One Nation One Election Bill: एक देश, एक चुनाव बिल को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। गुरुवार को मोदी कैबिनेट ने वन नेशन, वन इलेक्शन बिल को मंजूरी दे दी। सूत्रों की माने तो संसद के इसी शीतकालीन यह बिल संसद में पेश किया जा सकता है। खबरों के मुताबिक केंद्र सरकार ने वन नेशन, वन इलेक्शन बिल पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट को पहले ही मंजूरी दे दी है। यह बिल पूरे देश में एक चुनाव का रास्ता साफ करता है।
One Nation One Election Bill : जल्द संसद में पेश होगा बिल
सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार अब बिल पर आम सहमति बनाना चाहती है। सरकार इसे विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति या जेपीसी के पास भेज सकती है। पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने इस साल सितंबर में चरणबद्ध तरीके से लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराने के लिए ‘एक देश, एक चुनाव’ के क्रियान्वयन को मंजूरी दी।
One Nation One Election Bill : बिल को लेकर क्या है सरकार की तैयारी
सूत्रों के मुताबिक, जेपीसी सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से चर्चा करेगी। इस प्रक्रिया में अन्य हितधारकों को भी शामिल किया जाएगा। जानकारी के अनुसार इस चर्चा में संविधान विशेषज्ञों के साथ-साथ सभी राज्यों के विधानसभा अध्यक्षों के शामिल होने की उम्मीद है। इस विधेयक पर आम लोगों की राय लेने की भी योजना है। चर्चा के दौरान विधेयक के प्रमुख पहलुओं, इसके लाभों और देश भर में एक साथ चुनाव कराने के लिए आवश्यक कार्यप्रणाली और चुनाव प्रबंधन पर चर्चा की जाएगी। इस मुद्दे पर विपक्षी दलों से बात करने की जिम्मेदारी केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, अर्जुन राम मेघवाल और किरण रिजिजू को सौंपी गई है।
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One Nation, One Election: दो तिहाई बहुमत की जरूरत होगी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’को लागू करने के लिए करीब छह विधेयक पेश करने होंगे। केंद्र सरकार को संसद में दो तिहाई बहुमत की जरूरत होगी। संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में एनडीए के पास साधारण बहुमत है। लेकिन, केंद्र सरकार के लिए सदन में दो तिहाई बहुमत हासिल करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
मोदी के पहले कार्यकाल बनाई गई थी समिति
बता दें कि पीएम मोदी के पहले कार्यकाल में One Nation One Election Bill को लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में एक समिति बनाई गई थी। समिति ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मार्च में अपनी सिफारिशें सरकार को सौंपी थीं। केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले ही इन सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिर्फ 2 चरणों में चुनाव कराने की सिफारिश की है। सिफारिश के मुताबिक पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं, जबकि दूसरे चरण में स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जाएं।