रायसेनः महाशिवरात्रि हिंदुओं का बड़ा त्योहार माना जाता है। महाशिवरात्रि के दिन भक्त भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। आज के दिन शिवजी की पूरे विधि विधान से उपासना करने वालों को भोले बाबा का आशीर्वाद जरूर मिलता है। जिसमें एक ही शिवालय है। हालांकि इस मंदिर के दरवाजे साल में एक बार वो भी महाशिवरात्रि पर 12 घंटे के लिए खोले जाते हैं। इस दिन यहां बडा मेला भी लगता है।
दरअसल हम बात कर रहे है मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित सोमेश्वर धाम मंदिर की। जो रायसेन किले की पहाड़ी पर करीब 800 फीट की ऊंचाई पर स्थापित है। इस मंदिर का निर्माण 10वीं से 11वीं शताब्दी के बीच हुआ था। इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ के दो शिवलिंग स्थापित हैं। जिसे परमारकालीन राजा उदयादित्य ने बनवाया था। उस दौर में इस मंदिर में राजघराने की महिलाएं पूजा-अर्चना करने आती थीं।
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बाद में इस मंदिर को अफगान शासक शेरशाह सूरी ने इसे मस्जिद का स्वरूप दे दिया था। यह मंदिर लम्बे अरसे तक बंद था और 1974 तक मंदिर पर ताले लगे रहे। लेकिन आजादी के बाद यहां मंदिर को लेकर बड़ा आंदोलन हुआ और 1974 में तत्कालीन मुख्यमंत्री और दिवंगत कांग्रेस नेता प्रकाशचंद सेठी ने खुद मंदिर के ताले खुलवाए और मंदिर में मूर्तियों को स्थापित कराया । उसके बाद से हर शिवरात्रि के मौके पर 12 घंटे के लिए मन्दिर पूजा के लिए खोला जाने लगा। इस दिन यहां बडा मेला भी लगता है।
मंदिर को लेकर को लेकर उमा भारती ने किया था बड़ा ऐलान
इससे पहले सीहोर के कथा प्रवाचक पं प्रदीप मिश्रा ने सोमेश्वर महादेव मंदिर के बंद रहने पर सवाल उठाए थे, साथ ही कहा था कि जब शिव जी कैद हैं तो यह राज किस काम का। उसके बाद से यह मंदिर चर्चाओं में है। पं प्रदीप मिश्रा के बयान के बाद उमा भारती ने कई ट्वीट कर परंपराओं का हवाला देते हुए नवरात्रि के बाद के पहले सोमवार को मंदिर पहुंचकर गंगोत्री जल चढ़ाने का ऐलान किया था। इससे पहले पिछले साल पूर्व सीएम उमा भारती ताला बंद होने से शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ा पाईं। इसका उन्हें आज भी मलाल है और उन्होंने उस समय ऐलान किया है कि जब तक मंदिर का ताला नहीं खुल जाता और वे शिवलिंग को गंगाजल नहीं चढ़ा देतीं, तब तक अन्न जल ग्रहण नहीं करेंगी।
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