नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (CCEA) में कई अहम फैसले लिए गए। इसमें राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (NICDP) के तहत 12 नए परियोजना प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। इसके तहत देश में 12 औद्योगिक स्मार्ट शहर बनाए जाएंगे। इस योजना पर 28,602 करोड़ रुपये का निवेश अनुमानित है। इस योजना से सीधे तौर पर 10 लाख और अप्रत्यक्ष रूप से 30 लाख नौकरियां पैदा होंगी।
कई प्रस्ताओं को मिली मंजूरी
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि इसके अलावा कैबिनेट में कई अन्य अहम फैसले लिए गए। इसमें 234 नए शहरों में निजी एफएम रेडियो शुरू करने को मंजूरी दी गई। इसके साथ ही रेल मंत्रालय की तीन परियोजनाओं को भी मंजूरी दी गई, जिनकी कुल अनुमानित लागत करीब 6,456 करोड़ रुपये है। एआईएफ की केंद्रीय क्षेत्र योजना के विस्तार को मंजूरी देने का उद्देश्य इसे और अधिक आकर्षक, प्रभावी और समावेशी बनाना है।
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि 10 राज्यों में फैली और 6 प्रमुख गलियारों के साथ रणनीतिक रूप से नियोजित ये परियोजनाएं भारत की विनिर्माण क्षमताओं और आर्थिक विकास को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण छलांग का प्रतिनिधित्व करती हैं। ये औद्योगिक क्षेत्र उत्तराखंड में खुरपिया, पंजाब में राजपुरा-पटियाला, महाराष्ट्र में दिघी, केरल में पलक्कड़, उत्तर प्रदेश में आगरा और प्रयागराज, बिहार में गया, तेलंगाना में जहीराबाद, आंध्र प्रदेश में ओरवाकल और कोपर्थी, राजस्थान में जोधपुर-पाली में स्थित होंगे।
रेलवे की दो नई लाइनों और एक मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना को मंजूरी
भारतीय रेलवे की दो नई लाइनों और एक मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना को मंजूरी दी गई। इसकी अनुमानित लागत 6,456 करोड़ रुपये है। ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के सात जिलों को कवर करने वाली ये तीन परियोजनाएं भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क का लगभग 300 किलोमीटर तक विस्तार करेंगी। ये परियोजनाएं कनेक्टिविटी प्रदान करेंगी, यात्रा को आसान बनाएंगी, लॉजिस्टिक्स लागत को कम करेंगी, तेल आयात को कम करेंगी और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करेंगी।
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सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसलों के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि नई लाइन का प्रस्ताव सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करेगा और गतिशीलता में सुधार करेगा, जिससे भारतीय रेलवे के लिए दक्षता और सेवा विश्वसनीयता बढ़ेगी। मल्टी-ट्रैकिंग प्रस्ताव परिचालन को आसान बनाएगा और भीड़भाड़ को कम करेगा, जिससे भारतीय रेलवे के सबसे व्यस्त खंडों पर बहुत जरूरी बुनियादी ढांचे का विकास होगा।
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