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नशे पर पुलिस का प्रहार, 15 करोड़ 18 लाख की ड्रग्स बरामद, 5 गिरफ्तार

इंदौर: पुलिस द्वारा नशे के खिलाफ अभियान चलाते हुए नशे के सौदागरों की धरपकड़ की जा रही है। इसी कड़ी में करीब 15 करोड़ 18 लाख रुपये की ड्रग्स चंदन नगर पुलिस ने बरामद करते हुए गिरोह के सरगना सहित पांच आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इनके अल्प्राजोलम पाउडर से नकली ब्राउन शुगर बनाते थे। इनके पास से 1 क्विंटल 51 किलोग्राम नशीला पदार्थ और 4 लाख रुपये नकद बरामद किए गए। पुलिस को आरोपितों से पूछताछ में पता चला कि इनके तार राष्ट्रीय स्तर पर भी भी जुड़े हैं।

पुलिस उपायुक्त जोन-4 राजेश कुमार सिंह ने रविवार को बताया कि चंदन नगर पुलिस को मुखबिर द्वारा सूचना मिली थी कि दो व्यक्ति अवैध मादक पदार्थ बेचने सिरपुर तालाब की पाल पर खड़े हैं। इस पर पुलिस की टीम ने घेराबन्दी कर मोहम्मद आरिफ पुत्र मोहम्मद हुसैन निवासी भवानी नगर सांवेर रोड, बाणगंगा तथा कार्तिक पुत्र पुष्पराज बघेल निवासी मुखर्जी नगर बाणगंगा को पकड़कर इनके पास से एक से 1 किग्रा व दूसरे से 15 ग्राम अल्प्राजोलम से तैयार अवैध मादक पदार्थ (ब्राउन शुगर जैसा) जब्त किया।

पूछताछ में हुआ खुलासा

आरोपितों ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि हम दोनों अजय जादोन, कोमल सहरिया व दिनेश राठौर से खरीदकर अवैध मादक पदार्थ को अलग अलग जगह पर बेचते हैं, जो तीनों मादक पदार्थ का विस्तृत भण्डार आरएनटी मार्ग पर स्थित चेतक सेंटर के तीन आफिसों पर रखते हैं।

ऑफिस से पकड़ाए तीन आरोपित

इस जानकारी के बाद अधिकारियों के निर्देश पर अलग-अलग टीमों ने आरएनटी मार्ग पर दबिश देकर अजय (43) पुत्र सूरज सिंह जादोन निवासी नार्थ गाडराखेडी मरीमाता, कोमल सिंह (48) पुत्र भरोसे सिंह सहरिया निवासी नरवल सांवेर रोड और दिनेश (43) पुत्र देवीसिंह राठौर निवासी भवानी नगर सांवेर रोड बाणगंगा को पकड़ा।

यह किया बरामद

तीनों आरोपियों ने चेतक सेंटर स्थित तीनों ऑफिसों से 150 किलो 800 किलोग्राम अल्प्राजोलम से तैयार अवैध मादक पदार्थ ब्राउन शुगर जैसा तथा 4 लाख रुपये नगद, एक नोट गिनने की मशीन, एक मिक्सर, बड़े टब, प्लास्टिक के ड्रम, मुंह पर लगाने के मास्क, इलेक्ट्रोनिक वेट मशीन, चम्मच, खुर्पा और छन्नी जब्त किया।

सप्लायर राघव की तलाश

आरोपी कोमल एवं अजय जादोन से पूछताछ पर उन्होंने बताया कि हम उक्त नशीला पदार्थ उत्तरप्रदेश के मुजफफर नगर से लाते हैं व इसमें पेरासीटामोल मिलाकर दुगना कर देते हैं। तीनों आफिसों के बारे में जानकारी ली जो अजय द्वारा बताया कि यह तीनों आफिस राघव के नाम से किराये पर हैं, राघव ही उक्त माल को अन्य जिलों में सप्लाय करता है जो अभी फरार है, जिसकी तलाश जारी है।

उप्र में बनाना सीखा

आरोपी कोमल ने पूछताछ पर बताया कि मैं पहले मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश में अन्य सरगना के साथ फैक्ट्री पर काम करता था जहां उक्त नशीला पदार्थ बनाया जाता है तो मैंने वहीं इसे बनाना सीखा था, वहीं से हमारे यहां माल सप्लाय होता है जिसे हम दुगुना कर सप्लाय करते हैं।

ब्राउन शुगर से भी ज्यादा नशीला

पुलिस के अनुसार आरोपित कोमल से मादक पदार्थ निर्माण के संबंध में पूछा तो बताया कि हम रॉ मटेरियल से उक्त नशीला पदार्थ बनाते हैं इसके लिये काफी लम्बी प्रोसेस है, इस पाउडर को हम एपीजेड कहते हैं जो ब्राउन शुगर से भी ज्यादा नशीला व शरीर के लिये हानिकारक हो जाता है, यह काफी मंहगा पडता है इसके लिये हम इसमें पैरासीटामोल का पाउडर मिला देते हैं, जिससे यह दुगना हो जाता है।

पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र तक सप्लाई

आरोपी ने पुलिस को बताया कि इस मादक पदार्थ को ब्राउन शुगर के रूप में बाजार में विशेषकर मंदसौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, सागर आदि एवं मध्यप्रदेश के बाहर महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब में सप्लाई करते हैं, जो वास्तव में अल्प्राजोलम पाउडर से बना नशीला पदार्थ होता है । जिसकी अंतर्राष्ट्रीय कीमत एक किलोग्राम की 1 करोड के लगभग होती है किन्तु हम उसे करीब 10-12 लाख रुपए में मार्केट में सप्लाई करते हैं, पूरा मैनेजमेंट राघव देखता है राघव ने पॉट्री फिड का लायसेंस ले रखा है जिसकी आड़ में उक्त मादक पदार्थ का व्यवसाय करते हैं।

मुर्गी पालन में उपयोग करते हैं

पुलिस के अनुसार जब्त पदार्थ हेक्सा मिथाइल टेट्रामाइन, डोमपेरिडोन, क्लोसिपिन और क्लोसुटिन सल्फेट है। एक आरोपी ने बताया कि क्लोसिपिन का मुर्गी पालन केंद्रों पर उपयोग होता है। आर्थिक लाभ के लिए मुर्गियों को कम समय में और कम खाना देकर जल्दी मोटा करने के लिए इसका उपयोग करते हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने मुर्गी पालन, एक्वा फार्मिंग और पशु चारा अनुपूरक आहार में इसका उपयोग करने पर रोक लगा रखी है।

जांच में उलझी एजेंसियां

पुलिस पहले जब्त माल को मिथाइलीन डाइऑक्सी मेथैमफेटामाइन (एमडीएमए) समझकर जांच में उलझी रही। आरोपितों से सख्ती की लेकिन वे स्पष्ट जानकारी नहीं दे पाए। पुलिस ने परख के लिए नारकोटिक्स व क्राइम ब्रांच की मदद ली, लेकिन अधिकारी यह साफ नहीं कर पाए कि जब्त पदार्थ वास्तव में क्या है? बाद में आरोपियों से पूछताछ और जांच के बाद केस दर्ज किया गया।

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