नई दिल्लीः देश के नागरिकों को सस्ती कीमत पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू की गई प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि (PMBJK) केन्द्रों की संख्या 9000 से भी अधिक हो गई है। केन्द्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय की ओर से शनिवार को दिये गए आंकड़ों के मुताबिक दिसम्बर तक देश भर के 766 जिलों में से 743 जिलों में अबतक 9,000 से अधिक प्रधानमंत्री जनऔषधि के स्टोर खोले जा चुके।
ये भी पढ़ें..भाजपा सांसद कटारिया बोले, मोदी सरकार किसानों व कृषि सहायता के लिए हर सम्भव प्रयास कर रही
PMBJK में 1759 दवाएं और 280 सर्जिकल उपकरण शामिल किए गए हैं। केन्द्र सरकार ने मार्च 2024 तक प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों (PMBJK) की संख्या बढ़ाकर 10,000 करने का लक्ष्य रखा है। पीएमबीजेपी के तहत उपलब्ध दवाओं की कीमत ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 50 से 90 प्रतिशत तक कम होती है। मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2021-22 में करीब 893.56 करोड़ रुपये की दवाएं बेची गईं, जिससे आम लोगों को 5300 करोड़ रुपये की बचत हुई है।
वहीं चालू वित्त वर्ष 2022-23 में इन केन्द्रों पर 758.69 करोड़ रुपये की बिक्री हुई, जिससे लोगों के 4500 करोड़ रुपये की बचत हुई। अधिकारियों का कहना है कि बिक्री में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है, जो जन औषधि केन्द्रों की व्यापक स्वीकृति को दर्शाती है। मंत्रालय के मुताबिक जनऔषधि केन्द्रों पर सेनेटरी नैपकिन एक रुपये में बेचे जाते हैं। अबतक देश भर में प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों पर 31.40 करोड़ जनऔषधि सुविधा सेनेटरी पैड बेचे जा चुके हैं।
क्या है कि प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केन्द्र
यह योजना स्थायी और नियमित कमाई के साथ स्वरोजगार का अच्छा स्रोत प्रदान कर रही है। इस योजना के तहत जनऔषधि केंद्रों को खोलने के लिए केन्द्र सरकार 5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इसके अलावा उत्तर-पूर्वी राज्यों, हिमालयी क्षेत्रों, द्वीप क्षेत्रों, नीति आयोग द्वारा घोषित आकांक्षी जिले, महिला उद्यमी, पूर्व सैनिक, दिव्यांग एवं अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों की ओर से खोले गए जनऔषधि केंद्रों के लिए अतिरिक्त दो लाख रुपये प्रदान किए जाते हैं।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)