उत्तर प्रदेश हेल्थ

ओमीक्रॉन से घबराने की नहीं सतर्क रहने की जरूरत, केजीएमयू के डॉ. सूर्यकांत ने बताए सुरक्षा के उपाय

omicron

लखनऊः पूरे देश में कोविड के नए वैरिएंट ओमीक्रॉन का खौफ बढ़ता जा रहा है। लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए लोग दहशत में हैं। वहीं सरकार भी इस बार अभी से ही सतर्कता बरत रही है। विशेषज्ञ लोगों से सतर्क रहने की अपील कर रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि ओमीक्रॉन से घबराने की ज़रूरत नहीं है, बल्कि इससे सतर्क रहने की आवश्यकता है। हालांकि कोरोना का यह वैरिएंट कितना खतरनाक है और कितनी तेजी से और किस आयु वर्ग के लोगों को जल्दी निशाना बनाएगा, इन सब प्रश्नों के उत्तर देने के लिए अभी विशेषज्ञों के पास पर्याप्त डाटा नहीं है। फिर भी हमें खुद को सुरक्षित रखना है और अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत रखना है। साथ ही मास्क और सैनेटाइजर का नियमित इस्तेमाल करते रहना है।

ये भी पढ़ें..ओमिक्रोन के बढ़ते संकट के बीच देश को मिली दो नई वैक्सीन, CDSCO ने दी मंजूरी

एक विश्लेषण के अनुसार, जो लोग कोविड को हराकर ठीक हुए हैं, उनमें ओमीक्रॉन से संक्रमित होने का खतरा कम है। डॉक्टर्स और विशेषज्ञों का मानना है कि ओमीक्रॉन पहली और दूसरी लहर से ज्यादा तेजी से फैलेगा, लेकिन इससे जान का नुकसान कम होगा। ऐसे में उम्मीद है कि ओमीक्रॉन कोरोना बाकी वैरिएंट इतनी तबाही नहीं मचाएगा। इसके बावजूद किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (केजीएमयू) के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत ने बचाव के मंत्र दिए हैं।

उन्होंने बताया कि इससे बचाव के लिए पहले की तरह ही मास्क और हाथों को सैनिटाइज करना जरूरी है। साथ ही इम्यूनिटी को मजबूत करने के लिए सुबह-शाम वाक बहुत जरूरी है। शरीर में किसी प्रकार के विटामिन्स की कमी न होने पाए इसके लिए ताजे फल और हरी सब्जी का सेवन किया जाना चाहिए। इसके साथ ही रोजाना धूप में भी बैठना चाहिए। वैक्सीन लेने के बाद शरीर के अंदर एंटीबॉडी का निर्माण होता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि वैक्सीन लेने के बाद कोरोना का खतरा टल गया। क्योंकि वैक्सीन संक्रमण की गंभीरता को कम कर सकता है और इससे लड़ने में मदद कर सकता है, लेकिन संक्रमित होने से रोक नहीं सकता।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश के कोविड टीकाकरण के ब्रांड एंबेस्डर डॉ. सूर्यकांत का कहना है कि अभी तक की रिपोर्ट के मुताबिक नया वैरिएंट ओमीक्रॉन डेल्टा वैरिएंट से भी पांच गुना ज्यादा संक्रामक है, किन्तु सबसे अच्छी बात यह है कि यह पहले जैसा घातक नहीं है। इसलिए संक्रमण की चपेट में आने के बाद भी आईसीयू व आक्सीजन जैसी जरूरत नहीं पड़ेगी। उनका कहना है कि हमें इसे लेकर सतर्क रहने और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने की ज़रूरत है। कोविड टीका शरीर के अंदर संक्रमण से लड़ने की ताकत प्रदान करेगा, तो मास्क वायरस को शरीर के अंदर प्रवेश करने से रोकने में सहायक बनेगा। मास्क केवल कोरोना वायरस से ही हमारी रक्षा नहीं करता, बल्कि निमोनिया, टीबी और वायु प्रदूषण की गिरफ्त में आने से भी हमें बचाता है। इसलिए टीका लगवाने के बाद भी घर से बाहर निकलते समय मास्क से नाक व मुंह अच्छी तरह से अवश्य ढकें।

विशेषज्ञ बता रहे बूस्टर डोज को आवश्यक

ओमीक्रॉने के लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए तमाम विशेषज्ञ और डॉक्टर कोरोना की बूस्टर डोज को इससे बचाव के लिए आवश्यक बता रहे हैं। मगर भारत में अभी तक करीब एक तिहाई लोगों को ही कोरोना के वैक्सीन की दोनों डोज लगी हैं, इसलिए अभी बूस्टर डोज के बारे में सोचा भी नहीं जा रहा। फिलहाल अभी सरकार का लक्ष्य सभी को पूरी तरह से वैक्सीनेटेड करना है। सरकार ने भी अभी बूस्टर डोज पर कोई फैसला नहीं लिया है।

अगर सरकार बूस्टर डोज लगाती भी है, तो उसे उसी तेजी से बूस्टर डोज का वैक्सीनेशन कार्यक्रम चलाना पड़ेगा। हाल में ही विशेषज्ञों ने बूस्टर डोज की सिफारिश की है। राजधानी लखनऊ में भी अभी भी कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें वैक्सीन की पहली डोज ही नहीं लगी है और दूसरी डोज भी न लगवाने वाले काफी मात्रा में हैं। जबकि बच्चों के लिए अभी देश में वैक्सीन बन रही है, जो लगभग अंतिम चरण में है। ऐसे में देश में ओमीक्रॉन के बढ़ते मामलों को देखते हुए, इन लोगों में इस नए वैरिएंट का सीधा खतरा बना हुआ है।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर  पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)