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OBC आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र में गरमाई सियासत, भाजपा ने राज्य सरकार पर साधा निशाना

मुंबईः महाराष्ट्र में ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से रोक लगाए जाने के बाद सूबे में राजनीति गरमा गई है। सत्तापक्ष व विपक्ष इस मुद्दे पर एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। विपक्ष ने इस मुद्दे पर राज्यव्यापी प्रदर्शन का आयोजन किया जा रहा है, जबकि मंत्री छगन भुजबल ने केंद्र सरकार पर ओबीसी आरक्षण खत्म करने की दिशा में काम करने का आरोप लगाया है।

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पूर्व मंत्री ने आरक्षण खत्म करने का लगाया आरोप

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता व पूर्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने राज्य सरकार पर ओबीसी का राजनीतिक आरक्षण खत्म करने का आरोप लगाया है। बावनकुले ने मंगलवार को पत्रकारों को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को ओबीसी आरक्षण के लिए इम्पिरेकिल डाटा लाने को कहा था लेकिन राज्य सरकार सिर्फ केंद्र सरकार पर निशाना साधती रही, इम्पिरेकिल डाटा प्राप्त करने का प्रयास नहीं किया। इसी वजह से सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी का राजनीतिक आरक्षण रद्द कर दिया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने भी इसके लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार बताया है और जब तक ओबीसी समाज को राजनीतिक आरक्षण नहीं मिल जाता, तब तक स्थानीय स्तर पर चुनाव न कराए जाने की मांग की है।

भाजपा की ओर से मंगलवार को मुंबई, पुणे, कोल्हापुर सहित अन्य शहरों में ओबीसी आरक्षण के लिए प्रदर्शन किया। भाजपा विधायक गोपीचंद पडलकर ने कहा कि उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के मन में ओबीसी समाज के प्रति द्वेष की भावना है, इसी वजह से अजीत पवार ओबीसी समाज को आरक्षण न मिले इस तरह की भूमिका अपना रहे हैं। इसका खामियाजा ओबीसी समाज को भुगतना पड़ रहा है।

समाज को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए

इसी तरह की दिक्कत केंद्र सरकार के समक्ष भी है, इसी वजह से केंद्र सरकार ने 10 साल में एक बार होने वाली जनगणना को अभी तक शुरू नहीं किया है। छगन भुजबल ने कहा कि ओबीसी समाज की जनसंख्या 54 फीसदी है, इसलिए इस समाज को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए। भुजबल ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार के प्रशासन तथा राज्य पिछड़ा वर्ग को इस मामले को प्रथम प्राथमिकता देते हुए तत्काल इम्पिरेकिल डाटा उपलब्ध करने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही भाजपा नेताओं को अपनी ही पार्टी के लोगों को ओबीसी आरक्षण का विरोध करने के लिए कोर्ट में जाने से रोकना चाहिए।

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