सुलतानपुरः नगर पालिका में एलईडी लाइट खरीद में बरती गई अनियमितता मामले में अधिशासी अधिकारी श्यामेंद्र मोहन चौधरी को निलंबित कर दिया गया है। नगर निकाय निदेशालय उत्तर प्रदेश की निदेशक शकुन्तला गौतम ने निलंबन आदेश जारी करते हुए जांच बैठा दी है। ईओ को जिलाधिकारी सुलतानपुर (एलबीसी) कार्यालय से संबद्ध करते हुए अनुशासनिक कार्यवाही हेतु सहायक निदेशक (लेखा) नगर निकाय निदेशालय उत्तर प्रदेश लखनऊ को जांच अधिकारी नियुक्त किया है।
बता दें कि इंडिया पब्लिक खबर द्वारा एलईडी लाइट्स के खरीद में बरती गई अनियमितता और भ्रष्टाचार को लेकर प्रमुखता से खबर छापी गई थी। नगर पालिका में 90 व 120 वाट की लगभग 2,000 एलईडी लाइट खरीद में घोटाले का आरोप अधिशासी अधिकारी श्यामेंद्र मोहन चौधरी पर लगा था। इसकी शिकायत सुलतानपुर के कई सभासदों ने जिलाधिकारी से मिल कर की थी। जिलाधिकारी के निर्देश पर अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व उमाकांत त्रिपाठी ने प्रकरण की जांच भी की थी।
अपर जिलाधिकारी की जांच में नगर पालिका में 90 व 120 वाट की लगभग 2,000 एलईडी लाइटों की खरीद में घोटाला उजागर हुआ था। जांच में 90 वाट की 1,000 एलईडी लाइट की खरीद में 43,75,000 रुपये व 120 वाट की 1,000 एलईडी लाइट की खरीद में 41,50,000 रुपये का घोटाला पाया गया था। दोनों लाइटों की खरीद में कुल 85 लाख 25 हजार का घोटाला मिला था।
निलंबन आदेश में कहा गया है कि जिलाधिकारी सुलतानपुर के पत्र के अनुसार श्यामेंद्र मोहन चौधरी अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद सुलतानपुर द्वारा 90 व 120 वाट एलईडी स्ट्रीट लाइट क्रय में अनियमितता बरती गई है। जिसमें कुल 85 लाख 25 हजार रुपए की क्षति पहुंचाने का आरोप है। साथ ही नगर पालिका परिषद के विकास कार्यों एवं शिलान्यास उद्घाटनों के पटों पर जनप्रतिनिधि के नाम अंकित करने संबन्धी शासनदेश की अवहेलना करने का भी आरोप है। आदेश में ईओ को प्रथम दृष्टया आरोप सही पाए जाने के कारण तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए अनुशासनिक कार्यवाही के आदेश दिए गए हैं। ईओ को कलेक्ट्रेट से संबद्ध करते हुए सहायक निदेशक लेखा को अनुशासनिक कार्यवाही के लिए जांच अधिकारी नामित किया गया है। जांच अधिकारी से अतिशीघ्र जांच कार्यवाही उपलब्ध कराने को कहा गया है।
निलंबन की प्रक्रिया सही है, अधिकारियों को अब आगे की कार्यवाही करनी चाहिए। ईओ के साथ चैयरमैन भी इस पूरे प्रकरण में शामिल हैं, बिना बोर्ड की स्वीकृति के इतना बड़ा फैसला लिया गया और घोटाला किया गया। ईओ और अध्यक्ष पर जांच कमेटी को एक्शन लेना चाहिए।
अजय सिंह, सभासद, शास्त्री नगर
इस घोटाले के प्रमुख दोषी चेयरमैन बबिता जायसवाल और उनके अजय जायसवाल पर जब तक कार्रवाई नहीं होती, तब तक कुछ नहीं हो सकता। घोटाले की पूर रिकवरी होनी चाहिए। सरकार पूरी तरह से चैयरमेन पर मेहरबान है, जनप्रतिनिधि भाजपा का है इस वजह से प्रशासन डर रहा है।
अमोल बाजपेई, एडवोकेट, सभासद, लाल डिग्गी
ईओ श्यामेंद्र मोहन मात्र मोहरा हैं। इस घोटाले के प्रमुख आरोपी बबिता जायसवाल और उनके पति अजय जायसवाल हैं। जब तक इसकी पूरी कार्यवाही होकर घोटाले की रिकवरी नहीं हो जाती, तब तक इस प्रकरण का उद्देश्य पूरा नहीं होगा।
डॉ. संतोष सिंह, सभासद, सिविल लाइन्स
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर फॉलो पर करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)