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मनोहर लाल ने कहा- 48 कोस के तीर्थों का भ्रमण करवाने के लिए जल्द बसों की होगी सुविधा

चंडीगढ़ः हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल (Haryana Chief Minister Manohar Lal) ने घोषणा की कि कुरुक्षेत्र के पास पिपली में संत रविदास और सिख गुरुओं की याद में स्मारक बनाए जाएंगे, ताकि लोग उनकी शिक्षाओं से प्रेरणा ले सकें। उन्होंने श्रद्धालुओं को कुरूक्षेत्र के निकट 48 कोस के तीर्थों के दर्शन कराने के लिए शीघ्र ही बसों की सुविधा शुरू करने की भी बात कही।

गीता का संदेश सार्वभौमिक और शाश्वत

मुख्यमंत्री शनिवार शाम को कुरूक्षेत्र में 48 कोस तीर्थ सम्मेलन के दौरान उपस्थित साधु-संतों एवं आसपास के प्रबुद्ध लोगों को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले उन्होंने 48 कोस के दायरे में स्थित 182 तीर्थ स्थलों की जानकारी वाली एक पुस्तक का विमोचन किया और लोगों से इस पुस्तक का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करने का आह्वान किया। मुख्यमंत्री ने 48 कोस क्षेत्र के तीर्थ स्थलों से कलश के माध्यम से लायी गयी मिट्टी को पवित्र बताते हुए नमन किया और कहा कि ये सभी तीर्थ स्थल प्रेरणा के स्रोत हैं। उन्होंने भगवत गीता और 48 कोस के तीर्थों की निकटता को अद्वितीय संगम बताया और कहा कि गीता का संदेश सार्वभौमिक और शाश्वत है।

उन्होंने कुरूक्षेत्र की तरह 48 कोस के दायरे में आने वाले तीर्थ स्थलों को पुण्य भूमि बताया और कहा कि राज्य सरकार इन तीर्थ स्थलों का भी विकास कर रही है। उन्होंने बताया कि पवित्र सरस्वती एवं दृषद्वती नदियों के बीच स्थित कुरूक्षेत्र की 48 कोस भूमि में 367 तीर्थ स्थल हैं, जिनमें से कुछ लुप्तप्राय हैं। हम इन तीर्थ स्थलों का जीर्णोद्धार करने और उनका गौरव बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में सर्वेक्षण एवं दस्तावेजीकरण के बाद 48 कोस की कुरूक्षेत्र भूमि के 164 तीर्थों की सूची में 18 नये तीर्थों को जोड़ा गया है, जिससे अब इस भूमि में तीर्थों की कुल संख्या 182 हो गयी है। तीर्थयात्राओं का सर्वेक्षण और दस्तावेज़ीकरण अभी भी लगातार जारी है और निकट भविष्य में इस सूची में और तीर्थयात्राओं के जुड़ने की संभावना है।

कई परियोजनाओं के लिए धनराशि आवंटित

उन्होंने आसपास के जिलों के तीर्थ स्थलों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि वर्ष 2017 और 2018 में उन्होंने 48 कोस परिक्रमा में स्थित कई तीर्थ स्थलों का दौरा किया और उनके विकास की घोषणाएं भी कीं। उनके द्वारा घोषित 27 विकास कार्यों की लागत लगभग 36 करोड़ रुपये बैठती है। इनमें से 23 करोड़ रुपये विकास कार्यों पर खर्च किये गये हैं। कुल 27 कार्यों में से 15 कार्य पूर्ण हो चुके हैं, 6 पर कार्य प्रगति पर है तथा शेष 6 पर कार्य प्रारंभ भी हो चुका है।

उन्होंने कहा कि 6 अप्रैल को मैंने सरस्वती तीर्थ पिहोवा के जीर्णोद्धार और सरस्वती द्वार के निर्माण की घोषणा की थी। इसके विकास पर 10 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। इनके अलावा पिछले 4 वर्षों में 64 विकास कार्यों के लिए कुरूक्षेत्र विकास बोर्ड को 51 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। इसमें से करीब 28 करोड़ रुपये की धनराशि जारी कर दी गई है। इसमें से 15 करोड़ रूपये व्यय किये जा चुके हैं तथा 20 कार्य पूर्ण हो चुके हैं तथा 27 पर कार्य प्रगति पर है। हमने 15 करोड़ 66 लाख रूपये लागत के 18 अन्य विकास कार्यों को मंजूरी दी है। इन पर जल्द ही काम शुरू होगा।

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उन्होंने सरकार द्वारा कुरूक्षेत्र, ज्योतिसर व आसपास के क्षेत्रों में किए गए धार्मिक विकास कार्यों की विस्तार से जानकारी दी और कहा कि निश्चित रूप से जल्द ही कुरूक्षेत्र को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान मिलेगी। उन्होंने इस महोत्सव की प्रसिद्धि पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि इस बार केवल 17 दिनों में लगभग 30 लाख पर्यटक कुरुक्षेत्र में आए हैं और गीता स्थली को नमन किया है।

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