नई दिल्लीः पार्किंसन एक गंभीर बीमारी है। इसे पूरी तरह जड़ से मिटाया तो नहीं जा सकता मगर नियमित दवाइयों के आधार पर काफी हद तक इसका उपचार किया जा सकता है। मुख्यतः पार्किंसन की बीमारी 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में पाई जाती है और यह अधिकतर महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक होती है। यदि किसी को भी किसी तरह की कोई दुर्घटना होती है और उसके मस्तिष्क का एक खास हिस्सा गंभीर रूप से चोटिल (सीवीयर ब्रेन ट्रोमा) होता है, तो ऐसी अवस्था में भी पार्किंसन की बीमारी हो सकती है। यद्यपि पार्किन्सन में मुख्यतः शरीर में कम्पन होता है, परन्तु एकमात्र सिर्फ इसी संकेत को इस रोग से ग्रसित नहीं समझा जा सकता है, शरीर में कम्पन के पीछे कई सारे अन्य चिकित्सकीय कारण होते है, अतएव कम्पन के साथ अन्य लक्षणों के होने पर ही न्यूरोलॉजिस्ट से परामर्श लें।
पार्किंसन के मुख्य लक्षण
पार्किंसन के कुछ खास लक्षण हैं, जैसे शरीर में कम्पन का होना, मांसपेशियों का कठोर होना, गति धीमी हो जाना, बोली या लिखावट में बदलाव एवं संतुलन में परेशानी इत्यादि। इसका मुख्य कारण मस्तिष्क के एक खास हिस्से में न्यूरॉन की कमी होने के कारण डोपामिन नामक रसायन का स्तर कम हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप यह स्थिति बनती है।
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पार्किंसन को दूर रखने को डाइट में इन चीजों को करें शामिल
पार्किंसन को दूर रखने के लिए डाइट को खास ख्याल रखें। अपनी डाइट में इन चीजों को शामिल कर इस बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है। इस बीमारी से ग्रसित लोगों को एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थ, फिश ऑयल, विटामिन बी1, सी, डी से भरपूर चीजों का सेवन करना चाहिए। क्योंकि ओमेगा-3 फैटी एसिड तंत्रिका सूजन को कम करने, न्यूरोट्रांसमिशन को बढ़ाने और न्यूरोडीजेनरेशन को रोकने में मदद करता है। इस बीमारी से पीड़ित लोगों को ओमेगा-3 फैटी फिश या फिर ओमेगा-3 सप्लीमेंट खाने के लिए दिया जाए, तो काफी लाभ होता है। वहीं इन लोगों को चीनी, नमक, प्रॉसेस्ड फूड्स, हाई कोलेस्ट्रॉल फूड्स, डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे चीज, लो-फैट मिल्क, दही, सैचुरेटेड फैट आदि के सेवन से बचना चाहिए।
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