पटनाः लोक आस्था एवं प्रकृति रक्षा का चार दिवसीय महापर्व चैती छठ मंगलवार को नहाय खाय के साथ आरंभ हो गया। चैत्र नवरात्रि के तृतीया के दिन बडी संख्या मे छठ व्रती महिलाओं ने पवित्र नदियों एवं सरोवर में स्नान कर सात्विक तरीके से बने भोजन को ग्रहण किया। व्रती बुधवार को खरना करेंगी। गुरुवार को अस्ताचलगामी व शुक्रवार की सुबह उदयीमान भगवान सूर्य को अर्घ्य देंगी।
छठ पूजा का महत्व
स्कन्दपुराण मे वर्णित सूर्यषष्ठी (छठ) पूजा का विशेष महत्व है। भगवान सूर्य से निरोग काया के साथ समस्त प्रकृति का रक्षा की कामना इस व्रत में किया जाता है। पुराण में ऐसी मान्यता है कि पंचमी के सायंकाल से ही घर में छठी माता का आगमन हो जाता है।
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उल्लेखनीय है कि छठ पूजा में मुख्य रूप से प्रकृति प्रदत्त सामग्री को ही प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। जैसे ईंख-अदरख, मूली, कच्ची हल्दी, अरबी, सुथनी, बोड़ी गागल, नींबू, पान, सुपारी, लौंग, इलायची के साथ केला, नारियल, सिंघाड़ा एवं अन्य ऋतुफल आदि शामिल होते है। साथ ही इस व्रत में आटे और गुड़ और शुद्ध देशी घी के मिश्रण से तैयार ठेकुआ को चढाने का विशेष परंपरा है। इस पर्व की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस पर्व में डूबते हुए सूर्य को भी अर्घ्य दिया जाता है।
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