मुंबईः दुनियाभर में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन ने दहशत फैला रखी है। इस बीच कोरोना का इलाज करने वाले मुंबई के डॉक्टरों ने लोगों को सलाह दी है कि ओमिक्रोन से न घबराएं, सावधानी बरतकर इससे बचा जा सकता है। डेल्टा की तरह ये वैरिएंट फेफड़ों पर घातक असर नहीं डालता। विशेषज्ञों द्वारा की गई हाल के शोधों में यह बात सामने आई है। विशेषज्ञों ने जनता को सलाह दी है कि ओमिक्रोन से डरने की जरूरत नहीं है। इस वैरिएंट से संक्रमित मरीजों के इलाज का दबाव स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी नहीं पड़ेगा। महाराष्ट्र में अब तक ओमिक्रोन के 578 मरीज मिले हैं। इनमें सबसे ज्यादा मुंबई के 368 मरीजों का समावेश है।
राज्य में अब तक 259 मरीज ठीक हो चुके हैं। मुंबई में कोरोना का इलाज करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि ओमिक्रोन से जनता को डरने की जरूरत नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार ओमिक्रोन फेफड़ों की बजाए नाक, गले और श्वसनतंत्र पर असर डालता है। यह जानलेवा नहीं है लेकिन तेजी से फैलता है। विशेषज्ञ ने चूहों और अन्य छोटे पशुओं पर प्रयोग करके इसकी जानकारी इकट्ठा की है। पहले के कोरोना वैरिएंट से फेफड़ों पर ज्यादा असर पड़ता है और उसके फेफड़ों में निशान पैदा करने से श्वसन प्रणाली पर गंभीर प्रभाव दिखाई देता है। ओमिक्रोन के संक्रमण की संभावना उन लोगों में दस गुना अधिक हैं, जिन्हें पहले कोरोना हो चुका है। ऐसी स्थिति में कोरोना नियमों का कड़ाई से पालन करके ओमिक्रोन के खतरे से बचा जा सकता है।
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ओमिक्रोन से घबराने की जरूरत नहीं है। इससे निपटने का सबसे बड़ा शस्त्र टीकाकरण है। ये ज्यादा घातक नहीं है। गले, सर और बदन में दर्द इसके लक्षण हैं। एक से दो-तीन दिनों तक बुखार होता है। कभी-कभी बुखार भी नहीं होता। डॉक्टरों की सलाह लेकर इसका घर पर रहकर ही संबंधित नॉर्मल दवाइयों से इलाज संभव है। मरीज को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत भी नहीं पड़ती। ओमिक्रोन के मरीजों से अस्पताल पर दबाव नहीं पड़ेगा। विशेषज्ञों के अनुसार वायरस में बदलाव एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। लोगों को अपनी दिनचर्या में मास्क पहनना, बार-बार हाथ धोना, सुरक्षित दूरी का पालन करने के साथ ही भीड़ से बचना चाहिए।
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