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टॉय मेकिंग में करें अपने सपनों को साकार, हैं अपार सम्भावनाएं

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लखनऊ: बच्चों को सबसे अधिक प्यार अपने खिलौनों से ही होता है। तभी समय के साथ खिलौनों के रूप और मॉडल बदलते रहे हैं। पहले जहां मिट्टी खिलौने थे वहीं अब, प्लास्टिक के खिलौने सबसे ज्यादा लोकप्रिय हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त सॉफ्ट टॉयज, पजल्स, कंप्यूटर गेम्स, रिमोट कंट्रोल कार, डॉल्स आदि कई तरह के खिलौने मार्केट में उपलब्ध हैं। सरकार भी खिलौनों के व्यापार को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है। ये खिलौनों की मांग का ही नतीजा है कि भारत में 80 प्रतिशत खिलौनों को बाहरी देशों से आयात किया जाता है, जिसमें सरकार के करोड़ो रुपए जाते हैं। अब सरकार इन खिलौनों को देश में निर्मित करने पर जोर दे रही है, जिससे बाहरी देशों से आयात कम हो। सरकार के इस फैसले से और खिलौनों की बढ़ती मांग को देखते हुए खिलौनों के क्षेत्र में भी आप एक बेहतर करियर तलाश सकते हैं। जी हां, टॉय मेकिंग वर्तमान समय में एक बेहतर करियर ऑप्शन है। जानते टॉय मेकिंग में करियर बनाने के लिए आपको क्या करना होगा।

स्किल्स

टॉय मेकिंग में आप सॉफ्ट टॉय मेकर बन कर अपने सपनों को साकार कर सकते हैं। एक सॉफ्ट टॉय मेकर बनने के लिए सबसे पहले तो आपको खिलौने बनाने की कला आनी चाहिए। साथ ही आपका क्रिएटिव माइंड होना भी जरूरी है ताकि आप अपने खिलौनों को एक अलग आकार व स्वरूप दे सकें। इतना ही नहीं, आपको मार्केट के लेटेस्ट ट्रेंड की भी जानकारी होनी चाहिए, जिससे आपको यह पता हो कि किस तरह के डिजाइन ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं। साथ ही तकनीकी जानकारी के अलावा ग्राफिक डिजाइनिंग, इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग, कार्टूनिंग, टॉयज मेकिंग मैटेरियल्स आदि का ज्ञान भी जरूरी है।

शैक्षणिक योग्यता

टॉय मेकिंग में किसी प्रोफेशनल क्वालिफिकेशन की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन सॉफ्ट टॉय बनाने का हुनर सीखने के लिए आप विभिन्न संस्थानों से टॉय मेकिंग कोर्स कर सकते हैं। कोर्स की अवधि एक महीने से शुरू होकर छह महीने तक की होती है। इसके अलावा इस क्षेत्र में कदम रखने के लिए ग्राफिक डिजाइन, औद्योगिक डिजाइन या कार्टूनिंग की पृष्ठभूमि भी आपकी मदद कर सकती है। यदि आप उच्च स्तर के हाईटेक खिलौना उद्योग का हिस्सा बनना चाहते हैं तो आपके लिए इंजीनियरिंग और मार्केटिंग की पृष्ठभूमि फायदेमंद हो सकती है। वहीं मल्टीमीडिया, ग्राफिक डिजाइनिंग, कार्टूनिंग, साइकोलॉजी आदि के जानकार भी इस फील्ड में एंट्री पा सकते हैं।

सम्भावनाएं

टॉय मेकिंग के क्षेत्र में अपार सम्भावनाएं हैं। जबसे सरकार ने खिलौनों के क्षेत्र में ध्यान देना शुरू किया है तब से इस क्षेत्र में अवसर और भी बढ़ गए हैं। सरकार का लक्ष्य है कि भारत में खिलौना निर्माण कार्य बढ़ाना है, क्योंकि अभी 100 अरब डॉलर के वैश्विक खिलौना बाज़ार में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ डेढ़ अरब डॉलर के आस-पास ही है। ऐसे में सरकार ने इसे बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसलिए इस क्षेत्र में सम्भावनाएं और भी बढ़ी हैं। आप विभिन्न टॉय मेकिंग कंपनियों में काम कर सकते हैं या फिर इसमें स्वरोजगार की तलाश भी कर सकते हैं। अपने तैयार किए माल को विभिन्न टॉय शॉप व होलसेलर्स के पास बेच सकते हैं। इसके अतिरिक्त आप अपनी एक दुकान खोलकर उसमें भी खुद तैयार किए हुए सॉफ्ट टॉय बेच सकते हैं। वहीं आप अपनी यह कला दूसरों को सिखाकर भी अच्छा पैसा कमा सकते हैं। इसके लिए आप सॉफ्ट टॉय मेकिंग कोर्स चला सकते हैं।

प्रमुख शिक्षण संस्थान

 इंस्टीट्यूट ऑफ टॉय मेकिंग टेक्नोलॉजी, कोलकाता  हिमांशु आर्ट इंस्टीट्यूट, विभिन्न केन्द्र  ग्यानेश्वरी इंस्टीट्यूट टीचिंग एंड परफार्मिंग आर्ट्स, नोएडा  एमकेएसएसएस, पुणे

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सैलरी

इस क्षेत्र में आमदनी इस बात पर निर्भर करेगी कि आपको कितना बड़ा ऑर्डर मिलता है। वहीं अगर आप खुद की दुकान खोलते हैं तो टॉय के साइज के हिसाब से एक खिलौने के 200−300 रूपए से लेकर सात−आठ हजार रूपए तक चार्ज कर सकते हैं। इसलिए आप अपने काम को मन लगाकर कीजिए, आपके पास पैसों की कोई कमी नहीं होगी।