आस्था बिजनेस

छठ पर्व की तैयारियां शुरू, सूप और पूजन सामग्री की खरीदारी तेज

Kolkata: Devotees perform rituals on the banks of Ganga river during Chhath Puja celebrations, in Kolkata on Nov 3, 2019. (Photo: Kuntal Chakrabarty/IANS)

वाराणसी: उत्सव प्रिय बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में दीपावली पर्व के बाद अब सूर्योपासना के पर्व डाला छठ की तैयारियां शुरू हो गई हैं। घरों में भी महिलाएं पूजन सामग्री सूप, देउरा, फल और अन्य सामानों की खरीदारी में जुट गई हैं। लोक उपासना के पर्व का उत्साह घरों और बाजारों में दिखने लगा है। कोविड संकट काल में सार्वजनिक पूजा खासकर गंगा तट पर पूजा को लेकर अभी उहापोह की स्थिति है। जिलाधिकारी ने अभी पूजा को लेकर कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिया है। माना जा रहा है कि शाम तक जिला प्रशासन इस बारे में कोई निर्णय लेगा।

कोरोना काल को देख लोग अपने मोहल्ले और गांव के तालाब और कुंड पर पूजा करने के लिए अपने को तैयार कर रहे हैं। कई मोहल्लों और गांवों में तालाब के किनारे साफ-सफाई भी हो रही है। लोग अपने घरों के छतों पर भी वेदी और पानी का अस्थायी कुंड बनाने के इंतजाम में लगे हुए हैं। बनारस रेल इंजन कारखाना (डीरेका) के सूर्य सरोवर पर भी पर्व मनाने की तैयारी हो रही है। इस बार सरोवर पर भीड़ को रोकने के लिए बरेका प्रशासन सतर्क है। यहां आने वाले लोगों की कोरोना जांच होगी। तभी पूजा की अनुमति मिलेगी। बरेका छठ पूजा समिति के अनुसार इस बार सभी कोरोना औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद व्रती महिला के साथ मात्र दो सहयोगियों को ही सरोवर पर आने की अनुमति होगी।

चार दिवसीय पर्व की शुरूआत नहाय खाय से

जनमानस में गहरी पैठ बना चुके भगवान भाष्कर और छठ मइया के उपासना का चार दिवसीय डाला छठ पर्व बुधवार से नहाय खाय के साथ शुरू होगा। महिलाएं अलसुबह स्नान ध्यान के बाद भगवान भास्कर की आराधना कर व्रत की शुरूआत करेगी। पहले दिन आम की लकड़ी से मिट्टी के चूल्हे पर नये अरवा चावल का भात, चने का दाल, कद्दू की सब्जी बना कर छठी मइया को भोग लगायेंगी। शाम को इसे प्रसाद के रूप में वितरण कर स्वयं भी ग्रहण करेंगी।

गुरुवार को खरना के दिन व्रती महिलाएं दिन भर निर्जल उपवास रखकर छठी मइया का ध्यान करेंगी। संध्या समय में स्नान कर छठी मइया की पूजा विधि विधान से करने के बाद उन्हें रसियाव, खीर, शुद्ध घी लगी रोटी, केला का भोग लगायेंगी। फिर इस भोग को स्वयं खरना करेंगी। खरना के बाद सुहागिनों की मांग भरकर उन्हें सदा सुहागन रहने का आशिष देंगी। इसके बाद खरना का प्रसाद वितरित किया जायेगा। फिर 36 घंटे का निराजल कठिन व्रत शुरू होगा ।

यह भी पढ़ेंः-शाह ने सोनिया और राहुल पर बोला जोरदार हमला, लगाए ये गंभीर आरोप

व्रत में शुक्रवार को महिलाएं छठ मइया की गीत गाते हुए सिर पर पूजा की देउरी रख गाजे बाजे के साथ सरोवर नदी गंगा तट पर जायेंगी। यहां समूह में छठ मइया की कथा सुन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर घर लौटेंगी। शनिवार को उदयाचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करेंगी। उल्लेखनीय है कि कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी तिथि के दिन पड़ने वाले सूर्योपासना व्रत का प्रारंभ दीपावली के छठवें दिन से प्रारंभ हो जाता है। यह सप्तमी तिथि के दिन भगवान भाष्कर को अर्घ्य देने के बाद समाप्त होता है।