Home आस्था अनमोल विचारः जितना बड़ा होगा संघर्ष, जीत उतनी ही होगी शानदार

अनमोल विचारः जितना बड़ा होगा संघर्ष, जीत उतनी ही होगी शानदार

नई दिल्लीः ‘अनमोल’ का अर्थ होता है, जिसका कोई मोल न हो। हमारे जीवन में विचारों का बहुत बड़ा महत्व होता है और निरंतन अध्ययन से नित नए विचारों का जन्म भी होता है। जब व्यक्ति सफलता-असफलता के भंवर में गोते लगा रहा होता है, तो महापुरूषों के विचार ही उसे खेवैया बनकर किनारे लगा सकते हैं। भारतीय इतिहास में तमाम महापुरूष हुए और उन्होंने अनमोल विचारों का संग्रह भी किया, जो आज इस आधुनिकता के दौर में भी पूरी तरह प्रासंगिक हैं। स्वामी विवेकानंद सन्यासी होने के साथ-साथ एक महान विचारक भी थे, जिनके विचार आज भी देश-दुनिया के करोड़ों युवाओं का पथ प्रशस्त कर रहे हैं। उनके विचारों को यदि कोई भी युवा आत्मसात कर ले, तो उसे सफलता मिलनी सुनिश्चित है।

स्वामी विवेकानंद कहते थे कि जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी। ऐसे में किसी भी व्यक्ति को संघर्षों से कभी भी मुंह नही मोड़ना नही चाहिए, क्योंकि व्यक्ति को संघर्ष के समय ही अच्छे-बुरे की पहचान होती है। यदि आपने ऐसी अवस्था में संयम बनाए रखा, तो आपकी जीत शानदार होगी और उसकी प्रषंसा भी होगी। स्वामी जी कहते थे कि जैसा तुम सोचते हो, वैसे ही बन जाओगे। खुद को सबल मानोगे, तो सबल ही बन जाओगे। अर्थात आपकी भाव-भंगिमा, आपका जीवन सिर्फ आपकी सोच पर ही निर्भर करता है। आप जिस तरीके से सोचते हैं, आपका जीवन भी उसी दिशा में अग्रसर हो जाता है। कभी भी अपने आपको दीन-हीन न समझें और निरंतर कठोर परिश्रम करते रहें। यदि आपने इसमें निरंतरता बनाए रखी, तो निश्चित ही आप कोहिनूर बनकर चमकेंगे। वह कहते थे कि खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है। यदि आप स्वयं को किसी भी तरह से कमजोर समझते हैं, तो आप सबसे बड़ा पाप कर्म कर रहे हैं।

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स्वामी विवेकानंद जी का कहना था कि जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते, तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते। यदि आपका स्वयं पर विश्वास है तो ही अन्य चीजों को शाश्वत मान सकते हैं। यह बात किसी भी व्यक्ति के सफलता-असफलता की प्रमुख कुंजी होती है और हर किसी को इसका अनुसरण करना चाहिए। स्वामी जी कहते थे कि हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि आप क्या सोचते हैं। यदि आप निरंतर यह सोचते रहेंगे कि अमुक काम मैं नही कर सकता, मैं यह लक्ष्य हासिल नही कर सकता तो आपकी बुद्धि भी कुंद हो जाएगी। आपके सोचने का दायरा सीमित हो जाएगा और फिर आपको वही दिखाई देगा, जहां हमेशा आपको निर्बलता का ही अहसास होगा। एक समय में एक काम करो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ। यदि आपने ऐसा करना जारी रखा तो शत-प्रतिशत लक्ष्य मिलना तय है।

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