मुंबई (Mumbai): दहानू तालुका के वाढ़वन में प्रस्तावित केंद्र सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट वाढ़वन बंदरगाह परियोजना को लेकर तटीय इलाकों में रहने वाले मछुआरे और आदिवासी गुस्से में हैं और लगातार इस परियोजना को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन, सरकार अपनी जिद पर अड़ी हुई है। इस बीच, बंदरगाह को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से पर्यावरण मंजूरी मिलने के बाद, मछुआरों और आदिवासियों ने बंदरगाह परियोजना के खिलाफ अपना संघर्ष तेज कर दिया है।
बंदरगाह विरोधी संघर्ष समिति के अध्यक्ष नारायण पाटिल ने कहा कि 22 फरवरी को करीब 15 हजार मछुआरे और आदिवासी मुंबई-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित चारोटी में यातायात अवरुद्ध कर बंदरगाह परियोजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे। परियोजना का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि बंदरगाह के निर्माण से करीब 5 लाख मछुआरों और स्थानीय लोगों की आजीविका खतरे में पड़ जाएगी। मछुआरों का कहना है कि वे खून की आखिरी बूंद तक सरकार की इस विनाशकारी परियोजना के खिलाफ लड़ेंगे।
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मछुआरे काले झंडे दिखाएंगे
उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में एक कार्यक्रम में दावा किया था कि पीएम मोदी इसी महीने बंदरगाह का भूमि पूजन करेंगे। इस घोषणा से नाराज बंदरगाह विरोधी संघर्ष समिति के नेताओं ने कहा कि बंदरगाह के भूमि पूजन के विरोध में मछुआरे और आदिवासी बंदरगाह की प्रतिकृति का प्रतीकात्मक पुतला निकालेंगे और उसे जलाएंगे। मुंबई के कफ परेड से दहानू के झाई तक तटीय गांवों में बंदरगाह परियोजना के खिलाफ लोगों में जबरदस्त गुस्सा है और वे बंदरगाह के वर्चुअल शिलान्यास समारोह के खिलाफ काले झंडे दिखाएंगे।
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