गाजियाबादः नोएडा के बहुचर्चित निठारी नरपिशाच कांड के 12वें केस में भी सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अमित वीर सिंह की अदालत ने शनिवार को मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली को फांसी की सज़ा सुनाई। अदालत ने कोली पर 70 हजार का जुर्माना भी ठोका है जबकि मामले के दूसरे आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर को शुक्रवार को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था। शुक्रवार को अदालत ने आरोपित कोली को दोषी करार दिया था।
आज बचाव व अभियोजन पक्ष के बीच कोली की सजा पर बहस हुई। इस पर सीबीआई के लोक अभियोजक जेपी शर्मा ने कोली को रेयर ऑफ रेयरेस्ट का मामला मानते हुए अदालत से मृत्यु दंड देने की मांग की। दोनों दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने कोली को फांसी की सजा सुनाई। साथ ही उस पर 70 हजार रुपये का जुर्माना भी ठोका। इससे पहले भी निठारी कांड के 11 केसों में कोर्ट सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुना चुकी है।
निठारी कांड के इस मामले में सीबीआई ने दोनों आरोपितों के खिलाफ अपहरण, हत्या और रेप के आरोप में आरोप पत्र पेश किया था। पुख्ता सबूतों के अभाव में विशेष अदालत ने मोनिंदर सिंह पंढेर को बरी कर दिया था। सीबीआई के अधिवक्ता जेपी शर्मा ने बताया कि निठारी कांड का 12वां मामला सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अमित वीर सिंह की अदालत ने विचारधीन था। सीबीआई की विशेष कोर्ट में 319 दिन तक सुनवाई चली। दोनों पक्षों की दलीलों और साक्ष्य को देखकर कोर्ट ने नर पिचाश सुरेंद्र कोली को दोषी करार दिया था और फांसी की सजा सुनाई। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि कोली को तब तक फांसी पर लटकाया जाए जब तक कि उसकी मौत न हो जाये।
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उन्होंने बताया कि 12 नवम्बर 2006 को निठारी में रहने वाली एक युवती मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी में सफाई के लिए घर से निकली थी, इसके बाद वह वापस घर नहीं लौटी। परिजनों ने उसकी तलाश की लेकिन उनकी बेटी नहीं मिली तो पुलिस से शिकायत की थी। इसके बाद भी पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की थी। इसके बाद मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे नाले में कई शव मिले तो यह मामला सामने आया था। इस मामले में 19 केस दर्ज किए गए थे, जिनमें से 17 केस अभी पंजीकृत हैं। इनमें से 11 मामलों में अदालत फैसला दे चुकी है।