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फायरिंग में 38 लोगों की मौत के बाद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के निशाने पर म्यांमार

Netherlands, Dec 10 (ANI): Gambia's Justice Minister Abubacarr Tambadou and Myanmar's leader Aung San Suu Kyi attend a hearing in a case filed by Gambia against Myanmar alleging genocide against the minority Muslim Rohingya population, at the International Court of Justice (ICJ) in The Hague, on Tuesday. (REUTERS Photo)

कोलकाताः म्यांमार में बुधवार को सुरक्षाबलों की गोलीबारी में कम से कम 38 प्रदर्शनकारियों के मारे जाने के बाद म्यांमार में तेजी से बिगड़ती स्थिति पर चर्चा के लिए ब्रिटेन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक का आह्वान किया है। म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र की दूत क्रिस्टीन श्रानेर बर्जनर ने मीडियाकर्मियों को बताया कि बुधवार को 38 प्रदर्शनकारियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई क्योंकि सुरक्षा बलों ने संयम बरतने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय आह्वान को धता बता दिया और म्यांमार के कई शहरों में लोकतंत्र की वापसी की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर गोली चला दी।

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि उनका देश बर्मा की सेना द्वारा अपने ही लोगों के खिलाफ की गई क्रूर हिंसा को देखकर व्यथित है। प्राइस ने चीन से हिंसा को रोकने और संसदीय लोकतंत्र की वापसी का मार्ग प्रशस्त करने के लिए बर्मा की सेना जुंटा पर जोर डालने के लिए कहा। प्राइस ने एक बयान में कहा, “चीन का क्षेत्र में प्रभाव है। इसका जुंटा पर प्रभाव है। हमने चीन से आह्वान किया है कि वह रचनात्मक तरीके से उस प्रभाव का इस्तेमाल करे, इस तरह से प्रभाव का इस्तेमाल करें जो बर्मा (म्यांमार) के लोगों के हितों को आगे बढ़ाए।”

उन्होंने कहा कि अमेरिका, जिसने जुंटा नेताओं पर प्रतिबंध लगाए हैं, आगे की कार्रवाई पर विचार कर रहा है। चीन ने अब तक यह कहने के अलावा कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है कि वह म्यांमार में स्थिरता चाहता है जबकि भारत ने व्यवस्थित रूप से लोकतांत्रिक ट्रांजिशन का आह्वान किया है, यहां तक कि आसियान ने संसदीय लोकतंत्र को वापस लाने पर जोर दिया।

भारत की सीमा से सटे म्यांमार के सगाइंग क्षेत्र की राजधानी मोनीवा में उस समय सबसे ज्यादा तबाही मची, जब सुरक्षाबलों ने कम से कम सात प्रदर्शनकारियों को गोली मार दी। गंभीर रूप से घायल प्रदर्शनकारियों को देखने वाले एक डॉक्टर ने कहा कि सबको लाइव अम्युनिशन से शूट किया गया और कम से कम सात मरे हैं।

अन्य चिकित्साकर्मियों ने कहा कि उन्होंने सेना द्वारा दो और मृत प्रदर्शनकारियों को खींचकर ले जाते हुए देखा है। म्यांमार के सबसे बड़े शहर और कभी देश की राजधानी रहे यांगून के बाहरी इलाके में कम से कम छह प्रदर्शनकारियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। बचावकर्मियों और स्थानीय पत्रकारों ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने प्रमुख सड़कों को अवरुद्ध करना जारी रखा और सुरक्षा बलों ने अवरोधक तोड़ने के लिए फायर किए।

यांगून के सुले पगोडा चौराहे के पास, प्रदर्शनकारियों ने जमीन पर जनरल मिन आंग हलैंग के चेहरे का प्रिंट-आउट चिपकाया – एक रणनीति जिसका उद्देश्य सुरक्षाबलों की चताल सुस्त करना था जो अपने प्रमुख के चित्र पर खड़े होने से बचते। एक डॉक्टर ने कहा कि म्यांमार के दूसरे सबसे बड़े शहर मंडाले में, दो प्रदर्शनकारी मारे गए। सलीन में गोली लगने से 19 वर्षीय एक अन्य प्रदर्शनकारी की मौत हो गई। प्याय, डवे और कई अन्य शहरों से मौतों की रिपोर्टें सामने आई हैं।

एनएलडी पार्टी की नेता सू ची को राजधानी नेपीडा में नजरबंद कर दिया गया है और उन्हें कोविड के नियमों का उल्लंघन करने और विदेशी निर्मित वॉकी-टॉकी संचार उपकरण रखने के आरोपों का सामना करने के लिए अदालत में वीडियो-लिंक के माध्यम से पेश किया गया।

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उनके वकील ने कहा कि जुंटा उन्हें इन आरोपों में जेल में रखने की कोशिश कर रही है कि जिससे उन्हें दो से तीन साल की सजा मिल सकती है, ताकि वह चुनाव नहीं लड़ सके और नए चुनाव के लिए मंच तैयार नहीं कर सकें। कुछ लोगों का कहना है कि सेना के चीफ जनरल हलैंग राष्ट्रपति बनने की ख्वाहिश रखते हैं, इसी के चलते सेना ने तख्तापलट कर सत्ता अपने हाथ में ली।

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