Mount Everest Ki Unchai
माउंट एवरेस्ट दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है यह तो आप जानते होंगे, लेकिन कभी सोचा है कि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई (Mount Everest Ki Unchai Kitni Hai) कितनी है और इसका नाम माउंट एवरेस्ट क्यों पड़ा। आइए जानते हैं माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई और इससे जुड़ीं कुछ ऐसी जरूरी बातें।
नेपाल में स्थित माउंट एवरेस्ट चीन के साथ नेपाल की सीमा का निर्धारण करता है। इसका उत्तरी भाग चीन तो दक्षिण भाग नेपाल के अंतर्गत आता है। माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई (Mount Everest Height) वर्तमान में 8848.86 मीटर है। माउंट एवरेस्ट को ‘पहाड़ों की देवी’ भी कहते हैं, वहीं नेपाली भाषा में इसे सागरमाथा भी कहते हैं। सागरमाथा का तात्पर्य है- आकाश में माथा।
माउंट एवरेस्ट नाम कैसे पड़ा जाने
अब आपको बताएं कि माउंट एवरेस्ट का नाम कैसे पड़ा। इस पर्वत चोटी का नाम भूगोलशास्त्री जाॅर्ज एवरेस्ट के नाम पर रखा गया है। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने ही सबसे पहले इस पर्वत की सही ऊंचाई और स्थान का पता लगाया था। जाॅर्ज एवरेस्ट वर्ष 1830 से 1843 तक भारत के सर्वेयर जनरल थे। इनके नाम पर साल 1865 में इस पर्वत को माउंट एवरेस्ट का नाम दिया गया। इससे पहले इसे पीक-15 के नाम से जाना जाता था।
क्यों बढ़ रही।
क्या आप जानते हैं कि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई ( Mount Everest Ki Unchai ) बढ़ रही है। यह बात आपको चौंका सकती है, लेकिन यह बिल्कुल सच है। एक अनुमान के मुताबिक हर 100 साल में पर्वत की ऊंचाई 20 सेंटीमीटर तक बढ़ रहा है। साल 2020 में चीन और नेपाल ने संयुक्त रूप से माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई की जानकारी दी। इसके अनुसार, माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई वर्तमान में 8848.86 मीटर है। बता दें कि इससे पहले पर्वत की ऊंचाई 8848 मीटर मापी गई थी। यानी कि पर्वत चोटी की ऊंचाई 86 सेंटीमीटर बढ़ी है। नेपाल सरकार ने दुनिया को इसकी जानकारी दी।
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भूकंप के बाद मापी गई ऊंचाई
नेपाल में साल 2015 में भूकंप आया था। इसके बाद से विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया कि पर्वत की ऊंचाई में इजाफा (Mount Everest Height) हुआ है। इसके बाद नेपाल सरकार ने चीन की मदद से पर्वत की ऊंचाई का पता लगाया। इससे पहले माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई सर्वे ऑफ इंडिया ने साल 1954 में मापी थी। जिसमें इसकी ऊंचाई 8848 मीटर मापी गई थी।
Everest Ki Unchai Kitni Hai नापने में GPS का इस्तेमाल
माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई ( Everest Ki Unchai Kitni Hai ) नापना आसान नहीं है। पर्वत पर चढ़ने में लगभग 40 दिन लग जाते हैं। इसके साथ ही यहां हवा का वेग भी 321 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो सकता है। इसके अलावा माउंट एवरेस्ट का तापमान माइनस 30 से 40 डिग्री सेल्सियस तक रह सकता है। माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई का पता लगाने के लिए टीमों ने जीपीएस का इस्तेमाल किया। साथ ही टीम ने सूरज की रोशनी से बचने के लिए सुबह तीन बजे के वक्त को चुना था। पर्वत की ऊंचाई मापने के लिए विशेषज्ञों ने समुद्र तल व गुरुत्व बल दोनों का ध्यान रखा। साथ ही इस बार ऊंचाई में स्नो कैप को भी शामिल किया गया है।
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