नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शनिवार को प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के 19 और नेताओं के खिलाफ देश को अस्थिर करने के उद्देश्य से एक आपराधिक साजिश से जुड़े एक मामले में आरोप पत्र दायर किया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। दिया। एनआईए द्वारा इस महीने मामले के संबंध में दायर की गई यह पांचवीं चार्जशीट है।
एनआईए ने चार्जशीट में आरोप लगाया है कि जांच में पता चला है कि वेतन के भुगतान की आड़ में पीएफआई द्वारा देश भर में अपने आतंकी गुर्गों और हथियार प्रशिक्षकों को नकद और नियमित बैंक हस्तांतरण दोनों के माध्यम से धन दिया जाता है। इन सभी पीएफआई प्रशिक्षकों को एनआईए या विभिन्न राज्य पुलिस बलों द्वारा दर्ज मामलों में गिरफ्तार किया गया है। एक अधिकारी ने कहा कि पीएफआई के 37 बैंक खातों के साथ ही एनआईए ने उसके 19 नेताओं के 40 अन्य बैंक खातों को भी फ्रीज कर दिया। अधिकारी ने कहा कि पीएफआई ने देश को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की आपराधिक साजिश रची थी।
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एनआईए को यह भी पता चला कि साजिश का अंतिम उद्देश्य भारत में धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक शासन की मौजूदा व्यवस्था को उखाड़ फेंकना था और इसे शरिया/इस्लामी कानून के साथ इस्लामी खलीफा के साथ बदलना था। एनआईए ने कहा कि पीएफआई ने भारत सरकार के खिलाफ एक सशस्त्र संघर्ष छेड़ने के लिए एक सुनियोजित रणनीति तैयार की थी, जिसमें मुस्लिम युवाओं की कट्टरता और भर्ती के माध्यम से शामिल था, जिन्होंने पहले ही गोपनीयता और वफादारी की शपथ के माध्यम से पीएफआई और इसकी विचारधारा को स्वीकार कर लिया था ( द्वारा). रणनीति के प्रति निष्ठा का वचन दिया।
एनआईए के अनुसार, इन अत्यधिक कट्टरपंथी लोगों को एक अच्छी तरह से प्रशिक्षित ‘पीएफआई सेना’ बनाने के इरादे से देश भर में पीएफआई द्वारा आयोजित किए जा रहे विभिन्न ‘शस्त्र प्रशिक्षण शिविरों’ में हथियारों के इस्तेमाल का प्रशिक्षण दिया जा रहा था। पीएफआई ने भारत गणराज्य को विघटित करने के लिए युद्ध छेड़ने की योजना बनाई थी। अधिकारियों ने कहा कि पीएफआई की गतिविधियों में अभियानों और तथाकथित सामाजिक कल्याण योजनाओं के माध्यम से मुसलमानों और समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों का सशक्तिकरण शामिल है, जिसकी आड़ में संगठन अपने भारत विरोधी और हिंसक एजेंडे को बढ़ावा दे रहा था।
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