Home फीचर्ड आर्थिक मजबूती की राह पर मोदी का बजट

आर्थिक मजबूती की राह पर मोदी का बजट

अंतरिम बजट केवल जरूरी चीजों पर केंद्रित रहा। पिछले वर्ष के प्रदर्शन की प्रस्तुति एवं आगामी वर्ष के लिए जरूरी आवंटन। किसी बड़ी रियायत, कल्याणकारी योजना व्यय, कर रियायत आदि के जरिए लोगों को रिझाने आदि की कोशिश नहीं की गई। आगामी लोकसभा चुनाव में जीत के बाद नई सरकार जुलाई में बजट पेश करेगी। इसलिए यह बजट सिर्फ वित्त वर्ष 2024-25 के शुरुआती महीनों के लिए नियमित बजट पारित होने तक सरकार व्यय की स्वीकृति के लिए सिर्फ लेखानुदान प्रस्तुत करती है। नई सरकार बनने तक यह एक अग्रिम अनुदान की तरह है, जो कि पूरे वित्त वर्ष के बजट का लगभग छठा भाग होता है।

परंपरागत रूप से इसे बिना चर्चा के ही पारित किया जाता है। अपनी सरकार की 10 वर्षों की उपलब्धियां को बताते हुए वित्त मंत्री ने स्पष्ट तौर पर कहा कि एनडीए सरकार ही जुलाई में पूर्ण बजट पेश करेगी, जिसमें विकसित भारत के लक्ष्य का एक विस्तृत रोडमैप प्रस्तुत किया जाएगा। इस प्रकार नियमित आर्थिक सर्वेक्षण भी जुलाई में आएगा। अंतरिम बजट से पहले सरकार ने ‘द इंडियन इकोनॉमिक रिव्यू’ पेश किया, जिसमें वित्त वर्ष 2024 और आगामी वित्तीय वर्ष में 07 फीसदी या उससे अधिक की आर्थिक समृद्धि की दर प्राप्त करने का लक्ष्य दोहराया गया।

जीडीपी मॉडल यानी गवर्नेंस, डेवलपमेंट और परफॉर्मेंस यानि प्रशासनिक सुधार, विकास और प्रदर्शन से सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि हो रही है और लोगों का जीवन स्तर सुधार रहा है। मोदी सरकार (Modi government) ने जो नई सोशल इंजीनियरिंग शुरू की है, उसमें एक बड़ा तबका आता है जो कि किसी भी धर्म और जाति से परे है। प्रधानमंत्री मोदी ने महिला, युवा, किसान और गरीब को एक ही जाति में होने का जो मुहावरा गढ़ा है, उसके आर्थिक सशक्तिकरण के लिए सरकार पहले से प्रयास कर रही है। इस समूह में ओवरलैपिंग भी है। युवा महिलाएं भी हैं, किसान भी हैं तथा गरीब भी हैं। महिलाएं किसान भी हैं, गरीब भी हैं तथा किसान गरीब भी हैं। इसलिए कुल मिलाकर यह अर्थव्यवस्था का एक बहुत बड़ा वर्ग है, जिसका विकास करने से अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।

सरकारी व्यय की गुणवत्ता से समझौता किए बिना घाटे में कमी करना राजकोषीय प्रबंधन का सबसे अहम गुण है। वास्तव में पूंजीगत व्यय का आवंटन बढ़ रहा है। यह सराहनीय है कि सरकार ने अपने राजकोषीय घाटे में कमी करने के लिए पूंजीगत व्यय में कटौती नहीं की है। वित्त मंत्री ने राजस्व व्यय में कमी के द्वारा तथा अपने राजस्व को बढ़ाकर घाटा कम करने का प्रयास किया है। सरकार ने आधारिक संरचना पर अपने व्यय को बढ़ाया है, जो कि दीर्घकालिक टिकाऊ विकास के लिए आवश्यक है। केंद्र सरकार द्वारा अनुमान से कम उधारी भी व्यवस्था में नकदी की लागत कम करने में मदद करेगी। इसके साथ ही बेहतर प्रबंधित सरकारी वित्त भी वृहद आर्थिक स्थिरता बढ़ाएगा और निवेशकों का विश्वास मजबूत करेगा। चुनाव के समय बिना किसी लोकलुभावन घोषणा के राजकोषीय अनुशासन का पालन करना साहसी और अच्छा कदम माना जाएगा।

चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी का 5.9 फीसदी था, जिसके 5.8 फीसदी रहने का अनुमान है और अगले वित्त वर्ष 2025 के लिए राजकोषीय घाटा को 5.1 फीसदी तथा 2025–26 में इसे 4.5 फीसदी पर लाने का सरकार का लक्ष्य है, जो कि अत्यंत सराहनीय है। महत्वपूर्ण यह है कि ऐसा राजस्व घाटा में कमी के द्वारा होगा। राजस्व घाटा, जो कि 2023-24 में 2.8 फीसदी था, 2024-25 में जीडीपी का 02 फीसदी रह जाएगा। इसका कारण सरकार द्वारा उच्च राजस्व संग्रह है। सरकार की कर संग्रह में वृद्धि के साथ-साथ सरकारी कंपनियों के लाभांश में वृद्धि से ऐसा संभव हुआ है। इससे सरकार बाजार से कम उधार लेगी और निजी क्षेत्र को अधिक संसाधन उपलब्ध हो सकेंगे, ब्याज दरों में कमी आएगी, निजी निवेश बढ़ेगा। सरकार द्वारा पिछले 10 वर्षों में उठाए गए कदमों और सुधारो का प्रभाव अब कर संग्रहण में दिखने लगा है।

कर प्रक्रियाओं को सरल बनाकर, अनुपालन लागत में कमी करके, कर प्रशासन को व्यवस्थित करके और दक्ष बनाकर, जीएसटी लागू करके तथा पैन और आधार को जोड़ने का लाभ अब अधिक कर राजस्व के रूप में सामने आने लगा है। जहां जीएसटी से अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था बेहतर हुई है, कर चोरी और रिसाव कम हुआ है, वहीं डिजिटलीकरण से भी कर संग्रह बढ़ा है। आयकर में हुई वृद्धि महत्वपूर्ण है और वह इस समय सरकार के कर राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत बन गया है तथा उसका कुल योगदान जीडीपी का 19 फीसदी है। प्रत्यक्ष कर से जुड़ी प्रक्रियाओं के सरलीकरण पर भी बजट में ध्यान दिया गया है। व्यक्तिगत आयकर से संबंधित बकाया कर संबंधी विवादों के समाधान की व्यवस्था की गई है। एक करोड़ करदाताओं को पुराने नोटिस से राहत देने की घोषणा से छोटे करदाताओं को काफी राहत मिलेगी।

पूंजीगत व्यय बढ़ा

अगले वित्त वर्ष 2024–25 के लिए जहां सरकार का कुल व्यय 06 फीसदी से कुछ अधिक दर से बढ़ने का अनुमान है, वहीं पूंजीगत व्यय के 11 फीसदी की दर से बढ़कर 11.11 लाख करोड़ रुपये पहुंच जाने का अनुमान है। इससे संकेत मिलता है कि सरकार राजस्व व्यय को सीमित करने पर ध्यान दे रही है, ताकि पूंजीगत व्यय के लिए गुंजाइश बनाई जा सके। 2024-25 में केंद्र सरकार के कुल व्यय के हिस्से के रूप में पूंजीगत व्यय के 30 वर्षों के उच्चतम स्तर पर है। सरकार ने महामारी के बाद पूंजीगत व्यय में लगातार वृद्धि किया है। वर्ष 2019-20 से 2023-24 के बीच केंद्र सरकार का विशुद्ध पूंजीगत व्यय तीन गुना हो गया। उल्लेखनीय है कि, पूंजीगत व्यय का आय, उत्पादन और रोजगार बढ़ने में गुणक प्रभाव राजस्व व्यय से बहुत अधिक है। आधारिक संरचना पर व्यय के जीडीपी के 3.4 फीसदी रहने का अनुमान है।

Modi's budget on the path of economic

बजट में सड़क निर्माण के साथ-साथ रेलवे को भी अधिक आवंटन किया गया है, साथ ही हवाई अड्डों और मालभाड़े के लिए डेडीकेटेड कॉरिडोर की संख्या बढ़ाने की भी सरकार ने घोषणा की है। सरकार की प्राथमिकता में सी-पोर्ट व रिवर पोर्ट आधारिक संरचना का विकास भी है। साथ ही सरकार डिजिटल आधारिक संरचना के विकास के प्रति भी प्रतिबद्ध है। केंद्र सरकार आधारिक संरचना पर खर्च के लिए राज्यों को 1.3 लाख करोड़ रुपए का दीर्घकालिक ऋण भी प्रदान करेगी। सरकार ने रेलवे के लिए एक नया रोडमैप बनाया है। रेल मंत्रालय का फोकस रेलवे में सुरक्षा और विद्युतीकरण पर विशेष रूप से है।

अगले 05 वर्षों के दौरान 15,000 करोड़ रुपए की लागत से 40,000 रेलवे की बोगियां को वंदे भारत ट्रेन की तरह अपग्रेड किया जाएगा। रेलवे को अगले वित्त वर्ष में कुल 2.52 लाख करोड़ रुपए का आवंटन हुआ है। प्रधानमंत्री गति शक्ति के अंतर्गत रेलवे में तीन प्रमुख गलियारे बनाए जाएंगे- ऊर्जा, खनिज और सीमेंट गलियारे, बंदरगाह कनेक्टिविटी गलियारे और उच्च यातायात घनत्व गलियारे, जो कि पहले से बन रहे समर्पित माल गलियारों के अतिरिक्त होंगे। आधारिक संरचना के मजबूत और उन्नत होने से अर्थव्यवस्था की विकास क्षमता और रोजगार सृजन क्षमता में वृद्धि होती है तथा निजी निवेश भी बढ़ता है। राज्यों को इस वर्ष 50 वर्ष के ब्याज मुक्त ऋण के रूप में 75,000 करोड़ रुपए का प्रावधान पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देने के लिए किया गया।

बजट में सेमीकंडक्टर मिशन को गति देने के लिए 15,500 करोड़ रुपए सेमीकंडक्टर मिशन, मोबाइल व आईटी हार्डवेयर योजना सहित इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग के लिए आवंटित किया है। स्टार्टअप में निवेश के लिए कर प्रोत्साहन की अवधि भी बढ़ा दी गई है। रक्षा क्षेत्र का व्यय कुल बजट का 08 फीसदी है, इसमें पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 27,000 करोड़ रुपए या 4.3 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई है। सबसे महत्वपूर्ण है रक्षा पूंजीगत व्यय में लगातार वृद्धि। कुल रक्षा व्यय का 27.7 फीसदी हिस्सा पूंजीगत व्यय है। 2022 की तुलना में पूंजीगत व्यय में वृद्धि 20.33 फीसदी है। घरेलू स्तर पर रक्षा उत्पादन में वृद्धि करने के लिए भी महत्वपूर्ण प्रयास सरकार लगातार कर रही है। सैन्य क्षेत्र में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकीयों के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना की भी घोषणा की है।

हरित ऊर्जा

पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने और हरित विकास सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने सूर्योदय योजना की शुरुआत की है, जिसका लाभ गरीबों को मिलेगा और प्रत्येक परिवार प्रति महीने 300 यूनिट तक बिजली नि:शुल्क प्राप्त कर सकेगा। इससे देश के एक करोड़ परिवारों को लाभ होगा। इसके लिए सरकार ने 10,000 करोड़ रुपए का आवंटन किया है। वर्ष 2017 तक नेट जीरो लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा। सरकार ने बजट में अन्य कई छोटे-छोटे कदम उठाए हैं, जो कि हरित विकास को सुनिश्चित करेंगे। राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन और सौर ऊर्जा पर व्यय में लगभग दोगुनी वृद्धि हुई है। सरकार नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से बिजली पैदा करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।

सौर ऊर्जा के साथ ही पवन ऊर्जा और बायोगैस मिश्रित पीएनजी व सीएनजी उपलब्ध कराने पर भी सरकार का जोर है। वर्ष 2030 तक देश में कोल गैसीफिकेशन से 100 मी क्षमता गैस निकालने का भी सरकार में संकल्प व्यक्त किया है। हरित इधन को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वाहनों के लिए आवश्यक आधारिक संरचना सुविधाओं पर भी सरकार काम कर रही है। पिछले 10 वर्षों में सौर ऊर्जा की क्षमता 26 गुना बढ़ी है। 2030 तक भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में 35 लाख नई नौकरियां मिलने की संभावना है। किसानों के कल्याण व कृषि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने से जुड़ी सरकार की योजनाओं की राशि में वृद्धि की गई है।

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना तथा नीली क्रांति की राशि में भी वृद्धि हुई है। फसल बीमा योजना का लाभ भी किसानों को मिला है। पीएम किसान सम्मान योजना के अंतर्गत प्रतिवर्ष 11.8 करोड़ किसानों को जहां 6,000 रुपए की वित्तीय सहायता दी जाती है। वहीं, चार करोड़ किसानों को फसल बीमा उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के माध्यम से लगभग 38 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं। इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर बाजार में 1361 मंडियों को एकीकृत किया है, जिससे 1.8 करोड़ किसान जुड़े हैं। नीली क्रांति अर्थात मछली पालन के माध्यम से 55 लाख रोजगार सृजित किए जाएंगे, इससे सीफूड निर्यात भी एक लाख करोड़ रुपए करने का लक्ष्य है। गेहूं, चावल की तरह तिलहन और दलहन के फसलों में भी आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में सरकार ने कदम बढ़ाया है।

खाद्य तेलों के आयात को कम करने के लिए तिलहनों में आत्मनिर्भरता के लिए भी सरकार रणनीति तैयार कर रही है, जिसके तहत उन्नत किस्म के बीजों का प्रयोग तिलहनों के उत्पादन में किया जाएगा। खाद्य तेलों के बढ़ते आयात को देखते हुए यह महत्वपूर्ण कदम है। सभी जल कृषि जलवायु क्षेत्रों में विभिन्न फसलों के नैनो डीएपी की इस्तेमाल की विस्तार का भी उल्लेख वित्त मंत्री ने किया है। बजट में कृषि के साथ-साथ कृषि की सहायक गतिविधियों पर भी सरकार ने पूरी समग्रता से ध्यान दिया। पशुपालन, दूध पालन, मछली पालन, खाद्य प्रसंस्करण के साथ-साथ फसलोंपरान्त होने वाले नुकसान को कम करने के प्रावधान किए गए हैं।

कृषि क्षेत्र में मूल्य वर्धन और किसानों की आय बढ़ाने पर अधिक जोर है। भंडारण क्षमता में वृद्धि, प्रसंस्करण, आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना, विपणन एवं ब्रांडिंग सहित फसलोंपरान्त गतिविधियों में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ाने के लिए सरकार कार्य कर रही है। बजट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए जहां प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का आवंटन बढ़ाया गया है, वहीं मनरेगा के भी आवंटन में भी इस वर्ष वृद्धि की गई है। मनरेगा के बजट में 26,000 करोड़ रुपए पिछले वर्ष की अपेक्षा बढ़ाया गया है। इससे रोजगार सृजन होगा और उत्पादक कार्यों में भी वृद्धि होगी। इस समय ग्रामीण अर्थव्यवस्था में खपत या उपभोग का स्तर काफी कम है। सरकारी व्यय में वृद्धि से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी।

‘अनुसंधान और नवाचार’ तथा ‘महिला और गरीब’

सरकार का ध्यान उद्यमिता और नवाचार को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए बजट में 01 लाख करोड़ रुपए का फंड बनाया गया है, जिससे 50 वर्षों के लिए ब्याज मुक्त ऋण दिया जाएगा। यह कोष लंबी अवधि के लिए शून्य या कम ब्याज दर पर वित्तीय सहायता प्रदान करेगा, ताकि निजी क्षेत्र शोध और नवाचार में इजाफा कर सकें। नई शिक्षा नीति के तहत सरकार पहले ही नेशनल रिसर्च फाऊंडेशन की गठन की घोषणा कर चुकी है, जिसके लिए 2021 के बजट में 05 वर्षों में 50,000 करोड़ रुपए खर्च करने की भी घोषणा सरकार ने किया था। आने वाले समय में तकनीक का महत्व और बढ़ेगा। ऐसे में शोध और विकास पर व्यय बढ़ाना विकसित भारत की राह में सबसे महत्वपूर्ण कदम है। उद्यमिता को बढ़ाने के लिए भी सरकार लगातार प्रयास कर रही है, जो कि रोजगार बढ़ाने और अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए महत्वपूर्ण है। शोध एवं विकास के क्षेत्र में भारत का प्रति व्यक्ति व्यय दुनिया में सबसे कम है।

भारत का अनुसंधान एवं विकास पर व्यय जीडीपी के एक फीसदी से भी कम है, जबकि अमेरिका लगभग 2.9 फीसदी, स्वीडन 3.2 फीसदी और स्विट्जरलैंड 3.8 फीसदी खर्च करता है। सकल घरेलू उत्पाद के फीसदी के रूप में हमारा शोध एवं विकास क्षेत्र का कुल व्यय 2020-21 में केवल 0.64 फीसदी था। यह 2.71 फीसदी के वैश्विक स्तर से बेहद कम है। अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी जैसे देशों में आईटी सॉफ्टवेयर कंपनियां क्रमश: 6.5 फीसदी से 21 फीसदी के बीच निवेश करती हैं। जबकि देश की शीर्ष दो सॉफ्टवेयर कंपनियां शोध एवं विकास में अपनी बिक्री का क्रमश: केवल 1.4 फीसदी और 0.5 फीसदी व्यय करती हैं। जब तक निजी क्षेत्र शोध एवं विकास को लेकर प्रयास तेज नहीं करता और नवाचार में इजाफा नहीं होता, भारत शायद वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अपनी स्थिति नहीं सुधार सकता।

सरकार की 10 में से सात योजनाओं के केंद्र में महिलाएं हैं। महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनकर ही देश को समृद्ध और सशक्त बनाया जा सकता है, ऐसा सरकार का मानना है। बजट में 03 करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने सहित आयुष्मान भारत योजना का दायरा बढ़ाते हुए आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं को भी शामिल किया गया है। 09 करोड़ महिलाओं के साथ 83 लाख स्वयं सहायता समूह महिलाओं को सशक्तिकरण और आत्मनिर्भर बनाने के साथ ग्रामीण सामाजिक आर्थिक परिवेश में परिवर्तन कर रहे हैं। लखपति दीदी योजना का उद्देश्य स्वयं सहायता समूह में महिलाओं को प्रशिक्षण देना है, जिससे कि वह प्रतिवर्ष कम से कम एक लाख रुपए की स्थाई आय अर्जित कर सकें। बजट में जल शक्ति मंत्रालय को 98,418 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है, जिसमें अकेले जल जीवन मिशन के लिए 69,926 करोड़ रुपए है जबकि स्वच्छ भारत मिशन के लिए 7,192 करोड़ रुपए।

जल जीवन मिशन का लक्ष्य 2024 तक ग्रामीण भारत के सभी घरों में सुरक्षित और पर्याप्त स्वच्छ जल उपलब्ध कराना है, जिसके अंतर्गत अब तक 19.36 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 14.02 करोड़ को नल से जल कनेक्शन दिया जा चुका है। इसका सबसे अधिक लाभ महिलाओं को ही मिलेगा, उनका श्रम और समय तो बचेगा ही, जीवन की गुणवत्ता बेहतर होगी। पीएम आवास योजना ग्रामीण के तहत अगले 05 वर्षों में 02 करोड़ पक्के आवास और शहरों में नई आवास योजना पर कार्य करने का सरकार ने संकल्प व्यक्त किया है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे निचले मध्य वर्ग को भी लाभ होगा। बढ़ते शहरीकरण और मध्यम वर्ग को देखते हुए आवास के साथ-साथ महत्वपूर्ण शहरों में मेट्रो रेल और नमो भारत के जरिए शहरों में आधारिक संरचना और मजबूत करने पर जोर है।

शिक्षा एवं स्वास्थ्य तथा पर्यटन व रोजगार में वृद्धि

स्कूली शिक्षा के बजट में केंद्रीय योजनाओं के लिए लगभग 19 फीसदी से अधिक की बढ़ोत्तरी हुई है, जबकि उच्च शिक्षा के अंतर्गत अध्ययन और नवाचार के लिए 355 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। बजट में डिजिटल इंडिया के तहत 80 करोड़ रुपए बढ़कर 505 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। प्राथमिक शिक्षा के बजट में 534 करोड़ रुपए की मामूली बढ़ोत्तरी हुई है और कुल आवंटन 73,000 करोड़ रुपए है। यूजीसी को दी जाने वाली वित्तीय मदद में 60 फीसदी से अधिक की कमी की गई है और इस बार सिर्फ 2,500 करोड़ रुपए दिए गए हैं। उच्च शिक्षा के लिए बजट में कुल लगभग 47,600 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है, जो कि पिछले वर्ष से लगभग 10,000 करोड़ रुपए कम है। आगामी वित्त वर्ष के लिए स्वास्थ्य बजट 90,000 करोड़ रुपए से अधिक का है, जिसमें स्वास्थ्य अनुसंधान पर 3,001 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। अस्पतालों के मौजूदा संसाधनों का इस्तेमाल करके नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना भी की जाएगी। साथ ही सरकार ने अर्थव्यवस्था में उत्पादकता बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण उपाय किए हैं।

बजट में जनसंख्या नियंत्रण और जनांकिकी बदलाव पर उच्च अधिकार प्राप्त कमेटी के गठन की घोषणा की गई है। उल्लेखनीय है कि, भारत इस समय विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनकर करके उभरा है। ऐसे में अब सरकार अन्य प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों को भी विकसित कर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध दिखती है। घरेलू पर्यटन को बढ़ने के लिए समुद्री संपर्क, आधारिक संरचना और सुविधाएं विकसित की जाएंगी। प्रमुख ऐतिहासिक, सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थलों व धार्मिक स्थलों और शहरों के विकास के लिए लंबी अवधि के ब्याज मुक्त ऋण से राज्य इनका विकास करेंगे।

पर्यटन स्थलों के विकास से बड़े पैमाने पर रोजगार के सृजन होने की संभावना है। लक्षद्वीप को पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए सरकार पोत संपर्क पर्यटन का बुनियादी ढांचा और सुविधाओं को बढ़ाने के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराएगी। अंतरिम बजट में परंपरा रही है कि कोई बड़ा ऐलान या परिवर्तन सरकार नहीं करती है। सरकार के कुल कर राजस्व में आयकर का योगदान इस समय सबसे अधिक हो गया है ऐसे में आयकर में बदलाव या छूट ना होना निराशाजनक है, लेकिन सरकार ने परंपरा का निर्वहन करते हुए किसी प्रकार का कोई बदलाव कर की दरों या स्लैब में नहीं किया है। अब जुलाई में आयकर में कुछ छूट की आशा कर सकते हैं, विशेषकर नए कर प्रावधानों में।

नई कंपनियों और स्टार्सअप को बढ़ावा देना, अनुसंधान और नवाचार के लिए 01 लाख करोड़ का फंड बनाने की घोषणा एक अच्छा कदम है। आधारिक संरचना पर व्यय में बढ़ोत्तरी से निजी निवेश और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। वहीं, सरकार ने राजकोषीय घाटे को कम करने का जो लक्ष्य रखा है, उसे निजी क्षेत्र को अधिक फंड उपलब्ध होगा, ब्याज दर में कमी आएगी, जिससे निवेश व उपभोग बढ़ने के साथ-साथ आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी। यह अर्थव्यवस्था के लिए बहुत सकारात्मक है। गरीबों और निम्न आय वर्ग के लिए कल्याणकारी योजनाएं और आवास, आयुष्मान योजना का विस्तार तथा महिलाओं को खास महत्व और किसानों के लिए तथा कृषि के लिए खास योजनाएं महत्वपूर्ण हैं।

इस बजट में सरकार ने अपने आगे के विजन और रोड मैप को स्पष्ट किया है। मोदी ने अपने भाषणों में सरकार के जिन उपायों और उपलब्धियों का समय-समय पर जिक्र किया है। उसी के एक संक्षिप्त संकलन की तरह वित्त मंत्री का बजट भाषण था। परंतु महत्वपूर्ण यह था कि सरकार ने यह आत्मविश्वास दिखाया कि चुनाव के बाद उनकी ही सरकार आएगी और वह सुधारों की दिशा में अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए इसी प्रकार के कदम बढ़ाएंगे। निवेशकों की दृष्टि से देखा जाए तो यह उनके लिए विश्वास जगाने वाला बजट है, जिसमें सरकार की नीतियों की निश्चितता दिखती है, सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की तारतम्यता दिखती है।

चुनाव नजदीक होने के बावजूद लोकलुभावन घोषणाओं से बचना सरकार की पिछली योजनाओं के लक्षित वर्ग पर प्रभाव की निश्चितता और सरकार के आत्मविश्वास को दर्शाता है। इसीलिए वित्त मंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी के लक्षित वर्ग गरीब, युवा, महिला और किसान को संबोधित करते हुए उनके लिए विशिष्ट नीतियों का उल्लेख किया। लगातार चौथे वर्ष से भारत के विकास दर के सात फीसदी या उससे अधिक रहने की संभावना है। सबसे महत्वपूर्ण है कि पहले के वर्षों की तुलना में सरकार के राजस्व में हुई वृद्धि। प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष कर दोनों हाल के वर्षों में बढ़े हैं। बजट में सरकार ने आर्थिक विकास से समझौता किए बिना ऊर्जा सुरक्षा और हरित ऊर्जा पर काम करते रहने के अपने संकल्प को दोहराया है और इसके लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं।

दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार ने रोजगार सृजन में वृद्धि के साथ-साथ रोजगार की उत्पादकता में सुधार के लिए भी प्रयास किए हैं। प्रौद्योगिकी का अधिक इस्तेमाल, अनुसंधान एवं विकास पर जोर, नवाचार पर जोर, रचनात्मकता में वृद्धि के लिए अनेक उपाय, विकसित भारत की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए जिन चुनौतियों से निपटना आवश्यक है, उसमें रोजगार की उत्पादकता बढ़ाने के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य की आधारिक संरचना को बेहतर करने के साथ ही उच्च निवेश से विकास की दर को तेज करना भी शामिल है। इसमें लोगों और राज्य सरकारों की भागीदारी भी आवश्यक है। बजट इस दिशा में कदम बढ़ाता अवश्य दिखता है। बजट भविष्य के विकास का मार्ग दिखाता है और देश को एक विकसित अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर करता है।

यूपी बजट में आधारिक संरचना, पर्यटन, रोजगार, महिला सशक्तीकरण और कृषि पर फोकस

उत्तर प्रदेश सरकार का बजट केंद्र सरकार के बजट की दिशा में ही बढ़ाया गया कदम है, जिसमें पिछली बार की बजट की अपेक्षा इसमें लगभग 6.7 फीसदी की वृद्धि की गई है। पिछले 07 वर्ष में दोगुने से अधिक की वृद्धि प्रदेश के बजट में हुई है। यह अब तक का यह सबसे बड़ा बजट है, जिसमें 24,000 करोड़ रुपए की नई योजनाएं हैं। उत्तर प्रदेश देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और इसका कारण प्रदेश सरकार द्वारा आर्थिक गतिविधियों के विकास के लिए किया गया समग्र प्रयास है। इस बजट में भी औद्योगिक और आर्थिक गतिविधियों के विस्तार के लिए सरकार ने आधारिक संरचना के निर्माण पर अधिक व्यय करने के साथ ही बजट में भी अनेक प्रावधान किए हैं, जिससे अर्थव्यवस्था के उत्पादक दक्षता में वृद्धि हो और निजी क्षेत्र के निवेश में भी वृद्धि हो। रोजगार बढ़ाने के लिए उद्योगों को बढ़ावा देने की नीति पर सरकार चल रही है, जिसमें प्रक्रियाओं को सरल करने के साथ ही नए उद्यमियों को ब्याज मुक्त ऋण देने की व्यवस्था सम्मिलित है।

रोजगार बढ़ाने के लिए रोजगार प्रोत्साहन बोर्ड के गठन और मुख्यमंत्री युवा उद्यमी अभियान भी शुरू करने की योजना है। देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देने और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए इस बजट में विशेष प्रयास किए गए हैं। उत्तर प्रदेश के बजट में युवाओं के रोजगार, महिलाओं को सबल बनाने संबंधी योजनाएं और कृषि विकास के लिए महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए। उत्तर प्रदेश सरकार ने अगले वित्त वर्ष के लिए कृषि की वृद्धि दर का लक्ष्य 5.1 फीसदी रखा है। कृषि में किसानों की आय बढ़ाने और रोजगार के अवसर बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया गया है और कई महत्वपूर्ण योजनाएं भी कृषि क्षेत्र के लिए शुरू की गई है। ग्राम विकास, पंचायती राज, उद्यान, प्रसंस्करण, कृषि, दुग्ध विकास, मत्स्य पालन आदि के लिए कुल मिलाकर काफी बड़े बजट का प्रावधान किया गया है। ग्रीन ग्रोथ पर ध्यान रखते हुए सरकार ने भविष्य की ऊर्जा पर 4,000 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बनाई है। इसी के अंतर्गत काशी को सोलर सिटी की तर्ज पर विकसित करने की योजना है।

विकास के साथ ही हरित ऊर्जा पर भी फोकस करके सरकार ने पर्यावरण का ध्यान रखा है। प्रदेश को सांस्कृतिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए बजट में प्रावधान किए गए हैं। बजट में पर्यटन, विशेषकर धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की खास कोशिश की गई है। प्रदेश के कई शहरों को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों के विकास एवं सौन्दर्यीकरण के लिए सरकार का प्रयासरत है। ‘‘मुख्यमंत्री पर्यटन विकास सहभागिता योजना‘‘ के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र में एक पर्यटन स्थल को विकसित किए जाने की योजना है। धर्माथ मार्गों के विकास के लिए 1,750 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रदेश के विभिन्न धर्म स्थलों के विकास के लिए 3,291 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, जबकि प्रयाग के महाकुंभ के लिए 2,600 करोड़ रुपए व्यय किए जाएंगे।

अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण और आधारिक संरचना के विकास के पश्चात अयोध्या नगरी विश्व में सबसे बड़ी पर्यटन नगरी बन चुकी है। अयोध्या के सर्वांगीण विकास के लिए 100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। अयोध्या में मूलभूत सुविधा सुविधाओं के विकास के लिए और आधारिक संरचना के विस्तार और उन्नयन के लिए पर्याप्त बजट की व्यवस्था की गई है, जिससे वहां विश्व स्तरीय सुविधा उपलब्ध कराई जा सके। अन्य धार्मिक स्थलों का भी विकास किया जाएगा। पर्यटन को ध्यान में रखते हुए सरकार ने काशी मथुरा के साथ ही बरेली के नाथ गलियारा, कानपुर के आनंदेश्वर मंदिर कॉरिडोर आदि के विकास के लिए भी 1,850 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।

मथुरा, वृंदावन, श्री नैमिषारण्य तथा श्रीदेवी पाटन जैसे कई तीर्थ स्थलों के विकास के लिए बजट में प्रावधान किया गया है। प्रदेश के शहरों में विभिन्न सुविधाओं के विकास के लिए और उन्हें विश्व स्तरीय बनाने के लिए 25,698 करोड़ रुपए का बजट है। प्रदेश सरकार की कानून व्यवस्था की बेहतरी के लिए 39,550 करोड़ रुपए पुलिस विभाग को दिए गए हैं। ग्रामीण विकास के लिए भी बजट में 25,409 करोड़ रुपए की व्यवस्था है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के लिए 27,000 करोड़ रुपए से अधिक का प्रावधान किया गया है। जबकि ऊर्जा क्षेत्र के लिए 57,000 करोड़ रुपए से अधिक का प्रावधान किया गया है। लोक निर्माण विभाग के लिए 34,858 करोड़ रुपए रखा गया है। 46,649 करोड़ रुपए से जहां सडके बेहतर होगी।

बाजार के अनुकूल रोजगार की योजना

वहीं, नए एयरपोर्ट बनने से एयरपोर्ट से शहरों के बीच एयर कनेक्टिविटी भी बेहतर होगी। गंगा एक्सप्रेस वे परियोजना के लिए 2,057 करोड़ 76 लाख का बजट है। लिंक एक्सप्रेस वे कि लिए 500 करोड़ की धनराशि मिलेगी। अटल इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन के लिए 400 करोड़। सरकार के बजट से आधारिक संरचना में मजबूती आएगी और इससे निजी निवेश में भी वृद्धि होगी। भौतिक आधार संरचना की बेहतरी के साथ-साथ डिजिटल आधारिक संरचना के लिए भी सरकार ने 08 डाटा सेंटरों की स्थापना करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। कुल मिलाकर आधारिक संरचना पर बजट में कुल बजट का एक चौथाई आवंटित किया गया है। इसी प्रकार रोजगार सृजन के लिए कुल मिलाकर 1,50,000 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि आवंटित की गई। सर्व शिक्षा अभियान सहित प्राथमिक शिक्षा के लिए 76,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का प्रावधान बजट में है। प्राथमिक शिक्षा पर जोर देने के साथ ही युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कौशल विकास पर सरकार का विशेष जोर है, जिससे कि बाजार के अनुकूल रोजगार के लायक कौशल विकसित कर सके।

प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाने और नई स्वास्थ्य सेवाओं में वृद्धि के लिए भी प्रावधान किए गए हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रमों के लिए 7,350 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। इसी प्रकार जल जीवन मिशन के लिए 22,000 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे, जिससे सभी घरों में नल से जल पहुंच सके। सामाजिक कल्याण संबंधी अपने दायित्वों को पूरा करने में भी सरकार आगे है। पीएम आवास के तहत लगभग 4,000 करोड़ रुपए और मलिन बस्तियों को पुनरुद्धार के लिए 650 करोड़ रुपए का प्रावधान सराहनी है। निराश्रित महिला पेंशन के तहत पेंशन को 500 रुपए से बढ़कर 1,000 रुपए कर दिया गया। महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना के लिए भी प्रावधान किया गया है।

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कुल मिलाकर बजट में एक तरफ जहां सड़क, ऊर्जा, एयरपोर्ट और सिंचाई पर खर्च करके भौतिक आधारिक संरचना को मजबूत करने पर जोर दिया गया है, तो दूसरी और शिक्षा स्वास्थ्य पेयजल इत्यादि पर खर्च में वृद्धि करके सामाजिक आर्थिक संरचना को भी मजबूत करने पर बल दिया है। इसके साथ ही सरकार कि यह भी कोशिश है कि समाज के वंचित तबके की जीवन स्तर को बेहतर बनाया जाए तथा रोजगार में वृद्धि हो, निजी निवेश बढ़े। जैसा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस बजट के विचार में संकल्प, एक-एक शब्द में श्री राम है, यह बजट प्रभु श्री राम के लोक मंगल के दर्शन से प्रेरणा लेकर आस्था अंत्योदय और अर्थव्यवस्था को समर्पित है। यह प्रदेश के समग्र और संतुलित विकास का आर्थिक दस्तावेज है, जो जल्द ही एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए प्रदेश को एक मजबूत आधार प्रदान करेगा। उत्सव, उद्योग और उम्मीद इस नए उत्तर प्रदेश की तस्वीर है। यह भी महत्वपूर्ण है कि बजट में पर्यावरण संरक्षण का सरोकार भी झलकता है।

डॉ. उमेश प्रताप सिंह

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