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अब किसानों की आय में होगी बढ़ोत्तरी, केंद्र ने रबी फसलों की एमएसपी में किया इजाफा

नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने रबी फसलों पर विपणन सीजन 2022-23 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में इजाफा किया है। इसमें पिछले साल के मुकाबले गेहूं में 40 रूपये और चने में 130 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा किया गया है। केन्द्र मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने बुधवार को फसलों की एमएसपी बढ़ाने का फैसला किया है। इसके साथ ही केन्द्र सरकार ने बुधवार को कपड़ा क्षेत्र के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना की घोषणा की है जिसमें पांच सालों के अंतराल में 10, 683 करोड़ रुपये खर्च किए जायेंगे।

केंद्र सरकार के अनुसार इस वर्ष गेहूं 40 रुपये, जौ में 35 रुपये, चने में 130 रुपये, मसूर व सरसों में 400 रुपये और कुसुम में 114 रुपये का इजाफा किया है। इस वृद्धि के साथ विपणन वर्ष 2022 में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015 रुपये, जौ 1635 रुपये, चना 5230 रुपये, मसूर 5500, सरसों का 5050 रुपये और कुसुम का 5441 रुपये खरीद की जाएगी। सरकार का कहना है कि एमएसपी की मौजूदा घोषणा केंद्रीय बजट-2019 में उत्पादन से डेढ़ गुना ज्यादा कीमत दिए जाने की घोषणा पर आधारित है। इसके साथ ही केन्द्र सरकार ने बुधवार को कपड़ा क्षेत्र के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना की घोषणा की है। इसका गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा जैसे राज्यों पर विशेष रूप से सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज उक्त आशय के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की।

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मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि अभी तक मुख्य रूप से सूती वस्त्र पर ध्यान केंद्रित किया जाता रहा था। अंतरराष्ट्रीय कपड़ा बाजार का 2/3 हिस्सा मानव निर्मित और तकनीकी वस्त्रों का है। इस पीएलआई योजना को मंजूरी से भारत में मानव निर्मित फाइबर के उत्पादन में इजाफा होगा। गोयल ने कहा कि योजना से अगले पांच सालों में इस क्षेत्र में 19 हजार करोड़ से अधिक का निवेश प्राप्त होने की उम्मीद है। पांच सालों में उत्पादन में 3 लाख करोड़ का टर्नओवर का इजाफा होगा। 7.5 लाख लोगों को सीधा रोजगार और अन्य गतिविधियों से भी बड़ी संख्या में रोजगार पैदा होगा। महिलाओं की बड़ी संख्या में प्रतिभागिता होगी। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से भारत में वैश्विक स्तर की कई कंपनियां तैयार होंगी। आकांक्षी जिलों या टियर -3 और टियर -4 शहरों के आसपास स्थित कारखानों को इस योजना के तहत प्राथमिकता दी जाएगी। इससे गुजरात, यूपी, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना आदि को विशेष रूप से फायदा होगा।

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