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द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने के लिए भारत ने खारिज की पश्चिमी देशों की आपत्तियां, कही ये बात

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नई दिल्लीः भारत ने रूस से तेल की खरीद और रूस को भारत से उत्पादों के निर्यात के बारे में अमेरिका और पश्चिमी देशों की आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा कि भारत-रूस द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए विभिन्न उपाय कर रहे हैं। विदेश मंत्री ने भारत यात्रा पर आईं जर्मनी की विदेश मंत्री अन्नालेना बेयरबॉक के साथ एक संयुक्त प्रेसवार्ता में कहा कि भारत को रूस से तेल का आयात यूरोपीय संघ के तेल और गैस के आयात की तुलना में बहुत कम है। उन्होंने कहा कि यूरोपीय देश अपनी ऊर्जा प्राथमिकताओं को तय कर रहे हैं और ऐसा ही भारत कर रहा है।

रूस के साथ व्यापार के मुद्दे पर विदेश मंत्री कहा कि उन्हें नहीं लगता कि किसी भी व्यापारिक देश के व्यापार को बढ़ाने की वैध अपेक्षाओं के अलावा इससे कुछ अधिक समझा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “यूरोप अपनी ऊर्जा जरूरतों को प्राथमिकता देने में कोई विकल्प नहीं चुनता, लेकिन भारत से कुछ और करने के लिए कहता है।”

विदेश मंत्री ने आलोचना का जवाब देते हुए कहा कि यूरोपीय संघ ने फरवरी से नवंबर के बीच रूस तेल और गैस का जितना आयात किया है वह अगले 10 देशों के कुल सम्मिलित आयात से ज्यादा है। भारत ने इस अवधी में रूस से जितना तेल खरीदा है उससे यूरोपीय संघ ने छह गुना अधिक तेल खरीदा है। जहां तक गैस आयात का सवाल है यूरोपीय संघ की आयात मात्रा असिमित है, क्योंकि भारत रूस से गैस की खरीद नहीं करता है।

जयशंकर ने पश्चिमी देशों के नेताओं और मीडिया को सलाह दी कि वे रूस के ऊर्जा कारोबार पर नजर रखने वाली वेबसाइट पर ‘रूसफोसिलफ्यूलट्रैकर’ देखें जिसमें विभिन्न देशों द्वारा आयात की जाने वाली ऊर्जा का ब्यौरा है। इस वेबसाइट से उनकी समझदारी बढ़ेगी।

जयशंकर ने रूस को भारत से विभिन्न वस्तुओं के निर्यात के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत –रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार 12-13 अरब डॉलर का था जो यूरपोरीय संघ के देशों के साथ होने वाले व्यापार की तुलना में काफी कम है। उन्होंने कहा कि दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए पिछले अनेक वर्षों से प्रयासरत हैं। इसी सिलसिले में उन्होंने हाल में मास्को यात्रा के दौरान भारत-रूस व्यापार और प्रोद्योगिकी सहयोग आयोग की बैठक में भाग लिया था तथा रूस के उप प्रधानमंत्री और व्यापार मंत्री के साथ वार्ता की थी।

जयशंकर से प्रेसवार्ता में रूस की ओर से कथित रूप से पांच सौ वस्तुओं की निर्यात की मांग सम्बंधी की सूची के बारे में पूछा गया था। उन्होंने कहा कि वास्तव में हमारी ओर से भी रूसी अधिकारियों को एक सूची सौंपी गई थी जिसमें उन वस्तुओं का ब्यौरा था जिन्हें भारत निर्यात कर सकता था।

उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय व्यापार मांग और आपूर्ति पर आधारित होता है तथा भारत रूस के बाजार में अपनी पहुंच बढ़ाना चाहता है। रूस की जायज आवश्यकताओं के अनुरूप भारत से उसे इन वस्तुओं से निर्यात को किसी ओर संदर्भ में नहीं देखा जाना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि भारत यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद से रूस से बड़ी मात्रा में तेल की खरीद कर रहा है। पश्चिमी देशों और वहां की मीडिया ने इसे लेकर भारत की प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से आलोचना की है। इसी सिलसिले में अमेरिका और पश्चिमी देशों ने रूस के तेल पर ‘दामबंदी’ लागू की है जो आज (5 दिसम्बर) से प्रभावी हो गई है। दामबंदी के तहत रूस की तेल की कीमत 60 डॉलर प्रतिबेरल तय की गई है। इससे अधिक कीमत पर बेचे जाने वाले रूस के तेल की ढुलाई अन्य देशों के टैंकर नहीं कर सकेंगे। साथ ही पश्चिमी देशों की बीमा कम्पनियां तेल टेंकरों को बीमा सुरक्षा सुरक्षा भी प्रदान नहीं करेंगी।

इसी तरह पश्चिमी देश भारत-रूस के बीच व्यापार को भी सीमित करने के लिए प्रयासरत हैं। हाल में मीडिया में इस आशय के समाचार प्रकाशित हुए थे कि पश्चिमी देशों के प्रतिबंदों के मद्देनजर रूस भारत से कार, ट्रेन और वायुयान के उपकरणों सहित 500 वस्तुओं का आयात करना चाहता है। विदेश मंत्री जयशंकर की मास्को यात्रा के दौरान इससे जुड़ी सूची भारत को सौंपी गई थी।

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