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पश्चिम बंगाल के चुनाव केंद्रित हिंसा में पांच सौ से अधिक लोग हुए बेघर

गुवाहाटी: देश भर के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे 02 मई को घोषित होने के बाद असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में स्थिति शांतिपूर्ण बनी रही। जबकि, पश्चिम बंगाल में स्थिति अशांत हो उठी। भाजपा और टीएमसी समर्थक एक-दूसरे के प्रति हिंसक हो उठे। इस चुनाव में पश्चिम बंगाल में कांग्रेस, सीपीआई (एम) राजनीतिक रूप से पूरी तरह समाप्त हो गयी। इसके विपरीत ममता बनर्जी की टीएमसी के सामने भाजपा प्रमुख प्रतिद्वंद्वी बनकर उभरी है।

पश्चिम बंगाल के पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा के सिर्फ तीन विधायक थे। जबकि, इस बार के चुनाव में भाजपा 74 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई है। पश्चिम बंगाल में चुनाव नतीजों की घोषणा के बाद से ही राज्य में भाजपा कार्यकर्ता और समर्थकों पर उपद्रवियों द्वारा हमला शुरू हो गया। इस दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या, हिंसा, आगजनी, लूटमार करना भी उपद्रवियों ने शुरू कर दिया। जिसके कारण पश्चिम बंगाल के 28 गांवों के कुल 557 लोग अपनी जान बचाने के लिए घर-बार छोड़कर असम के सीमावर्ती इलाके में शरण लेने को मजबूर हो गए हैं।

असम प्रदेश आरएसएस के प्रचार प्रमुख किशोर शिवम ने बताया है कि पश्चिम बंगाल की भाकुनमारी, बालाकुची, सुभाषपल्ली, छोटेलाउकुची, कृष्णापुर, लाओ खूंटी, फलीमारी आदि 28 गांव के 557 लोग अपनी जान बचाकर बीते आठ-नौ दिनों से असाम में आकर शरण लिये हुए हैं।

सूत्रों से प्राप्त खबरों के अनुसार शरण लेने वालों में 228 पुरुष, 87 महिलाएं और 29 बच्चे हैं। असम के धुबरी जिला के पोकालगी सीनियर सेकेंडरी स्कूल के शरणार्थी शिविर में कुल 218 लोग और रंगपगली मझलिया विद्यालय में कुल 230 पश्चिम बंगाल के निवासी शरण लिये हैं। वहीं, कोकराझार जिला की तामरहाट शरणार्थी शिविर में 51 लोग शरण लिये हैं और श्रीरामपुर शिविर में 58 लोगों ने आश्रय लिया है।

इन पीड़ित लोगों का कहना है कि भाजपा को वोट देने के बाद ममता दीदी के गुप्त निर्देश पर टीएमसी के समर्थकों ने जानबूझकर उन पर हमला किया है। टीएमसी के समर्थकों ने चुन-चुनकर भाजपा नेता, कार्यकर्ताओं व समर्थकों पर हमला किया है। उनके घर-बार तोड़कर आग लगा दिया गया है। साथ ही भाजपा समर्थक व कर्मियों के व्यवसायिक प्रतिष्ठान को लूटकर आग लगा दिया गया है।

लोगों का कहना है कि इस हिंसात्मतक घटना के साथ ही कुछ उपद्रवियों ने महिलाओं के साथ गलत व्यवहार किया है। पूरे राज्य में इस राजनीतिक हिंसा के कारण अनेक लोगों का निधन भी हो गया है, तथा कई लोग गंभीर रूप से घायल भी हो गये हैं।

इस मामले में पीड़ित लोगों का कहना है कि उपद्रवियों व हिंसा करन वालों में ज्यादातर लोग मुस्लिम संप्रदाय के थे और ममता बनर्जी ने उन्हें शरण दे रखा है। इस राजनीतिक हिंसा के मुद्दे पर पुलिस और प्रशासन पूरी तरह से मौन है। हिंसा के शिकार हुए लोग निरुपाय होकर घर -बार छोड़कर अपनी जान बचाने के लिए उत्तरबंग, कोचबिहार और अलीपुरदुआर आदि जिलों के लोग असम में शरण पहुंचे हैं।

हिंसा के शिकार लोग असम के सीमावर्ती गांव रंगपागली, पोकालागी-छागलिया 2 खंड, कोकराझार जिला के तामारहाट और श्रीरामपुर में आश्रय के लिए आ पहुंचे हैं। इसकी जानकारी जब असम के सीमावर्ती गांवों के लोगों को मिली तो गांव वाले और समाजसेवी लोगों ने तुरंत पश्चिम बंगाल से आए भयभीत और पीड़ित लोगों की सहायता की। उन्हें भोजन के साथ-साथ सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं।

धुबरी जिला प्रशासन, जिला पुलिस, अधीक्षक, जिला उपायुक्त सभी मिलकर पीड़ित लोगों को सुरक्षा प्रदान करने के साथ ही सभी का कोरोना टेस्ट भी किया गया। कोविड से पीड़ित लोगों को चिकित्सा के लिए धुबरी जिला के कोविड सेंटर और मोटेरझार में अलग कर रखा गया और उनकी चिकित्सा का इंतजाम किया गया है। असम में शरण लेने वाले लोग कब अपने घर जाएंगे, वर्तमान में कुछ भी कहना कठिन है।

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