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विदेश से लौटे Nawaz Sharif को मिला सेना का साथ, इमरान की बढ़ेंगी मुश्किलें

Nawaz Sharif

Nawaz Sharif: आर्थिक बदहाली और राजनीतिक अस्थिरता से गुजर रहे पाकिस्तान में एक बार फिर सियासत गरमा गई है। दरअसल, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ गेमचेंजर बनकर विदेश से पाकिस्तान वापस लौटे आएं हैं। ऐसे में एक बार फिर से पाकिस्तान की राजनीतिक में उथल पुथल का दौर शुरु हो गया है। पिछले पांच साल से विदेश में निर्वासन में रह रहे नवाज शरीफ के पाकिस्तान के हालात अचानक बदल गए और पाकिस्तानी सेना की भावनाएं भी। वहीं नवाज शरीफ के पाकिस्तान लौटने के साथ ही उनपर रहमतों की बरसात हो रही है।

दरअसल, पाकिस्तानी सेना के इशारे पर डमी लोकतंत्र का पूरा सिस्टम, नवाज शरीफ को ईमानदार बनाने पर तुल गया है। नवाज शरीफ की सत्ता जिन मुकदमों की वजह से गई थी, अब पूरा डमी लोकतंत्र, उन मुकदमों को धीरे-धीरे खारिज करता जा रहा है और सिर्फ यही नहीं, पाकिस्तानी सेना ने नवाज के लिए Red Carpet बिछाते हुए, इमरान खान की राह और मुश्किल कर दी है।

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आगामी आम चुनाव में फिर पीएम उम्मीदवार होंगे नवाज

पाकिस्तान से 4 साल तक निर्वासन झेलने के बाद स्वदेश लौटे पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने लाहौर में पहली जनसभा की। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तानी अवाम की नब्ज टटोलकर निशाने पर लगाने की कोशिश की। दरअसल, नवाज शरीफ आगामी चुनाव में अपनी पार्टी के नेतृत्व में जीत हासिल करने के इरादे से पाकिस्तान लौटे हैं। नवाज़ की पार्टी ने साफ़ कर दिया है कि वह आगामी आम चुनाव में उनके पीएम उम्मीदवार होंगें।

हालांकि इस मकसद को हासिल करने के रास्ते में 73 साल के नवाज शरीफ के सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं। गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी और खराब अर्थव्यवस्था से जूझ रहे पाकिस्तान को नवाज ने फिर से पटरी पर लाने का सपना दिखाया है। हालांकि नवाज को कई मुद्दों से निपटना होगा। जैसे कि पाकिस्तान की चरमराती अर्थव्यवस्था के लिए उनकी पार्टी को काफी हद तक दोषी ठहराया जाता है। वहीं, चुनाव को लेकर लोगों के बीच जो व्यापक राय बनी है, उसमें वोट नहीं दिया जाएगा क्योंकि उनका मुख्य प्रतिद्वंद्वी जेल में है और फिर सेना है, जिसके हाथ में देश की सत्ता की चाबी है।

बढ़ती महंगाई को लेकर जनता भारी आक्रोश

विदेश में रहते हुए पूर्व प्रधानमंत्री कई मौकों पर सशस्त्र बलों के खिलाफ काफी मुखर रहे हैं। ख़ास तौर पर उन्होंने राजनीतिक अस्थिरता के लिए आईएसआई खुफिया एजेंसी के एक पूर्व प्रमुख और पूर्व सेना प्रमुख को दोषी ठहराया था। शरीफ ने कहा था कि वह ‘फर्जी मामलों’ का शिकार हुए और उन्होंने देश के जजों पर मिलीभगत का आरोप लगाया। हालांकि पाकिस्तान में युद्ध का मुख्य मैदान तो अर्थव्यवस्था है। जनता में इसे लेकर भारी आक्रोश है। मतदाताओं के दिमाग में आसमान छूती मुद्रास्फीति और जीवन-यापन की लागत सबसे ऊपर होगी जब उन्हें आखिरकार वोट डालने का मौका मिलेगा।

नवाज शरीफ को मिला सेना का साथ

वहीं सबसे बड़ा सवाल सेना और नवाज के रिश्तों का है। बता दें कि पाकिस्तान की राजनीति में सेना ही प्रमुख भूमिका निभाती है और कई बार तख्तापलटों में सत्ता पर कब्जा कर चुकी है। सेना का नवाज शरीफ के साथ एक लंबा, उतार-चढ़ाव भरा इतिहास रहा है। हालांकि और अन्य स्पष्ट विकल्पों की कमी के बावजूद, कई राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सेना उन्हें एक और मौका देने को तैयार है।

कहा जा रहा है कि नवाज की अपनी पार्टी में भी झगड़े कम नहीं हैं। शाहबाज हमजा को पीएम बनाने का सपना देख रहे हैं, जबकि नवाज खुद अपनी बेटी मरियम को अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहते हैं, ऐसे में क्या नवाज पीएम पद के लिए मरियम का नाम आगे बढ़ा सकते हैं। अब आने वाले दिनों में इस पूरे घटनाक्रम का पड़ोसी मुल्क की आंतरिक स्थिति पर क्या असर पड़ेगा? ये देखने वाली बात होगी।

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