नई दिल्लीः दिल्ली में स्कूल कैब संचालकों ने सोमवार को एक दिन की सांकेतिक हड़ताल (school cab drivers strike) का आह्वान किया है, जिसका असर राजधानी करीब 1,700 प्राइवेट स्कूलों और 50-60 सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे करीब 4 लाख बच्चों और उनके परिजनों पर पड़ा। बच्चों को स्कूल लेकर जाने वाले प्राइवेट कैब यूनियन ने एक दिन की हड़ताल की वजह से कई पैरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर परेशान होते दिखाई दिए। कुछ लोग सुबह-सुबह ऑफिस की भागदौड़ के बीच बच्चों को स्कूल छोड़ने पहुंचे तो कई महिलाओं को भी परेशानी का सामना करना पड़ा।
ये भी पढ़ें..Gyanvapi Masjid: ज्ञानवापी केस में मुस्लिम पक्ष के वकील अभय यादव का निधन
उधर कैब संचालकों और उनके समर्थन में आए विभिन्न एसोसिएशन सुबह सात बजे से तीस हजारी स्थित क्वीन मेरी स्कूल सहित अन्य कई चौराहों पर अर्धनग्न होकर प्रदर्शन करेंगे और सांकेतिक रूप से कटोरा लेकर भीख मांगेंगे। स्कूल ट्रांसपोर्ट एकता यूनियन के अध्यक्ष रामचंद्र ने कहा, “हम किसी भी परिजन को सड़कों पर परेशान नहीं करेंगे और जब तक पुलिस और परिवहन विभाग द्वारा यह अभियान वापस नहीं लिया गया तो आगे की हम इससे बड़ी रणनीति तैयार करेंगे।”
कैब चालकों की मांग
कैब संचालकों ने मांग उठाई है कि परिवहन विभाग प्राइवेट स्कूल कैब्स को कमर्शियल कैब्स में बदलने की प्रक्रिया तुरंत शुरू करें, साथ ही संचालकों को कुछ समय देकर स्कूल कैब के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को बंद करें। अगर ऐसा नहीं किया गया तो आगे अनिश्चितकालीन हड़ताल (school cab drivers strike) की जा सकती है। कैब संचालकों का आरोप है कि इस अभियान के तहत उनकी गाड़ियों के 10 हजार से लेकर 25 हजार रुपये तक के चालान काटे जा रहे हैं और कई गाड़ियों को जब्त भी किया जा रहा है।
स्कूल कैब ट्रांसपोर्ट एकता यूनियन के अध्यक्ष रामटहल ने आरोप लगाया है कि निजी कैब चालकों को स्कूल कैब में तब्दील करने के लिए सरकार ने अब तक कोई विकल्प नहीं दिया। निजी स्कूली कैब को वाणिज्यिक वाहनों में बदलने के लिए परमिट देने की प्रक्रिया नहीं शुरू की गई है। रामटहल ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया बनाने से पहले इस तरह की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)