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प्रधानमंत्री मोदी की शैली ने लोगों का मन मोहा

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हाल ही में केन्द्र में सत्ता संभाले आठ साल पूरे हुए हैं। उन्होंने अपने दूसरे कार्यकाल की शपथ 30 मई, 2019 को प्रचंड बहुमत हासिल करने के बाद ली थी। इन आठ वर्षों में पीएम मोदी की अगुवाई में केन्द्र सरकार ने अपना सर्वस्व सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण को समर्पित करते हुए यह सुनिश्चित किया है कि तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक आसानी से पहुंचे और उन्हें हर योजना के बारे में पूरी जानकारी हो। उन्होंने अपनी राष्ट्र प्रथम नीति के तहत सत्ता को सेवा का जरिया मानते हुए गरीबों और वंचितों के लिए अथक प्रयास किए जिससे जनमानस का लोकतंत्र में एक अलग ही विश्वास पैदा हुआ है और वे देश की ऐतिहासिक विकास की यात्रा में सहभागी बने हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और सबल नेतृत्व से देश को न सिर्फ राजनीतिक मोर्चे पर एक नई स्थिरता दी है बल्कि आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक मोर्चों पर भी एक नए विमर्श को जन्म दिया है।उन्होंने प्रधानमंत्री जन-धन योजना, जन सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, आयुष्मान भारत योजना, अटल पेंशन योजना, आत्मनिर्भर भारत योजना जैसी कई महत्वाकांक्षी योजनाओं को अंजाम दिया है।इससे लोगों में नया आत्मविश्वास जागृत हुआ है। आज उनकी छवि भारतीय इतिहास में सबसे मजबूत और निडर प्रधानमंत्री के रूप होती है। ईमानदारी, कठोर परिश्रम और कठोर फैसले लेना उन्हें एक बेहद ही करिश्माई नेता बनाती है।

सरकारें योजनाएं पहले भी शुरू करती थीं। लेकिन भ्रष्ट रवैये के कारण जरूरमतमंदों को इसका कोई खास लाभ नहीं मिल पाता था। हालांकि लोगों के इसी आक्रोश ने 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को नेस्तनाबूद कर दिया और उन्होंने अपने प्रधानमंत्री के रूप में मोदी को चुना। उनके कुशल नेतृत्व को इस विमर्श से समझा जा सकता है कि आज देश के पास संसाधन भी वही हैं और अधिकारी भी वही हैं। लेकिन नतीजे काफी सार्थक आ रहे हैं। इसकी वजह यह है कि अधिकारी हों या लाभार्थी, वह आनन-फानन में किसी से भी संवाद कर लेते हैं। इस वजह से पूरी सरकारी मशीनरी में भ्रष्टाचार को लेकर भय का माहौल बना है। प्रधानमंत्री मोदी की सबसे बड़ी खासियत जनता से सीधा संवाद करना है। बात चाहे नोटबंदी की हो या जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की या कोरोना महामारी के दौरान परिस्थितियों को संभालने की। उन्होंने मुश्किल हालातों में अपनी संवाद शैली से हमेशा लोगों का विश्वास जीता है और उन्हें अपने प्रयास में जनभागीदारी के लिए प्रेरित किया है।

आजादी के सात दशक के बाद भी देश के करोड़ों लोगों के पास बैंकिंग की सेवा उपलब्ध नहीं थी। इस बुनियादी समस्या को सुलझाने के लिए उन्होंने जन-धन योजना की शुरुआत की और उसे आधार और मोबाइल के जरिए नई ऊंचाई प्रदान की। इस पहल ने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई और अब लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे मिल रहा है। इसी कड़ी में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का उल्लेख करना भी जरूरी है, जिसने देश में जनसंवाद को बढ़ावा देने में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस योजना की शुरुआत जुलाई 2015 में हुई थी। इसका लक्ष्य देश में बेहद ही सुरक्षित और स्थिर डिजिटल ढांचे को विकसित करते हुए सरकारी सेवाओं की पहुंच को आसान बनाना और जनसामान्य को डिजिटल साक्षरता प्रदान करना है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ने मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और स्टैंडअप इंडिया जैसी कई अन्य महत्वाकांक्षी योजनाओं को भी मजबूती दी है और तकनीक के माध्यम से सरकार में सुधार के लिए दरवाजे खोले हैं। इस योजना ने लोगों को डिजिटल भुगतान, ई-केवाईसीए, डिजी लॉकर, इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर प्रणाली का विकल्प देते हुए पूरी भारतीय अर्थव्यवस्था की तस्वीर ही बदल डाली है। बेशक इस राह में डिजिटल निरक्षरता एक बड़ी समस्या है। लेकिन हमें पूरा विश्वास है कि आने वाले समय में वैज्ञानिक सोच और समन्वय के साथ इस समस्या को भी आसानी से हल कर लिया जाएगा।

प्रधानमंत्री मोदी नई तकनीक और आधुनिकता को अपनाते हुए कामकाज में पारदर्शिता और तेजी तो लाए ही हैं, साथ ही भारतीय परंपरा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए योग, आयुर्वेद संग्रहालय आदि के महत्व को भी प्रोत्साहित करने के लिए कई उल्लेखनीय कदम उठाए हैं। इससे पूरी दुनिया के लोग भारतीय जीवनशैली को अपनाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। यह महसूस करना भी जरूरी है कि आज उनकी सुधारवादी नीतियों के कारण लोगों की उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं और उन्हें अतीत की उदासी और निराशाओं को लोगों के जीवन से हमेशा के लिए दूर करने के लिए आने वाले समय में और अधिक मेहनत से काम करना होगा। ताकि आजादी के अमृतकाल में भारत वैश्विक पटल पर उन आयामों को छू सके, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी।

डॉ. विपिन कुमार