शिमलाः मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज यहां कहा कि हिमाचल प्रदेश में किसानों को सशक्त बनाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए राज्य सरकार द्वारा कई योजनाएं शुरू की गई हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार खेती की लागत को कम करने और किसानों की आय और उत्पादकता बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाकर प्राकृतिक खेती (Natural farming) को बढ़ावा दे रही है।
दुष्प्रभावों से बचा रही Natural farming
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती जहां मानव और पर्यावरण को रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों से बचा रही है, वहीं खेती की लागत में कमी आने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी कृषि जलवायु क्षेत्रों में किसान और बागवान प्राकृतिक खेती के माध्यम से विभिन्न फसलें और फल उगा रहे हैं। राज्य की 3,592 पंचायतों में एक लाख 98 हजार किसान 35 हजार हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती के माध्यम से विभिन्न फसलें उगा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने प्राकृतिक खेती पर विशेष जोर देते हुए वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 15 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती करने से कृषि लागत में औसतन 36 प्रतिशत की कमी आई है तथा उत्पादों को औसतन 8 प्रतिशत अधिक कीमत मिली है। प्राकृतिक खेती करने वाले 75 प्रतिशत किसान-बागवान फसल विविधीकरण की ओर अग्रसर हुए हैं।
तय किया गया समर्थन मूल्य
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अगले दस वर्षों में राज्य को ‘समृद्ध और आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए आत्मनिर्भर हिमाचल की परिकल्पना की है। हमारी सरकार ‘समृद्ध किसान समृद्ध हिमाचल’ के संकल्प के साथ काम कर रही है। राज्य सरकार ने रोजगार को बढ़ावा देने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए 680 करोड़ रुपये की राजीव गांधी स्टार्ट-अप योजना के तीसरे चरण के तहत राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्ट-अप योजना शुरू की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के उत्पादों को प्राथमिकता के आधार पर खरीदने के साथ-साथ गेहूं और मक्की के लिए पूरे देश में सबसे अधिक 40 रुपये और 30 रुपये समर्थन मूल्य तय किया है।
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इसके तहत प्राकृतिक खेती करने वाले प्रत्येक किसान परिवार से 20 क्विंटल तक अनाज खरीदा जाएगा। हाल ही में कृषि विभाग ने प्रदेश के 1,508 किसानों से 398 मीट्रिक टन मक्की की खरीद की है तथा प्राकृतिक उत्पादों के लिए ‘हिम प्राकृतिक खेती उत्पादन योजना’ के साथ-साथ ‘हिम-भोग हिम प्राकृतिक’ मक्की का आटा भी बाजार में उतारा है।
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