपलब्ध होगा। महिलाओं को दिए जाने वाले बाॅडी प्रोटेक्टर, जो हेलमेट का साइज है वह महिलाओं के हिसाब से होना चाहिए। जो लाठी है, वह भी महिलाओं के हिसाब से होनी चाहिए। इसके लिए भी प्रयास चल रहा है, आने वाले दिनों में बहुत जल्द यह उपलब्ध होगा।

आपको क्या लगता है कि महिला थाने की ज्यादा कारगर व्यवस्था है या थानों में महिला डेस्क का होना ?
महिला थाने प्रत्येक जनपद में कार्यरत है। इनका कार्यक्षेत्र बहुत सीमित है, जो दहेज प्रताड़ना, घरेलू हिंसा, पारिवारिक कलह जैसे मामलों को डील करता है। महिला थाने की पहुंच को बढ़ाने के लिए ही थानों में महिला डेस्क की शुरूआत हुई है। कई जनपदों में रिपोर्टिंग पुलिस चौकी या महिला थाना भी दूर की तहसीलों में बनाया गया है। महिला हेल्प डेस्क थानों में रिसेप्शन के तौर पर कार्य करता है। जो भी पीड़ित महिला थानों में आती हैं खासकर ग्रामीण इलाकों में, जहां पर महिलाओं को पता ही नहीं कि वो महिला थाना भी जा सकतीं हैं। वह अपने पास के थानों में ही पहुंचेंगी। थानों में पहुंचकर वो बैठे, उन्हें एक शांत माहौल मिले तथा वह मौजूद महिला पुलिसकर्मी को बिना झिझक सब कुछ बता सकें। इसके लिए महिला डेस्क की स्थापना हुई है। वर्तमान में यह व्यवस्था बहुत कारगर साबित हुई है।

महिला पुलिसकर्मी जब 8-10 घंटे की ड्यूटी करने के बाद देर रात अपने निजी वाहन से अकेल ही घर जाती हैं। क्या उनको लाने-ले जाने के लिए सरकारी गाड़ी मुहैया नहीं करवाई जा सकती जैसा कि निजी क्षेत्र में करवाई जा रही ? जिससे उनकी सुरक्षा को पुख्ता किया जा सके ?
आपका यह सुझाव बहुत ही अच्छा है और इस पर विचार-विमर्श के बाद हम जल्द ही इस प्रपोजल को पास करवाएंगे।