Bengal anti-rape bill : पश्चिम बंगाल विधानसभा (West Bengal Legislative Assembly) में मंगलवार को ‘अपराजिता विधेयक 2024’ (Aparajita Bill 2024) को लेकर जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी (Subhendu Adhikari) ने सरकार पर निशाना साधते हुए पूछा कि इस विधेयक को जल्दबाजी में क्यों लाया गया। उन्होंने कहा कि वह इस विधेयक का समर्थन करते हैं लेकिन सरकार को इसे तुरंत लागू करना चाहिए।
शुभेंदु अधिकारी ने समर्थन के साथ कही ये बात
जैसे ही शुभेंदु अधिकारी ने विधानसभा में अपना भाषण शुरू किया, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सदन में पहुंच गईं। शुभेंदु ने कहा, “हम इस विधेयक का समर्थन करते हैं लेकिन आप इसे जल्दबाजी में क्यों ला रहे हैं? अगर हम चाहते तो इसे प्रवर समिति को भेजने की मांग कर सकते थे लेकिन हम सजा चाहते हैं। हम वोटिंग की मांग नहीं करेंगे। हम मुख्यमंत्री का बयान सुनेंगे लेकिन सरकार को इस विधेयक को जल्द से जल्द लागू करना होगा।”
शुभेंदु अधिकारी ने सवाल उठाया कि ‘अपराजिता विधेयक’ को जल्दबाजी में क्यों लाया गया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष इस विधेयक का समर्थन करेगा लेकिन सरकार को इसे तुरंत लागू करना होगा। उन्होंने स्पीकर बिमन बंदोपाध्याय से कहा कि वह पूरी तैयारी के साथ आए हैं और स्पीकर उनकी जानकारी की जांच कर सकते हैं।
विपक्ष ने किया हंगामा
स्पीकर बिमान बंदोपाध्याय ने कहा कि वे बिना सत्यापन के किसी भी दस्तावेज को स्वीकार नहीं कर सकते। इसके बाद ममता बनर्जी की पार्टी के मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय ने भी अपनी बात रखी, लेकिन समय की कमी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें ज्यादा देर तक बोलने की जरूरत नहीं है, ताकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बोलने का समय मिल सके।
भाजपा विधायक अग्निमित्र पॉल ने अपने 20 मिनट के वक्तव्य में कहा कि अगर सीबीआई दोषियों को गिरफ्तार नहीं कर पाती है, तो वे उनके खिलाफ आंदोलन भी शुरू करेंगे। इसके अलावा भाजपा विधायक शिखा भट्टाचार्य और अन्य वक्ताओं ने भी विधेयक पर अपने विचार रखे। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए 45 मिनट का समय आवंटित किया गया था।
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‘अपराजिता विधेयक 2024’ में क्या प्रस्ताव हैं?
1. भारतीय दंड संहिता की धारा 64 में बलात्कार के लिए न्यूनतम 10 साल की कैद, जो आजीवन कारावास भी हो सकती है, और जुर्माने का प्रावधान है। लेकिन राज्य के संशोधन विधेयक में बलात्कार की सजा आजीवन कारावास या मृत्युदंड भी हो सकती है।
2. जुर्माने से वसूली गई राशि से ही पीड़िता इलाज और पुनर्वास के लिए किया जाएगा। यह राशि विशेष अदालत द्वारा निर्धारित समय के अंदर देने का प्रावधान है।
3. ‘अपराजिता महिला एवं बाल (पश्चिम बंगाल अपराध कानून संशोधन) विधेयक 2024’ में भारतीय न्याय संहिता की धारा 65 को हटाने का प्रस्ताव है तथा अन्य धाराओं में भी बदलाव किए गए हैं।
4. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में एक नई धारा जोड़ने का प्रस्ताव है, जिसमें ‘विशेष अदालत’ स्थापित करने की बात कही गई है।
5. इन मामलों की सुनवाई राज्य के सत्र न्यायाधीश या अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश करेंगे।
6. प्रत्येक जिले में एक ‘अपराजिता टास्क फोर्स’ का गठन किया जाएगा, जिसका नेतृत्व एक पुलिस उपाधीक्षक करेंगे।
7. दुष्कर्म के केस की जांच महिला अधिकारी द्वारा की जाएगी और जांच में जानबूझकर देरी करने वाले को 6 महीने तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
8. एफआईआर दर्ज करने के 21 दिनों के भीतर जांच पूरी करने और चार्जशीट दाखिल करने के 30 दिनों के भीतर सुनवाई पूरी करने का प्रावधान है।
विधानसभा में इस विधेयक पर आगे चर्चा होगी, जिसमें विभिन्न दलों के नेता अपनी राय देंगे और विधेयक के प्रावधानों पर चर्चा करेंगे।
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