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पी चिदंबरम का बयान: लंदन से 100 टन सोना वापस लाना अर्थव्यवस्था पर असरहीन

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New Delhi : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम (P. Chidambaram) ने शुक्रवार को कहा कि ब्रिटेन के बैंकों में जमा करीब 100 टन सोना वापस लाने के भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के कदम से भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि विदेशों में जमा सोना वापस लाने में कुछ भी गलत नहीं है।

अर्थव्यवस्था पर नहीं पड़ेगा फर्क- पी. चिदंबरम

जब उनसे पूछा गया कि आरबीआई के इस कदम से अर्थव्यवस्था को क्या मदद मिलेगी, तो उन्होंने कहा, “लंदन की तिजोरियों से सोना वापस भारत की तिजोरियों में लाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।” वहीं, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने कहा कि ज्यादातर देश अपना सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड या ऐसी ही अन्य जगहों पर रखते हैं और इसके लिए शुल्क देते हैं।

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एक रिपोर्ट में सान्याल के हवाले से कहा गया है, “भारत अब अपना ज्यादातर सोना अपनी तिजोरियों में ही रखेगा। 1991 में हमें संकट के बीच रातों-रात सोना विदेश भेजना पड़ा था, तब से हम काफी आगे निकल आए हैं।” उनके मुताबिक, 1990-91 में सोना विदेश भेजना हमारी विफलता थी, जिसे हम कभी नहीं भूलेंगे।

1991 में विदेशी मुद्रा संकट से  जूझ रहा था देश

उन्होंने कहा, इसलिए सोना वापस लाने का खास मतलब है। 1991 में देश विदेशी मुद्रा संकट से बुरी तरह जूझ रहा था। हमारे पास जरूरी सामान आयात करने के लिए पैसे नहीं थे। तत्कालीन चंद्रशेखर सरकार ने धन जुटाने के लिए सोना गिरवी रख दिया था। तब आरबीआई ने 400 मिलियन डॉलर पाने के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ जापान के पास 46.91 टन सोना गिरवी रखा था। इस साल 31 मार्च तक आरबीआई के पास विदेशी मुद्रा भंडार के तौर पर 822.10 टन सोना था।

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