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Jagdeep Dhankhar के खिलाफ विपक्ष लाया अविश्वास प्रस्ताव, जानें क्या है नियम

Jagdeep-Dhankhar

Jagdeep Dhankhar : कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया है। इसके लिए भारत गठबंधन की पार्टियों से जुड़े सांसदों ने राज्यसभा के महासचिव को प्रस्ताव सौंपा है। अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस का कहना है कि राज्यसभा के सभापति द्वारा उच्च सदन की कार्यवाही बेहद पक्षपातपूर्ण तरीके से संचालित की जा रही है। इसको लेकर विपक्षी सांसदों ने अपनी नाराजगी जाहिर की है।

कांग्रेस सांसदों का कहना है कि राज्यसभा में इस तरह की पक्षपातपूर्ण कार्यवाही के कारण भारत गठबंधन से जुड़े विपक्षी दलों के पास सभापति के खिलाफ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले राज्यसभा सांसदों का कहना है कि यह सभी दलों के लिए बेहद पीड़ादायक फैसला रहा है, लेकिन संसदीय लोकतंत्र के हित में यह अभूतपूर्व कदम उठाना पड़ा है। यह प्रस्ताव अभी राज्यसभा के महासचिव को सौंपा गया है।

Jagdeep Dhankhar : अविश्वास प्रस्ताव पर 60 सांसदों ने किए हस्ताक्षर

जानकारी के मुताबिक इस प्रस्ताव पर करीब 60 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। यह प्रस्ताव अनुच्छेद 67-बी के तहत दिया गया है। संसद की कार्यवाही बार-बार बाधित होने को लेकर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला का कहना है कि यह देश का दुर्भाग्य है कि सत्ता पक्ष या सरकार संसद को चलने नहीं दे रही है। संसद क्यों बुलाई जाती है, ताकि सत्ता पक्ष और विपक्ष भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी, सरकारी नीतियों पर चर्चा कर सकें।

इतिहास में पहली बार हो रहा ऐसा

भारत के 75 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब सत्ता पक्ष संसद का समय बर्बाद कर संसद को चलने नहीं दे रहा है। संसद में महंगाई, बेरोजगारी जैसे शब्द आते ही भाजपा भाग जाती है। यह संसदीय मर्यादा के लिए एक काला अध्याय है, जो संसद के इतिहास में लिखा जाएगा। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों का कहना है कि उन्हें राज्यसभा में अपनी बात रखने का पूरा मौका नहीं दिया जा रहा है। जबकि, सत्ता पक्ष को हंगामे के बीच भी अपनी बात रखने के मौके दिए जाते हैं। विपक्ष ने इसे पक्षपातपूर्ण कार्यवाही बताया है।

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Jagdeep Dhankhar: जानें क्या है नियम

संविधान के अनुच्छेद 67 (बी) के अनुसार राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है। इसके तहत राज्यसभा के तत्कालीन सभी सदस्यों के बहुमत से पारित प्रस्ताव और लोकसभा की सहमति से सभापति को हटाया जा सकता है। लेकिन इसके लिए 14 दिन पहले नोटिस देना जरूरी है। बता दें कि इससे पहले अगस्त महीने में कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना बनाई थी। लेकिन बाद में किसी कारण से इसे टाल दिया गया था।

जानें सदन का गणित

विपक्ष ने संविधान के अनुच्छेद 67(बी) के तहत अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। इसमें कम से कम 50 सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी हैं। विपक्षी दलों को 60 सांसदों का समर्थन मिला है। इससे पहले मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस ने भी राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी की थी। लेकिन बाद में इसे टाल दिया गया था। सदन के गणित के मुताबिक सत्ता पक्ष के पास बहुमत है। इस लिहाज से इसका पारित होना नामुमकिन लग रहा है।

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