Niti Aayog, नई दिल्ली: दिल्ली में नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक शुरू हो गई है। हालांकि इस बैठक का विपक्षी दलों ने बहिष्कार कर दिया है। इस बैठक में विपक्ष के कई नेता शामिल नहीं हो रहे हैं। हालांकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बैठक में शामिल होकर सबको चौंका दिया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अलावा इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों का कोई भी मुख्यमंत्री बैठक में नहीं पहुंचा है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार से लेकर झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन तक कोई भी इस बैठक में मौजूद नहीं है।
बैठक में शामिल होकर मामता सबको चौंकाया
बता दें कि नीति आयोग की बैठक (Niti Aayog) में हिस्सा लेने के लिए कई राज्यों के मुख्यमंत्री दिल्ली में जुटे हैं। बैठक में सभी राज्यों को अपनी चिंताओं और अहम मुद्दों को उठाने का मौका मिलेगा। ममता बनर्जी ने कहा, “जब से नीति आयोग की योजना बनी है, मैंने एक भी काम होते नहीं देखा, क्योंकि उसके पास कोई शक्ति नहीं है। पहले मुख्यमंत्री के तौर पर योजना आयोग था…उस समय मैंने देखा कि एक व्यवस्था थी।”
उन्होंने कहा- नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा गठित आयोग को समाप्त कर योजना आयोग को बहाल किया जाना चाहिए। पत्रकारों से बातचीत में सीएम ममता ने भाजपा को टुकड़े-टुकड़े मंच करार देते हुए कहा कि वह अपने राज्य का बंटवारा नहीं होने देंगी।
Niti Aayog की बैठक में इन मुद्दों पर होगी चर्चा
पीएम मोदी आज नीति आयोग की 9वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं। बैठक का फोकस 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने पर रहेगा। वहीं तमिलनाडू के सीएम एमके स्टालिन के अलावा कई राज्यों के सीएम ने इस बैठक का बहिष्कार किया है।
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बैठक का बहिष्कार करने पर भाजपा ने विपक्ष पर साधा निशाना
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने को लेकर कांग्रेस और विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों पर हमला बोला है और इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। भाजपा ने कहा कि विपक्ष टकराव और विभाजन की नकारात्मक राजनीति कर रहा है। यह लोगों के हित में नहीं है।
शनिवार को भाजपा नेता सीआर केसवन ने कहा कि अवरोधक विपक्ष शर्मनाक बहिष्कार के साथ खतरनाक और विभाजनकारी संघवाद में लिप्त है। वे सहकारी संघवाद की मूल भावना के साथ विश्वासघात कर रहे हैं। वे संबंधित राज्यों और लोगों को राजनीतिक मोहरे के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश करके उनके अच्छे कामों को नष्ट कर रहे हैं और उनके हितों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। यह विपक्ष का न केवल गैरजिम्मेदाराना बल्कि अलोकतांत्रिक व्यवहार भी है।