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पीएम मोदी ने बांग्लादेश के जेशोरेश्वरी मंदिर में दान किया था मुकुट, चोरी हो गया है

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Dhaka Bangladesh: बांग्लादेश में अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद बनी अंतरिम सरकार PM Modi द्वारा काली मां को भेंट स्वरूप दिए गए मुकुट की देखभाल नहीं कर सकी। इसे चोरी कर लिया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने 2021 में कोरोना काल के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के दौरान बांग्लादेश पहुंचकर प्रमुख शक्तिपीठ जेशोरेश्वरी मंदिर में विराजमान मां काली के चरणों में मुकुट भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया था। यह मुकुट गुरुवार दोपहर चोरी हो गया।

 52 शक्तिपीठों में से एक है ये मंदिर

राजधानी ढाका से प्रकाशित अखबार द डेली स्टार की खबर के मुताबिक यह मंदिर बांग्लादेश के सतखीरा के श्यामनगर में स्थित है। जेशोरेश्वरी मंदिर के पुजारी दिलीप मुखर्जी ने बताया है कि दिनभर की पूजा पूरी करने के बाद वह दोपहर करीब दो बजे मंदिर से बाहर निकले। कुछ ही देर बाद मंदिर का सफाई कर्मचारी परिसर में दाखिल हुआ। थोड़ी देर बाद उसकी नजर काली मां पर पड़ी। मुकुट गायब देख वह दंग रह गया। प्रधानमंत्री मोदी ने 27 मार्च, 2021 को जेशोरेश्वरी मंदिर का दौरा किया था। उन्होंने मां काली के सिर पर उपहार स्वरूप मुकुट रखा था। यह मंदिर हिंदू धर्म के 52 शक्तिपीठों में से एक है।

सीसीटीवी (CCTV) खंगाल रही पुलिस

श्यामनगर थाने के इंस्पेक्टर तैजुल इस्लाम ने घटना की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि मुकुट चुराने वाले की पहचान के लिए मंदिर के सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है। कई पीढ़ियों से मंदिर की देखभाल कर रहे परिवार की सदस्य ज्योति चट्टोपाध्याय ने कहा कि मुकुट चांदी का बना था और उस पर सोने की परत चढ़ी हुई थी। उल्लेखनीय है कि यह घटना प्रमुख हिंदू त्योहार शारदीय नवरात्रि के दौरान हुई। नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। देवी का एक रूप मां काली का भी है।

प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने कहा था…

अपने दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि भारत इस मंदिर में एक बहुउद्देशीय सामुदायिक हॉल बनाएगा। इस हॉल का इस्तेमाल स्थानीय नागरिक सामाजिक, धार्मिक और शैक्षणिक आयोजनों के लिए कर सकेंगे। साथ ही यह बहुउद्देशीय सामुदायिक हॉल चक्रवात जैसी आपदाओं के समय सभी के लिए आश्रय का काम करेगा।

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12वीं शताब्दी के अंत में निर्मित

जेशोरेश्वरी शक्तिपीठ के लिए 100 कमरों वाला यह मंदिर 12वीं शताब्दी के अंत में अनारी नामक ब्राह्मण द्वारा बनवाया गया था। 13वीं शताब्दी में लक्ष्मण सेन ने इसका जीर्णोद्धार करवाया और 16वीं शताब्दी में राजा प्रतापदित्य ने इसका पुनर्निर्माण करवाया।

भगवान शिव चंदा के रूप में प्रकट होते हैं

एक किंवदंती है कि देवी सती के हथेलियाँ और पैरों के तलवे इस शक्तिपीठ में गिरे थे। देवी यहाँ माँ जेशोरेश्वरी के रूप में निवास करती हैं। भगवान शिव चंदा के रूप में प्रकट होते हैं। यह मंदिर माँ काली को समर्पित है।

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