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वाराणसी मामले पर कोर्ट ने कहा- सुरक्षित करें शिवलिंग की जगह, नमाज पढ़ने से रोकने की जरूरत नहीं

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नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग को सील करने का आदेश दिया है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि मुस्लिमों को नमाज के लिए प्रवेश करने से नहीं रोका जाए। मामले की अगली सुनवाई 19 मई को होगी। कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत की सुनवाई पर कोई रोक नहीं है।

सुनवाई शुरू होते ही कोर्ट ने कहा कि यह मालिकाना हक का केस नहीं है। सिर्फ पूजा का अधिकार मांगा गया है। तब याचिकाकर्ता के वकील हुफेजा अहमदी ने कहा कि मां शृंगार गौरी, गणेश और दूसरे देवताओं के पूजा-दर्शन का अधिकार मांगा गया है। पूजा, आरती, भोग की मांग है। यह इस जगह की स्थिति को बदल देगा जोकि अभी मस्जिद है। अहमदी ने कहा कि हमने कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति को चुनौती दी, वह खारिज हो गई। कमिश्नर बदलने की मांग की, वह भी ठुकरा दी गई। कहा गया कि आप कमिश्नर नहीं चुन सकते। सिर्फ तथ्यों की जांच हो रही है।

कोर्ट ने पूछा कि कमीशन ने कब काम किया। तब अहमदी ने कहा कि 14 और 15 मई को। उनको पता था कि सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने वाला है, फिर भी उन्होंने अपनी कार्रवाई की। फिर कहा गया कि शिवलिंग मिला है। निचली अदालत से सीलिंग का आदेश पारित हो गया। कमीशन की तरफ से हुई कार्रवाई की गोपनीय रखी जानी चाहिए थी। लेकिन सार्वजनिक हो गई। कोर्ट ने पूछा कि सीलिंग का आदेश कब का है। तब अहमदी ने कहा कि 16 मई का। पुलिस, प्रशासन को आदेश दिया गया है। नमाज़ियों की संख्या सीमित कर दी गई है।

कोर्ट ने कहा कि आवेदन में काफी बातें मांगी गई लेकिन कोर्ट ने बस सीलिंग का आदेश दिया। इस पर अहमदी ने कहा कि नमाज़ियों की संख्या भी सीमित हो गई। धार्मिक स्थल की स्थिति बदली जा रही है। तब कोर्ट ने कहा कि हम आदेश देंगे कि आपने जो आवेदन दाखिल किया है। सिविल कोर्ट उसका जल्द निपटारा करे। तब अहमदी ने कहा कि सिर्फ इतनी बात नहीं है। सिविल कोर्ट के सभी आदेशों पर रोक लगनी चाहिए। अयोध्या केस में सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट सभी धर्मस्थलों पर लागू है। सुप्रीम कोर्ट यह देखे कि क्या निचली अदालत में यह वाद चलना चाहिए था। तब कोर्ट ने कहा कि वादी के लिए निचली अदालत में कौन वकील है।

कोर्ट ने कहा कि हम नोटिस जारी कर रहे हैं। हम निचली अदालत को निर्देश देना चाहते हैं कि जहां शिवलिंग मिला है, उस जगह को सुरक्षित रखा जाए लेकिन लोगों को नमाज़ से न रोका जाए। तब मेहता ने कहा कि वज़ूखाने में शिवलिंग मिला है, जो हाथ-पैर धोने की जगह है। नमाज की जगह अलग होती है। मेहता ने कहा कि शिवलिंग को नुकसान न पहुंचे और तब कोर्ट ने कहा कि हम सुरक्षा का आदेश देंगे। तब मेहता ने कहा कि मैं इस पर कल बताना चाहूंगा। आपके आदेश का कोई अवांछित असर न पड़े, हम यह चाहते हैं। अहमदी ने कहा कि इस आदेश से जगह की स्थिति बदल जाएगी। वज़ू के बिना नमाज नहीं होती। उस जगह का इस्तेमाल सदियों से हो रहा है।

कोर्ट ने कहा कि हम 19 मई को सुनवाई करेंगे। अभी हम उस जगह के संरक्षण का आदेश बरकरार रखेंगे। हम डीएम को इसका निर्देश देंगे। अगर कोई शिवलिंग मिला है तो उसका संरक्षण ज़रूरी है। लेकिन अभी नमाज नहीं रोकी जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि हम नोटिस जारी कर रहे हैं। 19 मई को सुनवाई करेंगे। उस दिन सिविल कोर्ट में जो वादी हैं, उनके वकील को भी सुना जाएगा। हम 16 मई के आदेश को सीमित कर रहे हैं। तब मेहता ने कहा कि अगर किसी ने शिवलिंग पर पैर लगा दिया तो कानून-व्यवस्था की स्थिति प्रभावित हो सकती है। तब अहमदी ने कहा कि वज़ू अनिवार्य है। तब मेहता ने कहा कि वह कहीं और भी हो सकती है। उसके बाद कोर्ट ने कहा कि हम वाराणसी के डीएम को आदेश दे रहे हैं कि जहां शिवलिंग मिला है, उस जगह को सुरक्षित रखें। नमाज़ से लोगों को न रोका जाए। निचली अदालत की सुनवाई पर रोक नहीं है।

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याचिका अंजुमन इंतजामिया मस्जिद की मैनेजमेंट कमिटी ने दायर की है। याचिका में वाराणसी निचली अदालत से जारी सर्वे के आदेश को 1991 प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ बताया है। सुनवाई के दौरान हुफेजा ने कहा था कि वाराणसी का ज्ञानवापी मस्जिद प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत आता है। वाराणसी की निचली अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया था लेकिन ये सर्वे मस्जिद कमेटी ने नहीं होने दिया था। दरअसल पांच हिन्दू महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद के पश्चिमी दीवार के पीछे पूजा करने की मांग की है।

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