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Chhattisgarh: मुखबिरी के आरोप में नक्सलियों ने ग्रामीण को उतारा मौत के घाट

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Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के जांगला थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पोटेनार के जंगल में एक बार फिर नक्सलियों ने तथाकथित जन अदालत लगाकर जासूसी के आरोप में एक ग्रामीण युवक माड़वी दुलारू निवासी ग्राम माटवाड़ा की निर्मम हत्या कर दी है। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। सोमवार को ग्राम पोटेनार के जंगल में नक्सलियों ने जन अदालत लगाई थी।

मामले की जांच में जुटी पुलिस

इस तालिबानी जन अदालत में माड़वी दुलारू पर जासूसी का आरोप लगाया गया था। उसे कोई सुनवाई या बचाव का मौका दिए बिना नक्सलियों ने उसे मौत की सजा सुना दी और उसकी हत्या कर दी। बीजापुर के एएसपी चंद्रकांत गवर्णा ने बताया कि मंगलवार की सुबह जैसे ही पुलिस को इस मामले की जानकारी मिली तो जवानों को मौके पर भेजा गया। मामले की जांच की जा रही है, जांच के बाद ही नक्सली हत्या का मामला स्पष्ट हो सकेगा। बताया गया है कि माटवाड़ा निवासी माड़वी दुलारू का नक्सलियों ने अपहरण कर लिया था।

आदिवासियों के लिए सबसे बड़ा खतरा बने नक्सली

इसके बाद एक दिन पहले ग्राम पोटेनार में जन अदालत लगाकर उस पर पुलिस मुखबिर होने का आरोप लगाया गया था। नक्सलियों ने ग्रामीणों के सामने कहा कि वह पुलिस से मिलीभगत कर हमें सूचनाएं देता है। इसीलिए उसे फांसी की सजा सुनाई जा रही है, जिसके बाद धारदार हथियार से हमला कर उसकी हत्या कर दी गई। उल्लेखनीय है कि नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग में वर्ष 2001 से 2023 तक नक्सलियों ने करीब 1,774 आदिवासियों की हत्या की है। इनमें से अकेले बीजापुर जिले में नक्सलियों ने सबसे ज्यादा 783 आदिवासियों की हत्या की है। यह सिलसिला आज भी बीजापुर जिले में जारी है, जहां नक्सली आदिवासियों के लिए सबसे बड़ा खतरा बने हुए हैं। सलवा जुडूम के दौर में नक्सलियों ने बस्तर में सबसे ज्यादा खूनी खेल खेला है।

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हालांकि पिछले 23 सालों में पहली बार पुलिस अब नक्सलियों पर भारी पड़ रही है। वर्ष 2005 से 2006 में जब बस्तर में नक्सलवाद अपने चरम पर था। तब सलवा जुडूम की शुरुआत हुई थी। इसी दौर में नागरिकों पर सबसे ज्यादा नक्सली हिंसा हुई थी। 2006 में अकेले बीजापुर में ही नक्सलियों ने 297 आदिवासियों की हत्या कर दी थी। कई लोग बेघर हो गए थे और बस्तर में नक्सलियों ने खूनी खेल खेला था।

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