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गूगल बॉय के नाम से मशहूर नेत्रहीन दीपू दृष्टिबाधितों को दे रहे 'नई रोशनी'

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रायबरेली: जन्म से ही अपनी आंखों की रोशनी खो देने वाले दीपू पटेल ने दृष्टिबाधितों को एक नई रोशनी दी है। यह रोशनी उन्हें तकनीक के जरिये ऐसी राह दिखाएगी जिससे दृष्टिबाधित भी आम लोगों की तरह इसका फ़ायदा उठा सकते हैं। दीपू रायबरेली में शिवगढ़ के शिवदयाल खेड़ा निवासी है। गूगल बॉय के रूप में मशहूर हो चुके नेत्रहीन दीपू पटेल ने 'आईटीएफ 24' नाम से एक ऐप बनाया है जिससे दृष्टिबाधित लोग आसानी से अपनी जरूरत की वेबसाइटों को न केवल सर्च कर सकेंगे बल्कि दूसरों से चैट भी कर सकेंगे। इस ऐप में कई बेहतरीन और अपडेट फ़ीचर हैं जिसके माध्यम से नेत्रहीन वीडियो अपलोड व 'असिस्टिव रूम' पर जाकर अपनी समस्या को शेयर कर उसका तुरन्त समाधान पा सकता है। इस ऐप में नेत्रहीनों के लिए जरूरी सारी तकनीकी सेवायें एक ही जगह पर मिल सकती हैं। इसमें क्लिक करने पर दुनिया भर की सभी वेबसाइटों को खोजा जा सकता है। दीपू ने इसमें कई नए फ़ीचर भी अपडेट किये हैं जिसमें टेक यूट्यूब पर जाकर यूट्यूब के चैनलों को आसानी से सर्च किया जा सकता है। इसमें 10 फ़ीचर हैं जो कि दृष्टिबाधितों के लिए बड़े काम के हैं। इस ऐप की एक बड़ी ख़ासियत यह भी है कि इसमें एक ईजी ट्रांसलेटर नामका एक फीचर भी है जिसके माध्यम से किसी भी भाषा के शब्दों के अनुवाद को जाना जा सकता है। इस ऐप से दृष्टिबाधितों को देश और दुनिया की खबरें भी आसानी से जानने के लिए केवल न्यूज़ वर्ल्ड को क्लिक करना पड़ेगा। इसमें वह खबरों को पढ़ने के साथ साथ सुन भी सकते हैं। यह भी पढ़ें- डिजिटल मोड से ट्रांजेक्शन पर वसूले गए शुल्क तुरंत वापस करे बैंक: सीबीडीटी दीपू इस ऐप के अलावा दृष्टिबाधितों के लिये अन्य कई तकनीकी मदद कर रहे हैं। इसके लिये उन्होंने इंडिया असिस्टेटिव टेक्नोलॉजी फाउंडेशन नाम की संस्था बनाई है जिसके माध्यम से वह नई नई तकनीकों की खोज कर रहे हैं जिससे दृष्टिबाधितों को उनके अनुकूल तकनीक आधारित मदद दी जा सके। दीपू पटेल ने बताया कि जन्म से ही नेत्रहीन होने की वजह से उन्हें पता है कि दृष्टिबाधितों के लिए तकनीक का क्षेत्र सीमित है जिसे वह आसान करने का निरन्तर प्रयास कर रहे हैं। दृष्टिबाधितों की मदद के लिये रिसर्च करना चाहते हैं दीपू  रायबरेली में शिवगढ़ के शिवदयाल खेड़ा निवासी दीपू पटेल जन्म से ही बेहद प्रतिभाशाली है वह पढ़ाई पूरी करने के बाद दृष्टिबाधितों के लिए रिसर्च करना चाहते हैं। बिना ब्रेल लिपि के गांव के स्कूल में ही प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद दीपू ने चित्रकूट के तुलसी प्रज्ञाचक्षु विद्यालय से इंटरमीडिएट की परीक्षा 2017 में मेधावी छात्र के रूप में पास की। यह भी पढ़ेंसीएम योगी ने कहा- दुनिया के अन्य बड़े देशों की तुलना में हम बेहतर, जरूर जीतेंगे जंग मध्यप्रदेश सरकार द्वारा उन्हें प्रमाणपत्र के साथ 25 हजार का पुरस्कार भी दिया गया। चित्रकूट के ही रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय में उन्हें स्नातक के साथ कम्प्यूटर की गहन जानकारी ली। वह एआईटी स्टेनोग्राफी में भी राष्ट्रीय दृष्टि बाधित संस्थान से टॉप कर चुके हैं। कंप्यूटर शिक्षा में प्रवीण दीपू रिसर्च में जुटे हैं,वह दृष्टिबाधित बच्चों के लिए ऐसी पुस्तकें तैयार करने में लगे है जिससे पेज पर लगे ऑडियो फॉन्ट के माध्यम से पुस्तकें आसानी से पढ़ी जा सकें। इसके अलावा दीपू कई अन्य तरह के शोध में भी जुटे है जो दृष्टिबाधितों के जीवन को आसान बनाती हैं।