Home देश भारतीय सेना का बड़ा ऐलान, अब सैनिक नहीं इस्तेमाल करेंगे चीनी मोबाइल

भारतीय सेना का बड़ा ऐलान, अब सैनिक नहीं इस्तेमाल करेंगे चीनी मोबाइल

Now soldiers will not use Chinese mobile

 

नई दिल्ली: भारतीय सेना ने बड़ा ऐलान करते हुए सैन्य कर्मियों के लिए चीनी मोबाइल के इस्तेमाल पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। सेना के इस फैसले के बाद देश में भर में तैनात सैन्य कर्मी चीन में बनाए गए 11 ब्रांडों के स्मार्टफोन का उपयोग नहीं कर पाएंगे। ये सलाह नई दिल्ली स्थित सेना मुख्यालय के खूफिया अधिकारियों ने दी है, उनका मानना है कि इन फोन्स के जरिए देश की महत्वपूर्ण जानकारियां दुश्मन तक पहुंच रही हैं। मिलिट्री इंटेलिजेंस के महानिदेशक ने एडवाइजरी में फॉर्मेशन और यूनिट कमांडरों को चीनी मोबाइल फोन के इस्तेमाल से होने वाले खतरों के बारे में सैनिकों को जानकारी देने की बात कही है।

नई एडवाइजरी जारी करते हुए सेना मुख्यालय ने सैनिकों और उनके परिवारों को दुश्मन देश की कंपनियों के मोबाइल फोन खरीदने या इस्तेमाल करने से बचने की सलाह दी। सेना मुख्यालय की इस सूची में चीनी कंपनी वीवो, ओप्पो, ऑनर, श्याओमी, वन प्लस, रियल मी, जेडटीई, मीजू, जियोनी, इनफिनिक्स और आसुस (Vivo, Oppo, Honor, Xiaomi, One Plus, Realme, ZTE, Meizu, Gionee, Infinix and Asus)के मोबाइल फोन शामिल हैं। एडवाइजरी में यह भी कहा गया है कि जिन जवानों के पास इन 11 कंपनियों के मोबाइल फोन हैं, वे 30 मार्च 2023 तक अवश्य बदल लें।

सैन्य खुफिया अधिकारियों ने फॉर्मेशन और यूनिट कमांडरों को चीनी मोबाइल फोन के इस्तेमाल से होने वाले खतरों के बारे में सैनिकों जानकरी देने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही इस संबंध में 30 मार्च तक पूर्णता रिपोर्ट पेश करने की बात कही गई है। सैन्य अधिकारियों के मुताबिक अतीत में राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए सैनिकों को 11 ब्रांडों के चाइनीज मोबाइल का इस्तेमाल न करने काएहतियाती कदम उठाना सेना का आंतरिक मामला है।

उल्लेखनीय है रूस-यूक्रेन के युद्ध के दौरान रूस ने डोनबास क्षेत्र में सेलुलर नेटवर्क का उपयोग किया था इसी कारण कई रूसी कमांडर और सैनिक यूक्रेन के सीधे निशाने पर लक्षित थे। टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके आसानी से सैनिकों को प्रभावित किया जा सकता है। इसीलिए सिर्फ चीनी फोन पर प्रतिबंध लगाना सुरक्षा उपाय नहीं हो सकता, क्योंकि चीनी मूल के मैसेजिंग ऐप भी खतरनाक हैं। जवानों की निजी जानकारियां भी आसानी से दुश्मनों तक पहुंच सकती हैं, इसके लिए यह कदम उठाया जाना जरूरी है।

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