प्रदेश छत्तीसगढ़

Dhamtari: हर्षोल्लास के साथ मनाया गया मकर संक्रांति का पर्व

धमतरी (Dhamtari): सूर्य उपासना का पर्व मकर संक्रांति धमतरी जिले में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर्व के अवसर पर श्रद्धालुओं ने भगवान की पूजा-अर्चना की। सुबह श्रद्धालुओं ने महानदी में डुबकी लगाई और भगवान से सुख-समृद्धि की कामना की। ग्राम रुद्री में महानदी के तट पर स्थित रुद्रेश्वर महादेव घाट पर कई श्रद्धालु दीपदान करने पहुंचे। यहां उगते सूर्य को अर्ध्य देकर और महानदी में दीप जलाकर परिवार और समाज की सुख-समृद्धि की कामना की गई। कई लोगों ने घाट पर ही आरती की और मौजूद लोगों के बीच प्रसाद बांटा। भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए लोग रुद्रेश्वर मंदिर भी पहुंचे। पंडित राजकुमार तिवारी ने बताया कि मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ का दीपदान करने से यश की प्राप्ति होती है। मालूम हो कि मकर संक्रांति का व्रत हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। त्योहार के मौके पर घर-घर में भगवान को तिल के लड्डू और पापड़ी का भोग लगाकर पूजा की जाती है। ये भी पढ़ें..Jagdalpur: भाजपा ने श्रीराम मंदिर में की सफाई, 22 जनवरी तक चलेगा अभियान

सूर्य उपासना का पर्व है मकर संक्रांति

विप्र विद्वत परिषद धमतरी के अध्यक्ष पंडित अशोक शास्त्री ने बताया कि सनातन धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति सूर्य का मकर राशि में प्रवेश है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता है। उत्तरायण को देवताओं का दिन कहा जाता है। जब सूर्य उत्तरायण होता है तो दिन बड़ा और रात छोटी हो जाती है। प्राचीन काल से ही मकर संक्रांति को सूर्य उपासना के पर्व के रूप में मनाया जाता रहा है। इस वर्ष देव पंचांग के अनुसार 14 जनवरी को दोपहर 2 बजकर 44 मिनट पर सूर्य उत्तरायण होगा और 15 जनवरी को सूर्य उदिया शतभिषा नक्षत्र में रहेगा। इस दिन तीर्थयात्रा, जप, हवन-पूजन और दान का महत्व है। इस दिन तिल के लड्डुओं और तिलों का उपयोग हवन, तर्पण, भोजन और दान में किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि तिल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के शरीर से हुई है। मोक्ष प्राप्ति में इसका विशेष महत्व है। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर(X) पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)