Sunday, February 9, 2025
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Homeउत्तर प्रदेशMahindra Santkada Lucknow Festival 2025: सद्भावना ट्रस्ट की बड़ी पहल

Mahindra Santkada Lucknow Festival 2025: सद्भावना ट्रस्ट की बड़ी पहल

Mahindra Santkada Lucknow Festival 2025: सद्भावना ट्रस्ट का मोहल्ला रेडियो महेंद्रा सनतकदा लखनऊ महोत्सव में पहुंचा, जहां लोगों ने गलियों और उनकी दीवारों की अनकही कहानियों को रिकॉर्ड किया। मोहल्ला रेडियो पहल का उद्देश्य सिर्फ दीवारों की खूबसूरती या रंग-रूप के बारे में बात करना नहीं था, बल्कि उन दीवारों में छिपी अनगिनत भावनाओं, संघर्षों और कहानियों को याद करना था। मोहल्ला रेडियो सद्भावना ट्रस्ट के सामुदायिक नेताओं की एक अनूठी पहल के रूप में उभरा है, जिन्होंने उन लोगों को यह मंच दिया है, जिनके पास अपनी कहानियां कहने के लिए बहुत सीमित अवसर और मंच हैं। महोत्सव में इस पहल में दीवारों के माध्यम से हमारे समाज के गहरे मुद्दों, जैसे इंतजार, बचपन, हिंसा, नफरत और प्यार पर चर्चा की गई।

Mahindra Santkada Lucknow Festival 2025: शामिल हुए 300 लोग

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सौरभ यादव (कहानीकार), वंशिका (इंडिया फेलो), मरियम (कम्युनिटी कोऑर्डिनेटर), अभिषेक सहज (अमर उजाला), हमीदा खातून (निदेशक, सद्भावना ट्रस्ट), शहनाज (महिला संगठन की नेता) और खुशी (डिजिटल क्रिएटर) थे। कार्यक्रम में करीब 300 लोग शामिल हुए। इस कार्यक्रम का उद्देश्य सिर्फ़ दीवारों की कहानी बताना ही नहीं था, बल्कि उन कहानियों के ज़रिए हम सबको यह एहसास दिलाना भी था कि गलियाँ सिर्फ़ सड़कें नहीं होतीं. ये दीवारें समाज, इतिहास और हमारी भावनाओं का आईना होती हैं, जिनमें हमारी ज़िंदगी और संघर्ष झलकते हैं.

इस पहल को पाँच दिनों में विभाजित किया गया था, जिसमें हर दिन एक अलग विषय पर चर्चा की गई. इन विषयों को कुछ सवालों में समेटा गया जैसे: आपकी गली की दीवारें आपसे क्या कहती हैं?, अगर दीवारें कुछ बोलें तो कैसा नज़ारा होगा? अगर आपको उन दीवारों पर कुछ लिखने का मौक़ा मिले तो आप क्या सोचेंगे?

Mahindra Santkada Lucknow Festival 2025: समाज से जुड़े मुद्दों पर हुई चर्चा

मोहल्ला रेडियो में किसी ने ‘इंतज़ार’ के बारे में बात की, जिसमें उन्होंने अपना अनुभव साझा किया कि कैसे इंतज़ार का एहसास दीवारों और हमारी ज़िंदगी में छिपा होता है. वहीं, कुछ लोगों ने दीवारों की ‘गंदगी’ के बारे में चर्चा की, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे लोग दीवारों को गंदा करते हैं. कुछ ने ‘हिंसा’ के बारे में बात की, जिसमें उन्होंने दीवारों के ज़रिए हिंसा के परिणामों को याद किया. किसी ने ‘नफ़रत’ के बारे में चर्चा की, जिसमें लोगों ने बताया कि कैसे नफ़रत की छाप दीवारों के रूप में हमारे समाज में समाहित है. आखिरी दिन ‘प्यार’ पर चर्चा की गई, जिसमें यह समझा गया कि दीवारों और गलियों में किस तरह प्यार का एहसास समाया हुआ है और किस तरह ये हमें बचपन से लेकर अब तक अलग एहसास कराते हैं।

पूरे कार्यक्रम के दौरान लोगों ने अपने अनुभव और विचार साझा किए, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि इन दीवारों और गलियों की कहानियां सिर्फ उस जगह तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये हमारे जीवन को प्रभावित करती हैं और हमारे समाज की सच्चाई को हमारे सामने लाती हैं। सद्भावना ट्रस्ट द्वारा मोहल्ला रेडियो की यह पहल एक खास संदेश देती है कि हर दीवार, हर गली और हर सड़क के पीछे एक कहानी छिपी है। हम सभी को मिलकर इन कहानियों को समझने और महसूस करने की जरूरत है, ताकि हम एक बेहतर समाज की ओर बढ़ सकें और साथ ही साथ शांति और सुकून का एहसास भी बना रहे।

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सद्भावना ट्रस्ट 2009 से लखनऊ शहर की मलिन बस्तियों में हाशिए पर पड़े समुदायों के साथ काम कर रहा है। यह संगठन खास तौर पर लड़कियों और महिलाओं के साथ मिलकर सामाजिक मुद्दों पर नजरिया बनाकर उन्हें नेतृत्व में लाने का काम करता है। यह युवा महिलाओं को तकनीकी कौशल से भी सशक्त बनाता है और उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह कार्यक्रम पूरी तरह सफल और यादगार रहा।

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