नई दिल्लीः भारत को आजादी दिलाने में अपने सर्वस्व का बलिदान करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के लिए शहीद दिवस मनाया जाता है। आज 23 मार्च 2023 को शहीद दिवस मनाया जा रहा है। आज के दिन आजादी के लिए बलिदान होने वाले भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर को श्रद्धांजलि दी जाती है। आज के ही दिन इन तीनों वीर सपूतों ने हंसते-हंसते फांसी की सजा को गले लगा लिया था। शहीदों को याद करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए भारत में हर वर्ष सिर्फ 23 मार्च ही नहीं अपितु कुल सात शहीद दिवस मनाये जाते हैं। इनमें 30 जनवरी, 23 मार्च, 19 मई, 21 अक्टूबर, 17 नवंबर, 19 नवंबर और 24 नवंबर शामिल हैं।
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इसलिए हुई थी भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव को फांसी
भगत सिंह, सुखदेव थापर और शिवराम राजगुरु एक क्रांतिकारी संगठन हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचएसआरए) के सदस्य थे। यह संगठन भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष में विश्वास करता था। लाला लाजपत राय ने 30 अक्टूबर, 1928 को ‘साइमन, गो बैक’ के नारे के साथ सर जॉन साइमन की लाहौर यात्रा के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध का आयोजन किया। प्रदर्शन की अहिंसक प्रकृति के बावजूद, जेम्स ए स्कॉट ने पुलिस को प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए डंडों का इस्तेमाल करने का आदेश दिया। इस संघर्ष के दौरान लाला लाजपत राय गंभीर रूप से घायल हो गए। दुर्भाग्य से इस घटना में लाला लाजपत राय की मृत्यु भी हो गयी। इस घटना से आक्रोषित युवा क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने जेम्स स्कॉट की हत्या करने का निर्णय किया। हालांकि गलती से उन्होंने जेम्स स्कॉट के बजाय एक अन्य पुलिस अधीक्षक जॉन पी. सॉन्डर्स को मार डाला। लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए उन्होंने 8 अप्रैल, 1929 को सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली पर बमबारी करने की कोशिश की लेकिन पकड़े गए। नतीजतन, तीनों को मौत की सजा सुनाई गई थी। 23 मार्च 1931 को उन्हें फाँसी दे दी गई।
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