नई दिल्लीः तिरंगा मतबल देश की आन शान बान । तिरंगे कितना महत्वपूर्ण है ये एक भारतीय बखूबी जानता है। कम ही लोग जानते हैं कि तिरंगे को पिंगली वेंकैया नामक शख्स ने डिजाइन किया था। आज ही रोज 2 अगस्त 1876 को उनका जन्म हुआ था। केंद्र सरकार मंगलवार को राष्ट्रीय ध्वज को डिजाइन करने वाले पिंगली वेंकैया की याद में एक विशेष स्मारक डाक टिकट जारी करेगी। स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया की जयंती के उपलक्ष्य में नई दिल्ली में आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम में उनकी याद में डाक टिकट जारी किया जाएगा। संस्कृति मंत्रालय के अनुसार पिंगली द्वारा डिजाइन किया गया मूल ध्वज कार्यक्रम में भी प्रदर्शित किया जाएगा। इसके अलावा गृहमंत्री अमित शाह पिंगली वेंकैया के परिवारजनों को सम्मानित करेंगे।
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संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में पिंगली वेंकैया की 146वीं जयंती के अवसर पर राष्ट्र के लिए उनके योगदान का उत्सव मनाने के लिए सांस्कृतिक और संगीतमय प्रस्तुतियों से भरी एक शाम- “तिरंगा उत्सव” आयोजित किया जाएगा। तिरंगा उत्सव में “हर घर तिरंगा” गान और वीडियो का भव्य लॉन्च भी किया जाएगा। संगीतमय संध्या में कैलाश खेर और कैलासा, हर्षदीप कौर और डॉ. रागिनी जैसे कलाकारों द्वारा लाइव प्रस्तुतियां दी जाएंगी।
स्वतंत्रता सेनानी थे पिंगली वेंकैया
पिंगली वेंकैया एक स्वतंत्रता सेनानी और भारत के राष्ट्रीय ध्वज के डिजाइनर थे। वे गांधीवादी सिद्धांतों के अनुयायी थे। महात्मा गांधी के अनुरोध पर उन्होंने भारत के राष्ट्रध्वज को केसरिया, सफेद और हरे रंगों के बीच में चक्र के साथ डिजाइन किया था। पिंगली वेंकैया का जन्म 2 अगस्त 1876 को वर्तमान आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम के निकट भटलापेनुमारु नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम हनुमंतरायुडु और माता का नाम वेंकटरत्नम्मा था और यह तेलुगू ब्राह्मण कुल से संबद्ध थे। मद्रास से हाईस्कूल उत्तीर्ण करने के बाद वरिष्ठ स्नातक पूरा करने के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी गये।
वहाँ से लौटने पर उन्होंने एक रेलवे गार्ड के रूप में और फिर लखनऊ में एक सरकारी कर्मचारी के रूप में काम किया। बाद में वह एंग्लो वैदिक महाविद्यालय में उर्दू और जापानी भाषा का अध्ययन करने लाहौर चले गए। वे हीरे की खदानों के विशेषज्ञ थे।पिंगली ने ब्रिटिश भारतीय सेना में भी सेवा की थी और दक्षिण अफ्रीका के एंग्लो-बोअर युद्ध में भाग लिया था। पिंगली वेंकैया की उम्र जब 19 साल की थी तब उन्होंने “ब्रिटिश आर्मी” से जुड़े और अफ्रीका में एंग्लो-बोएर जंग में हिस्सा लिया। वहां वह महात्मा गांधी से मिले थे। उनकी मृत्यु 4 जुलाई, 1963 को हुई। वह उनके विचारों से काफी प्रभावित हुए, स्वदेश वापस लौटने पर मुंबई में रेलवे में गार्ड की नौकरी में लग गए।
ऐसे हुई राष्ट्रीय ध्वज की रचना
1916 में पिंगली वेंकैया ने एक ऐसे झंडे के बारे में सोचा जो सभी भारतवासियों को एक धागे में पिरोकर रखें। उनकी इस पहल को एस.बी. बोमान जी और उमर सोमानी जी का साथ मिला और इन तीनों ने मिल कर “नेशनल फ्लैग मिशन” की स्थापना की।वहीं वैकेंया महात्मा गांधी से काफी प्रेरित थे। ऐसे में उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज के लिए उन्हीं से सलाह लेना बेहतर समझा। गांधी जी ने उन्हें इस ध्वज के बीच में अशोक चक्र रखने की सलाह दी जो संपूर्ण भारत को एक सूत्र में बांधने का संकेत बनेगा। बता दें, पिंगली वेंकैया लाल और हरे रंग के की पृष्ठभूमि पर अशोक चक्र बना कर लाए पर गांधी जी को यह ध्वज ऐसा नहीं लगा कि जो संपूर्ण भारत का प्रतिनिधित्व कर सकता है। दरअसल राष्ट्रीय ध्वज में रंग को लेकर तरह-तरह के वाद-विवाद चलते रहे थे।
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