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Mandi: तंबू में कट रहीं रातें, मंदिरों में हो रही पढ़ाई, कम नहीं हो रहीं बाढ़ प्रभावितों की मुश्किलें

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मंडी: सराज विधानसभा क्षेत्र के बालीचौकी उपमंडल की कुकलाह पंचायत के लोग 23 अगस्त को पहाड़ी पर बादल फटने से हुई तबाही (Himachal Pradesh flood) को याद कर आज भी सिहर उठते हैं।

पंचायत कुकलाह के गांव सुमनीधार बुनाड़ी के नूप चंद ने कहा कि उनका कुछ भी नहीं बचा है। कटकू राम के तीन बेटे नूप चंद, ठाकुर दास और अमर सिंह के परिवार में 21 सदस्य हैं, जबकि गांव के जीवू राम के तीन बेटे, झाबे राम के दो बेटे और लज्जे राम के पोते की गौशाला भी नष्ट हो गई है।

घर, गौशाला, रसोई सब कुछ नष्ट

नूप चंद ने बताया कि उनका घर, गौशाला, रसोई सब कुछ नष्ट हो गया है। बर्तन, कपड़े और अन्य सामान भी बह (Himachal Pradesh flood) गये हैं। अब सभी परिवार तंबू में रहने को मजबूर हैं। घर बनाने के लिए कोई सुरक्षित जगह नहीं बची है। ग्राम सराची स्थित उनके स्थान को भी प्रशासन ने डेंजर जोन घोषित कर दिया है। कई दिनों तक बच्चे स्कूल नहीं जा सके। अब किसी तरह माता कश्मीरी मंदिर परिसर में कक्षाएं शुरू हो गई हैं क्योंकि बाढ़ (Himachal Pradesh flood) में कुकलाह स्कूल पूरी तरह से नष्ट हो गया है।

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घर बनाने के लिए मदद की मांग

नूप राम ने बताया कि इस संबंध में उन्होंने उपमंडल अधिकारी बालीचौकी को भी ज्ञापन देकर मकान बनाने के लिए जगह और धनराशि उपलब्ध कराने का आग्रह किया है। अब तक कुछ परिवारों को प्रशासन की ओर से राहत के नाम पर सिर्फ तिरपाल और राशन ही मिल सका है। उनका कहना है कि हम सभी बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं टेंट में रह रहे हैं। ऐसा कितने दिनों तक चल सकता है? हमें कोई सुरक्षित जगह दी जाए जहां हम घर बना सकें। मकान बनाने के लिए भी आर्थिक सहायता दी जाए।’

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