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प्रधानमंत्री ने स्टार्टअप के लिए की एक हजार करोड़ के सीड फंड की घोषणा, बोले ये बात

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि भारत ‘अब कौन करेगा की सोच से-हम करेंगे’ की सोच को अपना रहा है और इसमें स्टार्टअप जैसी ही प्रेरणा शक्ति है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘स्टार्टअप इंडिया अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए स्टार्टअप के लिए ‘सीड फंड’ लॉन्च किए जाने की भी घोषणा की। इसके तहत 1000 करोड़ रुपये के इस फंड के माध्यम से नए स्टार्टअप को स्थापित करने में मदद दी जाएगी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के माध्यम से स्टार्टअप से बातचीत की और ‘प्रारंभ: स्टार्टअप इंडिया अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन’ को संबोधित किया। सम्मेलन का आयोजन 15-16 जनवरी, 2021 को वाणिज्य तथा उद्योग मंत्रालय के उद्योग तथा आतंरिक व्यापार विभाग द्वारा किया गया है।

स्टार्टअप की ‘डिसरप्शन और डायवर्सिफिकेशन’ की ताकत का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इसने एक पटरी पर चलने की सोच को बदल दिया है और धीरे-धीरे अनेक क्षेत्रों में नई क्रांति लाते हुए नई चुनौतियों का सामना किया है। उन्होंने कहा कि भारत भी वर्तमान में स्टार्टअप की इसी सोच के साथ आगे बढ़ रहा है। पहले देश में कहा जाता था कि इस काम को कौन करेगा, अब कहा जाता है कि इसे हम करेंगे।

उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत धीरे-धीरे अपने बैरियर तोड़ रहा है। भीम यूपीआई ने देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। जेम पोर्टल के माध्यम से आज देश के 8000 से ज्यादा स्टार्टअप 23 सौ करोड़ का व्यापार कर रहे हैं और बड़ी-बड़ी कंपनियों के बराबर में खड़े हैं।

प्रधानमंत्री ने देश में स्टार्टअप को लेकर बदली सोच का जिक्र करते हुए कहा कि पहले स्टार्टअप शुरू करने को लेकर लोग सवाल पूछा करते थे लेकिन अब स्टार्टअप शुरू करने के लिए प्रेरित करते हैं। उन्होंने कहा कि देश में आज स्टार्टअप का माहौल बदला है और 2014 में जहां महज चार स्टार्टअप यूनिकॉर्न थे, अब 30 से ज्यादा स्टार्टअप 1 बिलियन डॉलर का दायरा पार कर चुके हैं। इनमें से महज 11 स्टार्टअप कोरोना काल में ही इस मुकाम पर पहुंचे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि स्टार्टअप ने कोरोना कॉल में ‘आपदा को अवसर में बदला है और विपदा में लोगों में विश्वास बांधा है।’ इसी के चलते रसोई से लेकर दवा तक हर स्थानीय जरूरत के लिए स्टार्टअप की एक नई फौज तैयार हुई है।

अगली सदी को एशिया की सदी बताते हुए प्रधानमंत्री ने बंगाल की खाड़ी से जुड़े देशों के संगठन बिम्सेटक के बीच सहयोग को मजबूत करने पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले समय में नई तकनीक और इस क्षेत्र में नेतृत्व करने वाले लोग एशिया से होंगे। ऐसे में बिम्सटेक देशों के बीच संसाधन और सहयोग महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि बिम्सटेक देश रक्षा, आपदा, पर्यावरण, कृषि और व्यापार क्षेत्र में मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में सहयोग बढ़ रहा है वहां स्टार्टअप को भी मदद मिल रही है।

स्टार्टअप को युवा शक्ति से जोड़ते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनमें भविष्य को लिखने की ताकत है। भारत का स्टार्टअप इंडिया मिशन युवाओं का, युवाओं के द्वारा और युवाओं के लिए ही बना कार्यक्रम है। इसका मकसद देश में बड़े वैश्विक स्टार्टअप और भविष्य के नेतृत्वकर्ता तैयार करना है।

देश में स्टार्टअप वातावरण का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में 41 हजार से ज्यादा स्टार्टअप है। इनमें से 51 सौ आईटी क्षेत्र, 36 सौ स्वास्थ्य और 1700 कृषि क्षेत्र में हैं। इन स्टार्टअप में बिजनेस के डेमोग्राफिक कैरिकेचर को बदलने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि स्टार्ट में छोटे-छोटे शहरों का भी योगदान है। भारत के हर राज्य में इन्हें स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप मदद पहुंचाई जा रही है। देश के 45 प्रतिशत स्टार्टअप टायर टू और टायर 3 शहरों से हैं।

एवरग्रीन फूड और एग्रीकल्चर क्षेत्र में स्टार्टअप को आगे आने के लिए प्रेरित करते मोदी ने कहा कि सरकार ने हाल ही में 1 लाख करोड़ का एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रचर फंड तैयार किया है।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अगस्त, 2018 में काठमांडू में आयोजित चौथे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में बिम्सटेक स्टार्टअप सम्मेलन आयोजित करने का संकल्प व्यक्त किया था। यह सम्मेलन 16 जनवरी को प्रधानमंत्री द्वारा लॉन्‍च की गई स्टार्टअप इंडिया पहल की 5वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित किया गया। 25 से अधिक देशों तथा 200 से अधिक वैश्विक वक्ताओं की भागीदारी के साथ स्टार्टअप इंडिया पहल लॉन्‍च किये जाने के बाद से भारत सरकार द्वारा आयोजित यह सबसे बड़ा स्टार्टअप सम्मेलन है। इसमें 24 सत्र आयोजित किये गए। इनका फोकस वैश्विक स्तर पर सामूहिक रूप से स्टार्टअप इकोसिस्टम को विकसित करने और मजबूत बनाने के लिए पूरे विश्व के देशों के साथ द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाना है।

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