Friday, December 13, 2024
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नए वर्ष के स्वागत में बही भक्ति रस की धारा, कथक व भजनों की प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोहा

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जौनपुर: भक्ति रस पर आधारित कार्यक्रम नवधा में दर्शकों ने संगीत धारा में डुबकियां लगाई। मंगलवार को सिद्धार्थ उपवन प्रांगण में लोक एवं जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान लखनऊ व संस्कार भारती जौनपुर द्वारा आयोजित नव वर्ष के 2080 के उपलक्ष में आयोजित भक्ति रस पर आधारित कार्यक्रम नवधा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि गिरीश चंद्र यादव राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार, कार्यक्रम अध्यक्ष मुनीश सह प्रांत प्रचारक काशी प्रांत , विशिष्ट अतिथि श्विवेक सेठ मोनू , विमल सेठ कार्यक्रम प्रायोजक व अतुल द्विवेदी ,निदेशक लोक एवं जनजाति कला संस्थान ने दीप प्रज्वलन कर व मां सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्चन कर किया।

संस्था के सदस्यों द्वारा ध्येय गीत की प्रस्तुति हुई। कार्यक्रम प्रथम प्रस्तुति स्थानीय गायक कलाकार ग़ुलाब राही के द्वारा चैती और पचरा गा कर किया गया इसके उपरांत प्रयागराज की ख्याति अर्जित कलाकार पूर्णिमा देव कुमार व उनके साथियों द्वारा ढेड़या नृत्य, पचरा नृत्य और राम अवध में आये भजन पर समूह नृत्य प्रस्तुत किया गया, इसके साथ ही प्रयागराज के गायक कलाकार डॉली चौरसिया और रौशन पाण्डे द्वारा सुंदर भजन प्रस्तुत किया गया। इस प्रस्तुति के उपरांत अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त व बनारस घरने के कलाकार कथक की महारानी कही जाने वाली सितारा देवी के पौत्र ,साहित्य कला अकादमी पुरस्कार विजेत विशाल कृष्णा (पौत्र कत्थक साम्राज्ञी सितारा देवी) ने अपने कत्थक नृत्य के विभिन्न आयामों के साथ शिव शक्ति, दुर्गा रूप, राम जन्म एवं होली पर कथक के भाव नृत्य की प्रस्तुति दी, जिसको दर्शकों ने खूब सराहा।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि गिरीश चंद यादव ने कहा संस्कार भारती द्वारा आयोजित हमारी संस्कृति –हमारी विरासत के परिपेक्ष में जो कार्यक्रम कर रही है, इसकी निरंतरता बनी रहनी चाहिए। हम अपने आने वाली पीढ़ी को अपने मूल संस्कृति से जोड़े रखें इसके लिए हमें समाज के सभी वर्गों का सहयोग लेना होगा। सभी को कंधे से कंधा मिलाकर अपनी संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए प्रयास करने होंगे भारतीय संस्कृति की गरिमा को बढ़ाने के लिए ऐसे कार्यक्रमों का होना अति आवश्यकता है। कार्यक्रम अध्यक्ष काशी प्रान्त के सह प्रान्त प्रचारक मुनीश ने कहा कि भारतीय सभ्यता सनातन रही है। हम सभी आज भी आधुनिक युग में अपने विभिन्न शुभ कार्य पंचांग पर आधारित तिथियों के द्वारा ही करते हैं यदि इनका प्रयोग हम दैनिक जीवन में भी करेंगे तो निश्चित ही हम आने वाली पीढ़ी को अपनी संस्कृति से जोड़ने में सफल होंगे।

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लोक एवं जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान के निदेशक अतुल द्विवेदी ने कहा कि सरकार द्वारा लोक कला के उन्नयन के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं। इनके विकास के लिए आप सभी विभिन्न संस्थाएं, एनजीओ सभी को मिलकर प्रयास करना होगा। सरकार द्वारा संपदा नामक कार्यक्रम के अंतर्गत कलाकारों के संरक्षण हेतु प्रयास किए जा रहे हैं ।रेडियो पर जयघोष कार्यक्रम के द्वारा कलाकारों के गीतों को स्वरबद्ध रिकॉर्ड कराया जा रहा है। विलुप्त होती ऐसी कलाओं के संरक्षण के प्रयास के लिए हम सबको मिलकर कार्य करना होगा।

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