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सहायक प्रोफेसर की भर्ती के लिए Phd और यूजीसी नेट अनिवार्य, लागू होंगे नए नियम

नई दिल्ली: मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने देश भर के विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसरों की भर्ती के लिए पीएचडी डिग्री अनिवार्य करने के नियम को लागू कर दिया है। बता दें कि सहायक प्रोफेसरों की भर्ती के लिए पीएचडी डिग्री अनिवार्य करने के नियम की घोषणा जून 2018 में उस समय के केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने की थी, लेकिन यह निर्णय शैक्षणिक सत्र 2021-22 से प्रभावी होगा।

नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट यानी UGC NET होना अब तक विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए जरूरी था। प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए नेट को अब तक न्यूनतम अर्हता माना जाता था, लेकिन इस साल से नए नियम के लागू होने के बाद विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए नेट के साथ-साथ पीएचडी को भी न्यूनतम अर्हता के तौर पर अनिवार्य करने की तैयारी चल रही है।

अभी तक ऐसा था कि यदि कैंडिडेट ने पीएचडी नहीं की है और UGC NET पास हो तो वो प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए एलिजिबल था, लेकिन पीएचडी को भी अनिवार्य करने के बाद ऐसा नहीं होगा। ये नियम यूजीसी नेट पास कर चुके कैंडिडेट्स की मुश्किलें बढ़ा सकता है।

पहले ऐसा था नियम

जो उम्मीदवार पीएचडी हो, उसे नेट पास करना जरूरी नहीं था। जिसने नेट पास किया हो, वह बिना पीएचडी के भी सहायक प्रोफेसर पद पर नियुक्ति पा सकता था, लेकिन अब यूजीसी ने दोनों अर्हताओं (qualifications) को मंजूरी दे दी है।

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नियुक्ति प्रक्रिया में वेटेज

नेट करने वाले उम्मीदवारों को 5-10 अंकों का वेटेज दिया जाता है। पीएचडी उम्मीदवार को 30 अंकों का वेटेज दिया जाता है। अंको के वेटेज के गैप की वजह से मेरिट बनने के बाद नेट उम्मीदवार पिछड़ जाता है। यूजीसी के नए नियम पर अमल शुरू होगा। जिसमें यूजीजी नेट पास करना न्यूनतम अर्हता रहेगा, लेकिन शोध पत्रों के प्रकाशन, शिक्षक अनुभव समेत शर्तें जोड़ दी जाएगी।

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