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स्टेम क्षेत्रों में बढ़ी महिलाओं की तादाद, लेकिन यहां अभी भी हो रही चूक

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नयी दिल्लीः भारत उन चंद देशों में से एक है, जहां इंजीनियरों और वैज्ञानिकों की संख्या बहुत अधिक है। स्टेम क्षेत्र यानी साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथेमेटिक्स में स्नातक होने वाले छात्रों में करीब 43 फीसदी महिलायें होती हैं लेकिन इसके बावजूद इस सेक्टर में शीर्ष पदों पर उनकी दावेदारी मात्र 14 प्रतिशत है। हितधारकों का कहना है कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस यानी 11 मई के अवसर पर महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिये लगातार प्रयास करते रहने की जरूरत है। स्टेम में शीर्ष भूमिका में महिलाओं की भागीदारी की कमी पर ध्यान देने की जरूरत है।

टेक कंपनियों में बहुत ही कम महिलायें शीर्ष पदों पर हैं। इस पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है और साथ ही यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि वे अपने करियर के बीच में ही नौकरी न छोड़ दें। आज के समय में जब संगठन विविधता को जगह देने के लिये तत्पर हैं और समावेश पर जोर दे रहे हैं, तो ऐसे में स्टेम क्षेत्र में ऐसा इकोसिस्टम तैयार करना चाहिये, जिससे महिलाओं की आसान भागीदारी और उनका विकास सुनिश्चित हो।

एनएलबी सर्विसेज के मुख्य वित्तीय अधिकारी जागृति कुमार का मानना है कि कंपनियों को भेदभाव, वेतन में अंतर और अस्पष्टता के बिना महिलाओं के लिये ऊंचे पदों पर जाने का रास्ता बनाना होगा।

कुमार ने कहा कि कई अध्ययनों में इस पर प्रकाश डाला गया है कि इनोवेशन, सहयोग, वर्क कल्चर पर वर्कप्लेस में लैंगिक विविधता का कितना अधिक सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रशिक्षण, परियोजना और अन्य संसाधनों तक पहुंच के जरिये लैंगिक अंतर को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। एक ढांचागत दिशानिर्देश और लचीलेपन की मदद से महिलायें अपने निजी और पेशवर विकास में तेजी ला सकती हैं।

डिजिटलीकरण को तेजी से अपनाने से टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में ऐसी महिलाओं की किस्मत बदलेगी, जो अपने टेक्नोलॉजी कौशल को दिखाना चाहती हैं और इस क्षेत्र में नेतृत्व करना चाहती हैं।

बेंगलुरु आधारित मार्केट इंटेलीजेंस फर्म 'अनअर्थइनसाइट' के मुताबिक भारत में टेक क्षेत्र में खासकर आईटी कंपनियों, ग्लोबल कैप्टिव सेंटर्स, सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट और टेक्नोलॉजी स्टार्टअप में 18 लाख से अधिक महिलायें काम कर रही हैं। इसके बावजूद कोर प्रोडक्क्ट और टेक सर्विस में वरिष्ठ पदों पर वैश्विक स्तर पर और भारत में भी महिलाओं की संख्या काफी कम है।

'अनअर्थइनसाइट' के सीईओ गौरव वासु ने कहा कि औद्योगिक जगत को शीर्ष पदों पर काम करने वाली महिलाओं को रोल मॉडल के रूप में प्रदर्शित करना चाहिये। उन्हें महिलाओं के लिये कोडिंग से लेकर गुणवत्ता और प्रबंधन से लेकर सर्विस लाइन में प्रमुख की भूमिकाओं तक के लिये परिभाषित करियर पथ बनाना चाहिये क्योंकि इससे स्टेम में अधिक महिलाओं को नेतृत्व की भूमिकाओं में आगे बढ़ने की इच्छा होगी। मार्केटिंग और एचआर ने इस दिशा में अच्छा प्रदर्शन किया है और इसमें 5,000 से अधिक महिला लीडर हैं लेकिन तकनीकी सेवाओं, जीसीसी और टेक स्टार्ट-अप के पास इसे बेहतर बनाने के लिये अभी बहुत कुछ करना बाकी है।

नासकॉम के हालिया अध्ययन के मुताबिक, एक दशक पहले भारत के आईटी सेक्टर में 23 से 24 प्रतिशत महिला कर्मचारी थीं। अब 45 लाख कर्मचारियों में से 34 प्रतिशत महिलायें हैं। मीडियाटेक की जनरल मैनेजर ऋतुपर्णा मंडल का मानना है कि परिवर्तन हमसे शुरू होता है और संगठनों को एक दिन में एक पद के साथ ग्लास सीलिंग तोड़ने के लिये महिलाओं को सशक्त करने पर फोकस करना चाहिये।

उन्होंने कहा कि महिलायें शीर्ष भूमिकाओं में अपने साथ लचीलापन, सूजनात्मकता, माहौल में ढलने की क्षमता, इनोवेशन, सहानुभूति, अलग नजरिया और टीम में काम करने की लगन लेकर आती हैं इसीलिये स्टेम कंपनियों के शीर्ष पदों पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ना चाहिये।

सरकार ने विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिये कई योजनायें शुरू की हैं। इसी तरह की एक योजना 2014-15 में लॉन्च की गई थी, जिसे नॉलेज इन्वॉल्वमेंट रिसर्च एंडवांसमेंट थ्रू नर्चरिंग कहा जाता है। इस योजना के जरिये महिला वैज्ञानिकों को अकादमी और प्रशासन के क्षेत्र में आगे बढ़ने का मौका दिया जाता है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि स्टेम क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने का भविष्य अच्छा है।

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